
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पूर्वी बेंच ने पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पर्यावरण नियमों का उल्लंघन कर रही फैक्ट्रियों और वर्कशॉप्स के खिलाफ की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामला पश्चिम बंगाल में हावड़ा जिले के पुरबान्नापाड़ा गांव का है। इसपर 16 अप्रैल 2025 को सुनवाई हुई थी।
एनजीटी ने यह निर्देश उस रिपोर्ट के आधार पर दिया है जिसमें कहा गया था कि चार दिसंबर 2024 को क्षेत्र का निरीक्षण किया गया और उस दौरान कई पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन पाया गया था।
याचिकाकर्ता नंदिनी चक्रवर्ती ने इस इलाके की स्थिति और प्रदूषण से जुड़ी समस्याओं को दर्शाते हुए कई तस्वीरें भी ट्रिब्यूनल में दायर की हैं। एनजीटी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इन तस्वीरों में दिखाए गए मुद्दों को भी कार्रवाई रिपोर्ट में संबोधित करने को कहा है।
यह मामला 18 जुलाई 2024 को भेजी गई एक ईमेल याचिका के आधार पर दर्ज किया गया है। इसमें आरोप लगाया गया है कि हावड़ा के डोमजुर ब्लॉक के मकरदह मौजा में स्थित पुरबान्नापाड़ा गांव के आसपास चल रही फैक्ट्रियों और वर्कशॉप्स से निकलने वाली जहरीली गैसों के चलते स्थानीय लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है।
इसके अलावा यह भी आरोप लगाया गया है कि इलाके की सरस्वती नहर में कई फैक्ट्रियां गंदा पानी और औद्योगिक कचरा छोड़ रही हैं, जिससे नहर अवरुद्ध हो गई है और आसपास का पर्यावरण बुरी तरह बिगड़ गया है।
कुशक और सुनेहरी पुल नाले में गंदगी का अंबार, एनजीटी ने तुरंत एक्शन लेने का दिया निर्देश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को सूचित किया गया है कि दिल्ली के कुशक और सुनेहरी पुल नाले के ढके हुए हिस्सों की सफाई और गाद हटाने (डीसिल्टिंग) की जिम्मेदारी पूरी तरह नगर निगम दिल्ली (एमसीडी) की है।
16 अप्रैल, 2025 को ट्रिब्यूनल को बताया गया है कि इस बात पर सहमति बनी है कि अन्य एजेंसियां इस प्रक्रिया में मदद करेंगी। दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) और सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग (आईएंडएफसीडी) के अधिकारी इस सिलसिले में मुख्य सचिव, दिल्ली सरकार की अध्यक्षता में हुई बैठक में शामिल हुए थे। इस दौरान एमसीडी को उसकी जिम्मेवारी स्पष्ट रूप से बता दी गई है।
दिल्ली के मुख्य सचिव ने वर्चुअली उपस्थित होकर अदालत को बताया है कि इन ढंके हिस्सों को तय दूरी पर तोड़ा जाएगा। शुरुआत में 50 मीटर हिस्से को खोला और 10 दिनों में साफ किया जाएगा। यही प्रक्रिया आगे भी ढके हुए हिस्से के लिए अपनाई जाएगी।
एमसीडी आयुक्त ने बताया है कि जहां तक डिफेंस कॉलोनी क्षेत्र से बहने वाले नाले का सवाल है, उसके पूरे हिस्से की सफाई —चाहे वह खुला हो या ढका—उसकी जिम्मेवारी एमसीडी की है। उन्होंने कहा कि नाले के ढके हुए हिस्से को गाद निकालने के लिए लंबे समय तक खोला जाएगा।
जहां तक कुशक और सुनेहरी पुल नालों का सवाल है, इनके खुले हिस्सों की सफाई आईएंडएफसीडी करेगा, जबकि ढके हुए हिस्से की सफाई एमसीडी करेगी।
डीजेबी के वरिष्ठ वकील ने कहा कि बोर्ड एमसीडी को इस काम में पूरा सहयोग देगा। एमसीडी की ओर से बताया गया कि तीन दिन में आयुक्त का हलफनामा दाखिल किया जाएगा। इसमें सफाई की समयसीमा, पूरी योजना और जिम्मेदार अधिकारियों की जानकारी होगी।
एनजीटी ने निर्देश दिया है कि हलफनामे में साफ किया जाए कि किन अधिकारियों को काम की निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है, और तय समयसीमा का पालन सुनिश्चित किया जाए। एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि नालों से निकाली गई गाद को उचित ढंग से रखा जाए और तय स्थानों पर ही ले जाया जाए, ताकि स्वास्थ्य और ट्रैफिक की समस्या न हो।
यह मामला दिल्ली के 24 नालों की डी-सिल्टिंग से जुड़ा है, जिसमें खास ध्यान कुशक और सुनेहरी पुल नालों पर दिया गया है ताकि मानसून से पहले सफाई पूरी हो सके।
कोर्ट आयुक्त सिद्धार्थ लूथरा की रिपोर्ट का हवाला देते हुए सीनियर वकील ने बताया कि सुनेहरी पुल नाले का एक हिस्सा पूरी तरह ढका है। जहां-जहां से नाला ढका है, वहां के मैनहोल टूटे हुए हैं और लोहे की चादरें जंग खा चुकी हैं। तस्वीरों में दिखाया गया कि ढंके हिस्से में भारी मात्रा में निर्माण संबंधी मलबा और कचरा जमा है, जिसे साफ करने की जरूरत है।
यह भी पाया गया कि खुले हिस्से से कचरा दोबारा नाले में गिर रहा है और कुछ जगहों पर गंदा पानी सीधे बरसाती नालों में डाला जा रहा है, जो नियमों का उल्लंघन है। वकील ने तस्वीरों का हवाला देते हुए उस जगह की दयनीय स्थिति को दर्शाया जहां कुशक और सुनेहरी नाले के मिल रहे हैं।