कॉप29 के बाद आईएनसी-5 से भी निराशा, प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करने पर नहीं बन पाई आम सहमति

बुसान बैठक एक कड़वी सच्चाई को उजागर करती है: यदि महत्वाकांक्षा की कीमत पर आम सहमति प्राप्त करनी हो तो यह पर्याप्त नहीं है
प्लास्टिक से पटी धरती; फोटो: आईस्टॉक
प्लास्टिक से पटी धरती; फोटो: आईस्टॉक
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प्लास्टिक प्रदूषण पर अंतरराष्ट्रीय समझौते की तमाम कोशिशें नाकाम हो गई हैं। गहरे मतभेदों के चलते देशों के बीच आम सहमति नहीं बन पाई है। इसके साथ ही बुसान में चल रही अंतर-सरकारी वार्ता समिति (आईएनसी) की पांचवी बैठक एक दिसंबर को प्लास्टिक प्रदूषण पर अंतराष्ट्रीय संधि के बिना ही समाप्त हो गई।

कई लोगों के लिए यह विफलता गहरा झटका है, जो देशों के बीच गहरे मतभेदों के साथ-साथ आम सहमति की तलाश में किए गए समझौतों को उजागर करता है।

हालांकि सभी पक्षों की आवाज प्रतिबिंबित करने के लिए तैयार किया गया अध्यक्ष का पाठ महत्वाकांक्षा से कमतर साबित हुआ। इसमें कहीं न कहीं मजबूत कार्रवाई का अभाव था। इससे इस बारे में भी गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं कि क्या संधि प्रक्रिया वास्तव में मौजूदा समय की सबसे बड़ी पर्यावरणीय चुनौतियों में से एक से निपटने में सक्षम है?

पिछले दो दिनों के दौरान वैज्ञानिकों, नागरिक समाज, स्वदेशी लोगों, महिलाओं, बच्चों और युवाओं जैसे महत्वपूर्ण समूहों को प्रमुख वार्ताओं से बाहर रखा गया है। इन चर्चाओं में पारदर्शिता की कमी ने आक्रोश को जन्म दिया, कई पक्षकारों ने सवाल उठाया है कि क्या बंद दरवाजों के पीछे लिए गए निर्णय निष्पक्ष थे।

आखिरकार, ये फैसले सीधे तौर पर अरबों लोगों के जीवन को प्रभावित करते हैं, इनमें खासतौर पर कमजोर समुदायों से जुड़े लोग शामिल हैं। फिर भी, उनकी आवाज को अनदेखा कर दिया गया, क्योंकि यह प्रक्रिया निष्पक्षता और जवाबदेही के बजाय त्वरित राजनीतिक सौदों और स्वार्थ को प्राथमिकता देती दिखी।

29 नवंबर, 2024 को सदस्य देशों के साथ अनौपचारिक बातचीत के बाद साझा किए गए चेयर के चौथे मसौदे में कुछ प्रगति जरूर दिखाई दी। लेकिन अगले दो दिनों में बंद कमरे में हुई बैठकों में स्थिति बदल गई। यह दो दिन बातचीत के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुए।

एक दिसंबर को चेयर द्वारा जारी किया पाठ पहले के संस्करणों की तुलना में काफी कमजोर था। इसमें महत्वाकांक्षा की कमी थी। प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के एक साहसिक प्रयास को एक दस्तावेज में बदल दिया गया, जिस पर सहमति तो मिली लेकिन वास्तविक बदलाव के लिए इसमें ताकत की कमी थी।

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किन मुद्दों पर अटके पेंच

एक दिसंबर को आयोजित पूर्ण अधिवेशन में समिति के भीतर मतभेद देखने को मिले। रवांडा, मैक्सिको और पनामा जैसे देशों ने खासकर प्लास्टिक उत्पादन और हानिकारक रासायनिक विनियमन जैसे विवादास्पद मुद्दों पर एक मजबूत संधि के लिए जोर दिया।

उन्होंने एक ऐसी संधि की आवश्यकता पर बल दिया जो प्लास्टिक प्रदूषण के मूल कारणों से निपटे, न कि केवल इसके प्रभावों से। इन देशों ने प्लास्टिक उत्पादन को कम करने और उद्योगों को जवाबदेह बनाने के लिए सार्थक कार्रवाई का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि समस्या इतनी गंभीर है कि आधे-अधूरे और कमजोर समाधान कारगर नहीं हो सकते।

दूसरी ओर, सऊदी अरब और कुवैत जैसे देश, जो समान विचारधारा वाले देशों के गठबंधन का प्रतिनिधित्व करते हैं, उन्होंने महत्वाकांक्षी प्रस्तावों का विरोध किया। सऊदी अरब प्लास्टिक उत्पादन, हानिकारक रसायनों और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं पर उपायों का विरोध करने में विशेष रूप से सक्रिय था।

उन्होंने प्लास्टिक पर निर्भर उद्योगों के लिए आर्थिक जोखिमों का हवाला देते हुए कड़े उपायों का विरोध किया। इस गठबंधन का प्रभाव पूरी वार्ता में स्पष्ट था क्योंकि वार्ता साहसिक प्रतिबद्धताओं से दूर हटकर कमजोर ढांचे की ओर बढ़ गई थी।

अमेरिका में होने वाला राजनीतिक बदलाव, जिसमें ट्रम्प प्रशासन का सत्ता पर काबिज होना शामिल है, अनिश्चितता को और बढ़ा देता है। इस बदलाव से कम महत्वाकांक्षा वाले गुट के मजबूत होने की आशंका है, क्योंकि अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल पहले ही उत्पादन में कटौती जैसी कई प्रतिबद्धताओं से पीछे हट चुका है।

अमेरिकी नीति में बदलाव तथा अन्य देशों के मौजूदा प्रतिरोध के कारण यह संदेह पैदा होता है कि क्या संधि आज के राजनीतिक माहौल में अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकती है।

हालांकि इन चुनौतियों के बावजूद, अध्यक्ष द्वारा एक दिसंबर को प्रस्तुत पाठ भविष्य की वार्ताओं के लिए आधार के रूप में काम करेगा। इसमें कुछ सकारात्मक बिंदु शामिल हैं, जैसे मानव स्वास्थ्य और प्लास्टिक के पूरे जीवनचक्र पर अधिक ध्यान देना। पाठ में प्लास्टिक, प्लास्टिक प्रदूषण और प्लास्टिक अपशिष्ट जैसे महत्वपूर्ण शब्दों को भी परिभाषित किया है, जो स्पष्ट समझ और कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए आधार प्रदान करता है।

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इसके अतिरिक्त, प्रतिबंधित उत्पादों और रसायनों की सूची वाले अनुलग्नकों को जोड़ना वैश्विक सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सिंगल यूज और अल्पकालिक प्लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की योजना सबसे हानिकारक प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने की स्पष्ट प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

अभी भी जीवित हैं उम्मीदें

इस पाठ में पारदर्शिता पर भी ध्यान दिया गया है। इसमें आंकड़ों की रिपोर्टिंग अनिवार्य की गई है। इससे जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद मिलती है और पक्षकारों एवं आम लोगों को प्रगति पर नजर रखने का मौका मिलता है। इसके अतिरिक्त, दस्तावेज में प्लास्टिक कचरे को खुले में फेंकने और जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है, जो पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है।

प्लास्टिक से जुड़े क्षेत्रीय मुद्दों पर फोकस पाठ को शक्ति प्रदान करता है। इसमें मछली पकड़ने के उपकरण, प्लास्टिक के छर्रे और माइक्रोप्लास्टिक से होने वाले उत्सर्जन जैसे विशिष्ट क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है, जो समुद्र में बढ़ते प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं। छोटे पैमाने के मछुआरों को शामिल करके के साथ-साथ अन्य बहुपक्षीय पर्यावरणीय समझौतों (एमईए) के साथ जुड़कर, यह इन समस्याओं को हल करने के लिए अधिक समन्वित दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है।

गैर-विषाक्त पुनःउपयोग प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करना, माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण को कम करना, तथा अपशिष्ट पदानुक्रम का पालन करना, टिकाऊ उत्पाद डिजाइन और अपशिष्ट प्रबंधन के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

हालांकि, ये सकारात्मक पहलू महत्वपूर्ण अंतराल और खामियों के कारण दब गए हैं। उत्पाद विनियमन के वैश्विक मानदंड कमजोर हो गए हैं, क्योंकि स्वास्थ्य या पर्यावरणीय जोखिमों को साबित करने के लिए "पर्याप्त" वैज्ञानिक साक्ष्य की आवश्यकता होने से कार्रवाई में संभावित देरी हो सकती है।

प्लास्टिक उत्पादन, हानिकारक रसायनों और वित्तपोषण पर मजबूत प्रावधानों की कमी संधि के संभावित प्रभाव को और कमजोर करती है। छूट एक और विवादास्पद मुद्दा बना हुआ है, क्योंकि उन्हें देने और बढ़ाने की प्रक्रिया में दुरुपयोग को रोकने के लिए स्पष्ट नियमों का अभाव है।

अगली आईएनसी बैठक का स्थान और समय अभी तय नहीं हुआ है, इन निर्णयों को लेने की जिम्मेदारी ब्यूरो की है। इस बीच, 2024 के अंत तक संधि करने का लक्ष्य हासिल नहीं हुआ है।

हालांकि अभी भी उमीदें खत्म नहीं हुई हैं। 100 से ज्यादा देश "इच्छुक गठबंधन" में शामिल हो चुके हैं, जो एक मजबूत और महत्वाकांक्षी संधि के लिए लड़ने का वादा करता है। यह समूह उत्पादन, हानिकारक रसायनों और विकासशील देशों के लिए वित्तीय सहायता जैसे मुद्दों पर सख्त नियम बनाने के लिए दबाव बनाने में एक महत्वपूर्ण शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।

बुसान बैठक एक कठोर वास्तविकता को रेखांकित करती है: महत्वाकांक्षा की कीमत पर आम सहमति प्राप्त करना पर्याप्त नहीं है। एक संधि जो प्लास्टिक प्रदूषण के मूल कारणों को संबोधित करने में विफल रहती है, वह इस संकट के कारण होने वाली पर्यावरणीय, स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याओं को कम करने में बहुत अधिक मदद नहीं करेगी।

जैसे-जैसे वार्ता जारी रहेगी, वैश्विक समुदाय को एक ऐसे ढांचे की मांग करनी चाहिए जो निष्पक्षता, जवाबदेही और सार्थक कार्रवाई पर केंद्रित हो। इससे कम कुछ भी जोखिम भरा है। प्लास्टिक संधि के रूप में दुनिया को जिस बदलाव लाने वाले समाधान की सख्त जरूरत है, इनके बिना वो एक खोखला वादा बनकर रह जाएगी।

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