कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक नया आदेश पारित कर पश्चिम बंगाल में पर्यावरण अनुकूल पटाखों की बिक्री सुनिश्चित करने के लिए कहा है। हाई कोर्ट का आदेश है कि 18 अक्टूबर, 2022 से कोलकाता के बाजी बाजार में केवल क्यूआर कोड आधारित पर्यावरण अनुकूल पटाखों के अलावा कोई भी अन्य पटाखा नहीं बेचा जाएगा।
साथ ही कोर्ट ने पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ-साथ कोलकाता पुलिस आयुक्त को भी निर्देश दिया है कि उक्त आदेश के पालन के लिए बाजी बाजार में उचित संख्या में कर्मियों को तैनात किया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति जोयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति अपूर्व सिन्हा रे की पीठ ने निदेश दिया है कि पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन और राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान के प्रतिनिधि भी बाजी बाजार में मौजूद रहेंगें और वो पटाखों का निरीक्षण करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पुलिस कर्मियों की सहायता करेंगें।
इस मामले में याचिकाकर्ता साबुज मंच का कहना है कि न तो पश्चिम बंगाल राज्य और न ही राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पर्यावरण अनुकूल पटाखों की बिक्री और छोड़े जाने को सुनिश्चित करने के लिए कोई तंत्र तैयार नहीं किया गया है। जिसके चलते पिछले कई वर्षों से शहर और राज्य के अन्य हिस्सों में गंभीर ध्वनि और वायु प्रदूषण हो रहा है। उन्होंने राज्य में पटाखों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग भी की है ।
धताव में कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट को मानकों के अनुसार किया जा रहा है अपग्रेड: समिति रिपोर्ट
रायगढ़ के धताव में संचालित कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) को अपेक्षित मानकों के अनुसार अपग्रेड किया जा रहा है। यह जानकारी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा 6 जुलाई, 2022 को दिए आदेश के पालन में गठित संयुक्त समिति की रिपोर्ट में सामने आई है। यह प्लांट मैसर्स रोहा इंडस्ट्रियल एसोसिएशन द्वारा महाराष्ट्र के धताव गांव में संचालित है।
गौरतलब है कि आर्यावर्त फाउंडेशन ने मुंबई से 120 किलोमीटर दूर रोहा औद्योगिक क्षेत्र में संचालित कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट द्वारा किए जा रहे पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के संबंध में एनजीटी के समक्ष एक आवेदन दायर किया था। महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम ने रायगढ़ में मौजूद रोहा औद्योगिक क्षेत्र को एक रासायनिक क्षेत्र घोषित किया है।
एक संयुक्त समिति ने 2 सितंबर, 2022 को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के साथ इस साइट का दौरा किया था। दौरे के दौरान सीईटीपी को अपग्रेड करने का कार्य प्रगति पर था। यह बताया गया है कि इस प्लांट में सुधार और अपग्रेड के काम को पूरा करने के लिए 30 अगस्त, 2022 तक का समय दिया गया था। हालाँकि, कोविड के कारण इसमें देरी हुई है और इसे 31 जनवरी, 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा।
पटला चेरुवु झील पर मंडरा रहा है अतिक्रमण का खतरा: रिपोर्ट
मानवाधिकार एवं उपभोक्ता संरक्षण प्रकोष्ठ ट्रस्ट द्वारा एनजीटी के समक्ष दायर रिपोर्ट में कहा गया है कि पटला चेरुवु झील पर अतिक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। इस मामले में आवेदक का कहना है कि तेलंगाना के सांगा रेड्डी जिले के पटेलगुडा गांव में झील कृत्रिम बांध और बाढ़ के पानी के नालों द्वारा किए जा गए अतिक्रमण के चलते सूख गई है।
आवेदक ने झील के पास बनाए गए कृत्रिम बांध की तस्वीरों को कोर्ट में प्रस्तुत किया है। इस बांध के कारण जलग्रहण क्षेत्र से बारिश का पानी और झील में प्राकृतिक बाढ़ के पानी को पहुंचाने वाले नाले पूरी तरह से बंद हो गए हैं, जिसकी वजह से यह झील पूरी तरह से सूख गई है। इन तस्वीरों में मूल बांध को दिखाया गया है जिस पर सीमेंट कंक्रीट की सड़क बनाई गई है और अवैध इमारतों का निर्माण किया जा रहा है।