नर्मदा प्रदूषण के मामले में एनजीटी ने तुरंत कानूनी कार्रवाई का दिया निर्देश

इस मामले में आवेदक की शिकायत थी कि12 सीवेज नालों के जरिए दूषित पानी को नर्मदा में छोड़ा जा रहा है
नर्मदा प्रदूषण के मामले में एनजीटी ने तुरंत कानूनी कार्रवाई का दिया निर्देश
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जीपीसीबी) के सदस्य सचिव को भरूच में नर्मदा नदी को प्रदूषित करने वाले सीवेज नालों की शिकायतों पर गौर करने का निर्देश दिया है। 10 अप्रैल, 2024 को उन्हें इस मुद्दे के समाधान के लिए त्वरित कानूनी कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया गया है।

गौरतलब है कि यह मामला मां रेवाश्री चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष द्वारा भेजी एक पत्र याचिका के आधार पर पंजीकृत किया गया था। इस याचिका में उन्होंने शिकायत व्यक्त की थी कि 12 सीवेज नालों के जरिए दूषित पानी को नर्मदा में छोड़ा जा रहा है। याचिका में भरूच शहर में सीवेज उपचार संयंत्र परियोजना को भी शीघ्र पूरा करने का अनुरोध किया गया था, जिसमें लम्बे समय से देरी हो रही है।

जानिए क्यों एनजीटी ने सरकारी अधिकारियों को दिया एसओपी का सख्ती से पालन करने का निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पूर्वी बेंच ने 10 अप्रैल, 2024 को असम के सरकारी अधिकारियों को मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है। मामला राज्य में मछलियों के संरक्षण के लिए फॉर्मेल्डिहाइड के हानिकारक उपयोग से जुड़े खतरों की रोकथाम से जुड़ा है।

इस बारे में 20 नवंबर, 2023 को अपने हलफनामे में असम सरकार ने अन्य राज्यों से मछली के आयात, भंडारण और बिक्री को सीमित करने के लिए दिशानिर्देशों (जिसे मानक संचालन प्रक्रिया या एसओपी कहा जाता है) का उल्लेख किया था। इन दिशानिर्देशों में फॉर्मेल्डिहाइड का भी जिक्र किया गया था, जिसका उपयोग इन मछलियों को लंबे समय तक ताजा रखने के लिए किया जा रहा था।

इस बारे में असम सरकार द्वारा नौ फरवरी, 2024 को एक और हलफनामा दायर किया गया था। इस हलफनामे में कहा गया था कि प्रस्तावित दिशानिर्देशों (एसओपी) को आधिकारिक तौर पर मंजूरी दे दी गई है और उसे अधिसूचित कर दिया गया है। इसे 20 जनवरी, 2024 से लागू कर दिया गया है। इसका उद्देश्य सरकार द्वारा फार्मल्डिहाइड के उपयोग के मुद्दे को संबोधित करना है। इसके तहत एक राज्य स्तरीय टास्क फोर्स और जिला स्तरीय टास्क फोर्स का भी गठन किया गया है।

इसके अतिरिक्त, असम में मत्स्य पालन विभाग के आयुक्त और सचिव ने सभी जिला मत्स्य विकास अधिकारियों को एसओपी को लागू करने और फॉर्मेल्डिहाइड से उपचारित मछली के आयात, भंडारण और बिक्री को प्रतिबंधित करने के लिए जिला आयुक्तों के परामर्श से तुरंत जिला स्तरीय कार्य बल स्थापित करने का निर्देश दिया है।

इस मामले में आवेदक ने सात अप्रैल, 2024 को, एक और हलफनामा प्रस्तुत किया जिसमें पुष्टि की गई कि 13 जिलों ने पहले ही अपने जिला स्तरीय कार्य बल का गठन कर लिया है। उन्होंने करीमगंज जिले में एसओपी को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी जानकारी दी है।

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