ग्लोबल प्लास्टिक प्रोफाइल: वित्तीय तंत्र के मुद्दे पर कहां खड़े हैं देश?

जिन विकल्पों पर विचार किया जा रहा है, उनमें उत्पादकों से योगदान, प्लास्टिक उत्पादों पर शुल्क और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से प्राप्त धन का उपयोग करना शामिल है
प्लास्टिक कचरे का जमा पहाड़, फोटो: आईस्टॉक
प्लास्टिक कचरे का जमा पहाड़, फोटो: आईस्टॉक
Published on

वित्तपोषण संबंधी तंत्र, संधि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यह तंत्र प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराते हैं।

गौरतलब है कि दुनिया भर में प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए वार्ता का दौर दक्षिण कोरिया के बुसान में शुरू हो चुका है। अंतर-सरकारी वार्ता समिति (आईएनसी-5) की इस पांचवीं बैठक में करीब 140 देशों ने वित्तपोषण और कार्यान्वयन योजनाओं पर प्रस्ताव और दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं।

वार्ता का मुख्य उद्देश्य वित्तपोषण से जुड़े एक स्थाई मॉडल को तैयार करना है, ताकि विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे के निर्माण के साथ-साथ अपशिष्ट प्रणालियों में सुधार और साफ-सुथरी तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा दिया जा सके।

इसके तहत जिन विकल्पों पर विचार किया जा रहा है, उनमें उत्पादकों से योगदान, प्लास्टिक उत्पादों पर शुल्क और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से प्राप्त धन का उपयोग शामिल है

घाना और फिलीपींस दोनों मजबूत वित्तीय प्रतिबद्धताओं की वकालत करते हैं। घाना का सुझाव है कि वैश्विक प्लास्टिक शुल्क प्लास्टिक के उत्पादन और आपूर्ति के आधार पर लगाया जाना चाहिए। वहीं फिलीपींस पक्षों की भूमिकाओं को रेखांकित करते हुए एक स्पष्ट योजना चाहता है, जिसमें दिखाया जाए कि कौन क्या कर रहा है। पैसा कहां से आएगा और इसका प्रबंधन कैसे किया जाएगा, यह स्पष्ट होना चाहिए।

यह भी पढ़ें
आईएनसी-5 बुसान: मजबूत प्लास्टिक संधि के लिए समान विचारधारा वाले देशों के बीच सहयोग की है दरकार
प्लास्टिक कचरे का जमा पहाड़, फोटो: आईस्टॉक

वहीं समोआ, कुवैत, अमेरिका, ब्राजील, बांग्लादेश, सोमालिया, रवांडा, ब्रिटेन, माइक्रोनेशिया, इंडोनेशिया और पनामा जैसे देशों ने संसाधन जुटाने, तकनीकी सहायता और साथ मिलकर काम करने पर केंद्रित योजनाओं का समर्थन किया है।

अमेरिका ने अधिक सुव्यवस्थित समर्थन के लिए वित्तपोषण और क्षमता निर्माण को "कार्यान्वयन के साधन" के रूप में योजनाओं का हिस्सा बनाने पर जोर दिया है। वहीं ब्राजील ने तकनीकी और वैज्ञानिक सहयोग पर जोर देने का प्रस्ताव रखा है, जिसका पनामा ने भी समर्थन किया है।

भारत ने वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण शुल्क को किया अस्वीकार

दूसरी ओर भारत, यूरोपियन यूनियन, जापान और ईरान जैसे देशों ने सशर्त समर्थन की पेशकश की है। उन्होंने राष्ट्रीय जिम्मेदारियों पर जोर दिया है और चाहते हैं कि किन देशों को मदद दी जाएगी इसकी पात्रता की कुछ सीमाएं निर्धारित होनी चाहिए।

भारत ने वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए एक तंत्र स्थापित करने का सुझाव दिया है, लेकिन साथ ही प्लास्टिक प्रदूषण पर वैश्विक शुल्क को अस्वीकार कर दिया है। इसके बजाय, भारत ने इस उद्देश्य के लिए एक विशेष निधि की मांग की है।

यह भी पढ़ें
प्लास्टिक प्रदूषण से निजात के लिए अब बुसान में जुटे दुनिया भर के देश
प्लास्टिक कचरे का जमा पहाड़, फोटो: आईस्टॉक

यूरोपियन यूनियन ने विशेष रूप से छोटे विकासशील द्वीपीय देशों (एसआईडीएस.) और कमजोर देशों (एलडीसी) के लिए धन जुटाने का समर्थन किया है। साथ ही केवल "वित्त पोषण” के स्थान पर “संसाधनों को जुटाने” का प्रस्ताव रखा है।

वहीं जापान ने इस बात पर जोर दिया है कि हर देश को प्लास्टिक कचरे को नियंत्रित करने की जिम्मेवारी लेनी चाहिए। भारत की तरह ईरान ने भी प्राथमिक वित्तीय साधन के रूप में एक विशेष कोष की वकालत की है।

कजाकिस्तान और कुवैत ने वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण शुल्क को नकार दिया है। कजाकिस्तान ने दोनों पक्षों के योगदान पर स्पष्टीकरण की मांग की है।

इस बारे में अधिक जानकारी आप सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट द्वारा जारी नई रिपोर्ट से प्राप्त कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें
प्लास्टिक प्रदूषण: ओटावा में सुस्त रही चौथे दौर की वार्ता, महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने में हाथ लगी विफलता
प्लास्टिक कचरे का जमा पहाड़, फोटो: आईस्टॉक

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in