नर्मदा में जाते कचरे को रोकने में विफल रहने पर लगा 17 करोड़ से ज्यादा का जुर्माना

मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने यह जुर्माना नर्मदा में जा रहे कचरे को रोकने में विफल रहने पर शहरी स्थानीय निकायों पर लगाया है
पवित्र नर्मदा के घाट पर सुबह की पूजा करती महिलाएं; फोटो: आईस्टॉक
पवित्र नर्मदा के घाट पर सुबह की पूजा करती महिलाएं; फोटो: आईस्टॉक
Published on

मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) ने नर्मदा में जा रहे अपशिष्ट को रोकने में विफल रहने पर 12 शहरी स्थानीय निकायों पर 17.22 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है।

यह जानकारी मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 29 नवंबर, 2024 को अपनी रिपोर्ट में दी है। रिपोर्ट एनजीटी द्वारा 10 सितंबर, 2024 को दिए आदेश पर कोर्ट में सबमिट की गई है। गौरतलब है कि इस मामले में नर्मदा में छोड़े जा रहे दूषित कचरे का मुद्दा उठाया गया था।

रिपोर्ट के अनुसार एमपीपीसीबी ने उल्लंघन करने वाले शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के खिलाफ कार्रवाई की है और उन पर पर्यावरणीय मुआवजे की प्रक्रिया को अंतिम रूप दे दिया है।

यह भी पढ़ें
नर्मदा प्रदूषण के मामले में एनजीटी ने तुरंत कानूनी कार्रवाई का दिया निर्देश
पवित्र नर्मदा के घाट पर सुबह की पूजा करती महिलाएं; फोटो: आईस्टॉक

रिपोर्ट में उन शहरी स्थानीय निकायों का भी उल्लेख किया गया है, जिनके खिलाफ पर्यावरण मुआवजा लगाया गया है। इनमें नगर पालिका परिषद, नर्मदापुरम शामिल है, जिसपर एसडब्लूएम नियम 2016 का उल्लंघन करने और सीवेज का निर्वहन करने के लिए 136 लाख रुपए का पर्यावरणीय मुआवजा लगाया गया है। इसी तरह के उल्लंघन के लिए देवास में नगर परिषद नेमावर पर 176 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है।

इसके अलावा, एसपीसीबी ने पिछली रिपोर्ट में कहा था कि धार नगर पालिका परिषद, अनुपपुर नगर परिषद और डिंडोरी नगर पालिका परिषद के लिए जुर्माने को पहले ही अंतिम रूप दे दिया जा चुका है।

यह भी पढ़ें
खत्म हो रही नर्मदा की निर्मलता, कई स्थानों पर डी क्लास में पहुंचा पानी
पवित्र नर्मदा के घाट पर सुबह की पूजा करती महिलाएं; फोटो: आईस्टॉक

असम में स्थापित किए जा रहे हैं 338.5 एमएलडी क्षमता वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट: रिपोर्ट

असम में गंदे पानी के प्रबंधन में 435.5 एमएलडी का अंतर है। इसे हल करने के लिए, 338.5 एमएलडी क्षमता वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) विकसित किए जा रहे हैं। यह संयंत्र विकास के विभिन्न चरणों में हैं।

उदाहरण के लिए नागांव में दो एमएलडी क्षमता वाला संयंत्र स्थापित किया गया है। इस संयंत्र को असम शहरी जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड द्वारा कार्यान्वित किया गया है। यह जानकरी असम के आवास और शहरी मामलों के विभाग द्वारा दायर कार्रवाई रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट शहरी क्षेत्रों में प्रयुक्त जल प्रबंधन की स्थिति को लेकर दायर की गई है।

रिपोर्ट 29 नवंबर, 2024 को एनजीटी साइट पर अपलोड की गई है।

सरकार ने गुवाहाटी में 189 एमएलडी क्षमता वाले तीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित करने के लिए 1460.37 करोड़ रुपए को मंजूरी दी है। यह प्लांट जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) की सहायता से बनाए जाएंगे। गुवाहाटी मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (जीएमडीए) ब्रह्मपुत्र में छोड़े जाने से पहले सिलसाको बील में 15 एमएलडी सीवेज को बैक्टीरिया की मदद से साफ कर रही है।

वहीं 20,000 से कम आबादी वाले शहरों में, आवास और शहरी विभाग मल कीचड़ उपचार संयंत्र के साथ-साथ अपशिष्ट जल के उपचार के लिए प्राकृतिक तरीकों की भी मदद ले रहा है।

गौरतलब है कि एनजीटी ने इस्तेमाल किए गए पानी के प्रबंधन के लिए कम लागत वाले समाधान खोजने का आदेश दिया था। इस आदेश के जवाब में, असम ने कई परियोजनाएं शुरू की हैं। इसके तहत गोलपारा में सात केएलडी, टिटाबर (10 केएलडी), तिनसुकिया (20 केएलडी), मरियानी (5 केएलडी), उत्तरी लखीमपुर (10 केएलडी) और गुवाहाटी में 20 केएलडी क्षमता वाले छह मल कीचड़ उपचार संयंत्र (एफएसटीपी) बनाए गए हैं। यह सभी अगस्त 2024 से काम कर रहे हैं।

इसके अलावा, यूनिसेफ की मदद से 26 और एफएसटीपी बनाए जा रहे हैं, उम्मीद है कि इससे 337 केएलडी की क्षमता बढ़ जाएगी।

गौरतलब है कि एनजीटी के निर्देशानुसार, आवास एवं शहरी विभाग ने एक रिंग फेंस्ड खाता बनाया है। इस खाते में एनजीटी के विभिन्न निर्देशों को ध्यान में रखते हुए 1014.18 करोड़ रुपए जमा किए गए हैं। एनजीटी ने यह निर्देश उपयोग किए पानी के साथ-साथ ठोस कचरे और लम्बे समय से जमा पुराने कचरे के संबंध में दिए गए हैं।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in