
11 जुलाई, 2025 को भोपाल नगर निगम (बीएमसी) की ओर से पेश वकील ने एनजीटी को जानकारी दी है कि भोपाल में जल गुणवत्ता के संबंध में विशेषज्ञों द्वारा वैज्ञानिक अध्ययन किया गया है और रिपोर्ट दो सप्ताह के भीतर प्रस्तुत की जाएगी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सेंट्रल बेंच इस मामले में अंतिम सुनवाई 8 अगस्त, 2025 को करेगी।
यह मामला 19 दिसंबर, 2024 को दैनिक भास्कर में प्रकाशित एक खबर से जुड़ा है, जिसमें भोपाल की झीलों की जल गुणवत्ता को ‘खतरनाक’ बताया गया है।
विश्लेषण से पता चला है कि झीलों के पानी में बड़ी मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक के कण मौजूद हैं। बड़ी झील में यह मात्रा 1,480 से 2,050 कण प्रति घन मीटर तक पाई गई, जबकि एक अन्य झील में यह मात्रा 2,160 से 2,710 कण प्रति घन मीटर तक थी।
केरेवा डैम की जल गुणवत्ता की भी जांच की गई है, जिसमें पाया गया कि ट्रीटमेंट से पहले उसमें प्रति घन मीटर माइक्रोप्लास्टिक के 820 तक कण मौजूद थे, जो ट्रीटमेंट के बाद घटकर 450 रह गए। इसी प्रकार बिरला मंदिर के पास पानी में 450 कण, पिपलिया तालाब में 1765 से 2175 और देवधरम टेकरी में प्रति घन मीटर माइक्रोप्लास्टिक के 600 कण पाए गए।
झारखंड में वन अधिकारियों पर पत्थर माफिया का हमला, एनजीटी सख्त, कलेक्टर से मांगा जवाब
मेदिनीनगर के डिविजनल फारेस्ट ऑफिसर (डीएफओ) ने अपने हलफनामे में टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित उस खबर की पुष्टि की है, जिसमें बताया गया है कि झारखंड में पांच वन अधिकारियों पर पत्थर माफिया ने हमला किया। रिपोर्ट में इस घटना को एक पूर्व नियोजित आपराधिक साजिश बताया गया है, जिसे अवैध खनन में लिप्त लोगों ने कानूनन कार्रवाई रोकने और खनन विरोधी अभियान में शामिल अधिकारियों को नुकसान पहुंचाने के इरादे से अंजाम दिया।
ऐसे में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 9 जुलाई, 2025 को पलामू के जिला मजिस्ट्रेट और कलेक्टर को दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
एनजीटी ने यह भी कहा है कि अधिकारियों को यह स्पष्ट करना होगा कि पर्यावरणीय हर्जाने की वसूली के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे। इसके साथ ही, झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय दिया गया है।
रानाघाट में एसटीपी निर्माण में देरी, एनजीटी ने केएमडीए से मांगा जवाब
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पूर्वी पीठ ने कोलकाता महानगर विकास प्राधिकरण (केएमडीए) से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी ) के निर्माण में आ रही अड़चनों पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।
9 जुलाई, 2025 को दिया यह आदेश रानाघाट नगरपालिका क्षेत्र के सरकारपाड़ा में प्रस्तावित 5.20 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से जुड़ा है। इस प्लांट का निर्माण 0.78 एकड़ भूमि पर किया जाना है।
कोलकाता महानगर विकास प्राधिकरण की ओर से पेश वकील ने अदालत से इस मामले को स्थगित करने का अनुरोध किया, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि जिस 0.78 एकड़ जमीन पर एसटीपी बनना है, उसका कानूनी कब्जा राज्य सरकार ने लिया है या नहीं, और निर्माण में क्या अड़चनें हैं।
1 जुलाई, 2025 को केएमडीए की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है कि यह जमीन एक निजी मालिक की है, जिसे एसटीपी निर्माण के लिए चिह्नित किया गया है। हालांकि साथ ही यह भी कहा गया है कि राज्य प्रशासन द्वारा अब तक औपचारिक रूप से इस जमीन का कब्जा कोलकाता महानगर विकास प्राधिकरण को नहीं सौंपा गया है।
यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि राज्य सरकार ने निजी मालिक से जमीन का कब्जा लिया है या नहीं। केएमडीए का कहना है कि जब तक जमीन का कब्जा उन्हें नहीं मिलता, तब तक एसटीपी निर्माण शुरू नहीं हो सकता। एनजीटी ने इस मामले में अगली सुनवाई से पहले विस्तृत जानकारी और जवाब दाखिल करने को कहा है।