पंजाब में पराली में आग ने बिगाड़ी हवा की सेहत, एनजीटी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मांगी रिपोर्ट

पंजाब में पराली में आग ने बिगाड़ी हवा की सेहत, एनजीटी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मांगी रिपोर्ट

द हिंदू के मुताबिक इस साल पंजाब में खेतों में आग लगने की 656 घटनाएं देखी गई हैं। जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 63 फीसदी अधिक हैं
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 20 अक्टूबर, 2023 को पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) और राज्य अधिकारियों को पंजाब के हॉटस्पॉट जिलों में सबसे प्रदूषित क्षेत्रों का पता लगाने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने वहां की समस्याओं से निपटने के लिए उचित कार्रवाई करने को भी कहा है। एनजीटी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को हर क्षेत्र में पराली और फसलों के बचे अवशेष के प्रबंधन के लिए योजना तैयार करने और साझा करने का निर्देश दिया है।

साथ ही एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता के प्रबंधन के लिए बनाए आयोग को भी एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। ट्रिब्यूनल ने पंजाब के मुख्य सचिव और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को भी नोटिस देने को कहा है। मामले में अगली सुनवाई आठ नवंबर, 2023 को होगी।

गौरतलब है कि मामला पंजाब में पराली जलाने से बढ़ते वायु प्रदूषण से जुड़ा है। इस बारे में द हिंदू अखबार में छह अक्टूबर, 2023 में प्रकाशित एक खबर में जानकारी दी गई थी कि राज्य में खेतों में आग की 656 घटनाएं देखी गई हैं। जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 63 फीसदी अधिक हैं। पिछले साल इस दौरान खेतों में आग लगने की कुल 415 घटनाए दर्ज की गई थी।

इस दौरान खेतों  में आग की सबसे ज्यादा घटनाएं अमृतसर में दर्ज की गई हैं, जिनकी कुल संख्या 429 है। वहीं तरनतारन साहिब जिला ऐसी 88 घटनाओं के साथ दूसरे स्थान पर है।

दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए क्या कुछ उठाए गए हैं कदम, रिपोर्ट दाखिल करें: एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 20 अक्टूबर 2023 को अधिकारियों से कहा है कि उन्होंने दिल्ली में विभिन्न स्रोतों से होने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए क्या किया है, इस पर एक रिपोर्ट पेश करें। हवा की गुणवत्ता को सुरक्षित सीमा के भीतर बनाए रखने के लिए, विशेष रूप से आगामी सर्दियों को देखते हुए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) नामक योजना का पालन करने की आवश्यकता है। यह आम लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए बेहद आवश्यक है।

इस मामले में दिल्ली के मुख्य सचिव, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के सदस्य सचिव, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के आयुक्त, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण के सदस्य सचिव और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को नोटिस जारी किया गया था।

गौरतलब है कि यह मामला अदालत ने दिल्ली एनसीआर में खराब होती वायु गुणवत्ता और लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ते प्रभावों की खबरों के मद्देनजर स्वतः संज्ञान में लिया है। अदालत ने एक अखबार की रिपोर्ट पर गौर किया है जिसमें कहा गया है कि कनॉट प्लेस में 22.9 करोड़ रुपए खर्च करके बना स्मॉग टॉवर पिछले सात महीनों से खराब पड़ा है।

द टाइम्स ऑफ इंडिया में 20 अक्टूबर, 2023 को छपी की एक विशेषज्ञ की राय में कहा गया है कि इतने महंगे स्मॉग टॉवर को लगाना पैसे की बर्बादी है, जब यह शहर की वायु गुणवत्ता को साफ रखने में मदद नहीं कर रहा। वहीं वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने उसके द्वारा की गई कार्रवाइयों पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए कोर्ट से कुछ और समय मांगा है।

यदाद्रि भुवनागिरी में एफ्लुएंट से जुड़े नियमों का पालन नहीं कर रहे उद्योग: सीपीसीबी रिपोर्ट

यदाद्रि भुवनागिरी जिले के चौटुप्पल में भूजल के विश्लेषण से पता चला है कि वहां पानी की गुणवत्ता चल रहे तीन फार्मास्युटिकल उद्योगों से प्रभावित नहीं हुई थी। यदाद्री भुवनगिरी जिला प्रशासन द्वारा नियुक्त तेलंगाना के विभिन्न विभागों की एक संयुक्त समिति और सीएसआईआर - राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान की एक रिपोर्ट में भी यही बात सामने आई थी।

यह बातें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेन्नई स्थित क्षेत्रीय निदेशालय ने अपनी निरीक्षण रिपोर्ट में कही हैं। हालांकि रिपोर्ट से पता चला है कि इन तीन में से दो उद्योग मेसर्स श्रीनी फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड और मेसर्स मारुति कॉटेक्स लिमिटेड भूमि पर एफ्लुएंट छोड़े जाने के साथ कचरे को सही से अलग करने, उपचार संयंत्रों (ईटीपी) को ठीक से संचालित करने और फ्लो मीटर को अन्य से जोड़ने से सम्बंधित नियमों का पालन नहीं कर रहे थे।

ऐसे में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने सिफारिश की है कि तेलंगाना राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए कि ये उद्योग शून्य तरल निर्वहन (जेडएलडी) को सुनिश्चित करें।

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