भारत में बायोमेडिकल कचरा प्रबंधन को सशक्त करने के लिए सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में क्या कुछ की हैं सिफारिशें

रिपोर्ट में सीपीसीबी ने सभी जिलों में पर्याप्त संख्या में सामान्य जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उपचार सुविधाओं की उपलब्धता की बात कही है
भारत में बायोमेडिकल कचरा प्रबंधन को सशक्त करने के लिए सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में क्या कुछ की हैं सिफारिशें
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने बायोमेडिकल कचरे के प्रबंधन के मामले में अपनी एक रिपोर्ट सबमिट की है। इस रिपोर्ट में प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट से जुड़े नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं इस बारे में जानकारी साझा की गई है।

इस रिपोर्ट में, सीपीसीबी ने सिफारिश की है कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और प्रदूषण नियंत्रण समितियां नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए क्लीनिक, प्रयोगशालाओं, अनुसंधान संस्थानों और पशु चिकित्सा अस्पतालों सहित सभी स्वास्थ्य सुविधाओं को तेजी से अधिकृत करने की आवश्यकता है।

रिपोर्ट का यह भी कहना है कि इन सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और समितियों को पैदा हो रहे कचरे और उसके निपटान के बीच अंतर का विश्लेषण करने के लिए सीपीसीबी दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए। इसमें प्रत्येक राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के सभी जिलों में पर्याप्त संख्या में सामान्य जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उपचार सुविधाएं (सीबीडब्ल्यूटीएफ) उपलब्ध हैं, यह भी सुनिश्चित करने की बात कही है।

इसके अतिरिक्त, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और समितियों को कैप्टिव उपचार सुविधाओं और कचरे को दबाने के लिए गहरे गड्ढों के उपयोग को सीमित करना चाहिए। इन्हें केवल तभी अनुमति दी जानी चाहिए जब अत्यंत आवश्यक हो। यदि इनका निर्माण किया जाना है तो उसके लिए बायो मेडिकल अपशिष्ट प्रबंधन नियम (बीएमडब्ल्यूएम), 2016 के तहत जारी मानकों का पालन करना चाहिए। यह कुछ सिफारिशें हैं, जिनपर सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में जोर दिया है।

उधमपुर नगर परिषद ने बायो-माइनिंग की मदद से 16,500 मीट्रिक टन कचरे का कर दिया है निपटान

सुई झक्खड़ में कुल 18,500 मीट्रिक टन कचरा वर्षों से जमा था। इसमें से उधमपुर नगर परिषद ने बायो-माइनिंग की मदद से 16,500 मीट्रिक टन कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निपटान किया था। इस कचरे के निपटान पर करीब 10,585,666 रुपए की लागत आई थी।

हालांकि ओवरहेड 11 केवीए ट्रांसमिशन लाइन की वजह से सुई झक्खड़ में 2,000 मीट्रिक टन कचरे का निपटान नहीं किया जा सका, जो अभी भी वहां मौजूद है। यह जानकारी उधमपुर नगर परिषद ने अपनी रिपोर्ट में दी है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इसे शटडाउन करने के लिए जम्मू पावर डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (जेपीडीसीएल) के साथ बातचीत चल रही है।

अगले तीन महीनों के भीतर साइट पर बचे इस कचरे को बायो-माइनिंग की मदद से वैज्ञानिक  उपचार के लिए टैन, तालाब कटरा में एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन साइट पर स्थानांतरित करने की योजना है।

सुई झक्खड़ में उस स्थान से जहां सालों पुराना कचरा जमा था, उसे अब साफ कर दिया गया है। इस साइट के चारों ओर एक घेरा बनाया गया है। मौजूदा समय में उधमपुर नगर परिषद करीब 40 मीट्रिक टन कचरा पैदा कर रही है, जिसमें से 50 फीसदी गीला कचरा है। नगर परिषद उधमपुर सितंबर 2023 से आवासीय और वाणिज्यिक दोनों क्षेत्रों से घर-घर जाकर कचरा एकत्र कर रही है। इसके लिए एक आउटसोर्स एजेंसी की मदद भी ली गई है। वे लोगों को कचरे को उसके स्रोत पर ही अलग करने के बारे में भी शिक्षित कर रहे हैं। इस कचरे के निपटान के लिए उधमपुर नगर परिषद ने चार जेसीबी, चार ट्रैक्टर ट्रॉली और चालीस कर्मचारियों को भी लगाया है।

रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई है कि देविका नदी से गाद और बोल्डर हटा दिए गए हैं और दो किलोमीटर क्षेत्र से मलबे और चट्टानों को साफ कर दिया गया है। यह भी कहा गया है कि इस नदी के बाकी चार किलोमीटर के हिस्से को भी मशीनों और श्रमिकों की मदद से तीन महीनों के भीतर साफ कर दिया जाएगा। इसके साथ ही देविका नदी में बहते कचरे को रोकने के लिए संवेदनशील स्थानों पर लोहे की जालियां लगाई गई हैं।

मंदसौर में तेलिया तालाब का किया गया है सीमांकन: रिपोर्ट

मंदसौर में तेलिया तालाब की सीमाएं 'मंदसौर प्रारूप योजना 2035, को ध्यान में रखते हुए चिन्हित की गई हैं। इस बारे में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा दायर अनुपालन रिपोर्ट में कहा गया है कि मानचित्र पर तालाब की सीमाओं को लाल रेखाओं से चिह्नित किया गया है। इसके बाद मौजूदा स्थाई मार्करों का उपयोग करके उस साइट पर जाकर भी इस तालाब की सीमाओं का मिलान किया गया है।

इसके लिए जीएनएसएस रोवर नामक मशीन की भी मदद ली गई है। इसके अतिरिक्त, तेलिया तालाब की सटीक सीमाएं एनआरएससी के उपग्रह से प्राप्त आंकड़ों और मंदसौर ड्राफ्ट प्लान 2035 दोनों का अध्ययन करके निर्धारित की गईं हैं, जो 28 जुलाई, 2021 को किए गए ड्रोन सर्वेक्षण के आधार पर निर्धारित की गई थी।

गौरतलब है कि यह पूरा मामला मंदसौर के तेलिया के फर्जी नक्शे के आधार पर अवैध कब्जे से जुड़ा है। इस मामले में 24 फरवरी, 2024 को मंदसौर के तहसीलदार ने 28 सदस्यों की एक टीम को तेलिया तालाब का सीमांकन करने का आदेश दिया था।

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