पर्यावरण मंत्रालय द्वारा माइक्रोप्लास्टिक पर जारी एक्शन प्लान को किया जा रहा है लागू : सीपीसीबी

ईपीआर पर भी दिशानिर्देश जारी किए गए हैं, इनके तहत निर्माताओं को कम्पोस्टेबल या बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक बैग और अन्य उत्पादों की मार्केटिंग या उन्हें बेचने से पहले सीपीसीबी से प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा
तेजी से बढ़ता माइक्रोप्लास्टिक; फोटो: आईस्टॉक
तेजी से बढ़ता माइक्रोप्लास्टिक; फोटो: आईस्टॉक
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा एक मार्च 2023 को दिए निर्देशों का पालन करते हुए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने माइक्रोप्लास्टिक से संबंधित गतिविधियों की रूपरेखा तैयार करते हुए एक कार्य योजना तैयार की है। इस योजना को अब केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) सहित विभिन्न संगठनों द्वारा लागू किया जा रहा है।

इस बात की जानकारी सीपीसीबी ने 26 मार्च, 2025 को एनजीटी में दिए अपने जवाब में साझा की है।

सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 16 फरवरी, 2022 को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों में किए गए चौथे संशोधन में अनुसूची II में “प्लास्टिक पैकेजिंग के लिए विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व (ईपीआर) पर दिशानिर्देशों” को शामिल किया गया है।

बता दें कि ईपीआर का अर्थ है कि उत्पादक अपने उत्पादों को उनके जीवन के अंत तक पर्यावरण अनुकूल तरीके से प्रबंधित करने के लिए जिम्मेदार हैं। इन दिशा-निर्देशों के मुताबिक उत्पादकों, आयातकों, ब्रांड मालिकों और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रसंस्करणकर्ताओं को सीपीसीबी के ऑनलाइन पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा।

इन नियमों के तहत कम्पोस्टेबल या बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक कैरी बैग और अन्य उत्पादों के निर्माताओं को इनकी मार्केटिंग या बेचने से पहले सीपीसीबी से प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा।

एनजीटी ने समिति को दिए नाहरगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य के पास अवैध होटल की जांच के आदेश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सेंट्रल बेंच ने नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य के पास चल रहे एक होटल की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति को निर्देश दिया है। मामला राजस्थान के जयपुर का है। इस समिति में राजस्थान के प्रधान मुख्य वन संरक्षक-सह-मुख्य वन्यजीव वार्डन सहित अन्य अधिकारी शामिल होंगें।

25 मार्च, 2025 को दिए अपने इस आदेश में अदालत ने समिति को छह सप्ताह के भीतर साइट का दौरा करने और इस मामले में की गई कार्रवाई पर एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

मामला होटल इंडाना पैलेस के अवैध संचालन से जुड़ा है, जो नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य की सीमा से 95 मीटर की दूरी पर और उसके इको-सेंसिटिव जोन के भीतर मौजूद है। होटल के पास राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड, राज्य वन विभाग, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय भूजल प्राधिकरण से आवश्यक मंजूरी भी नहीं है।

आवेदक ने यह भी जानकारी दी है कि नांगल सुसावतान गांव जो कि नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य के पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र के भीतर मौजूद है, उसमें अवैध वाणिज्यिक और गैर-वनीय गतिविधियां भी चल रही हैं।

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