अवैध खनन की मार झेलती आम जनता, पंजाब में स्वान नदी पर बने पुल को पहुंचा नुकसान

खबर मिली है कि इस पुल के बंद होने से रूपनगर के कम से कम 200 गांवों के ग्रामीणों को 30 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ रहा है
अवैध खनन की मार झेलती आम जनता, पंजाब में स्वान नदी पर बने पुल को पहुंचा नुकसान
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अत्यधिक रेत खनन के कारण स्वान नदी पर बने एक पुल को बंद करने की खबर को गंभीरता से लेते हुए एनजीटी ने पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। यह पुल नंगल को गढ़शंकर से जोड़ता है।

गौरतलब है कि 20 मई, 2024 को दिए अपने इस आदेश में ट्रिब्यूनल ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के चंडीगढ़ स्थित क्षेत्रीय कार्यालय और रूपनगर के उपायुक्त और जिला मजिस्ट्रेट को भी नोटिस जारी कर उनका जवाब मांगा है। इन सभी से मामले की अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले अपनी प्रतिक्रिया दाखिल करने को कहा गया है। बता दें कि इस मामले में अगली सुनवाई 28 अगस्त, 2024 को होनी है।

इसके साथ ही कोर्ट ने सीपीसीबी से साइट का निरीक्षण करने और अवैध खनन की सीमा का पता लगाने को भी कहा है। सीपीसीबी से इस बाबत ट्रिब्यूनल के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया गया है।

गौरतलब है कि 10 अप्रैल, 2024 को इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक खबर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए अदालत ने यह मामला पंजीकृत किया था। इस खबर में अत्यधिक रेत खनन के कारण नंगल को गढ़शंकर से जोड़ने वाले पुल के बंद होने को उजागर किया गया था। यह पुल स्वान नदी पर बना है।

खबर मिली है कि इस पुल के बंद होने की वजह से रूपनगर के कम से कम 200 गांवों के ग्रामीणों को 30 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ रहा है। खबर में यह भी जानकारी दी गई है कि इस पुल को बंद हुए तीन महीने हो चुके हैं। ऐसे में ग्रामीणों और रोपड़ के नंगल शहर में रहने वाले के पास हिमाचल प्रदेश में प्रवेश कर होशियारपुर जिले के गढ़शंकर तक पहुंचने के लिए 30 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश से होकर जाने की वजह से उन्हें न चाहते हुए भी प्रवेश शुल्क का भुगतान करना पड़ रहा है।

खबर में दावा किया गया है कि सतलुज की सहायक स्वान नदी की यात्रा के दौरान, यह देखा गया कि बंद पुल को बायपास करने के लिए नदी के तल से यातायात शुरू हो गया है। यह भी उल्लेख किया गया है कि क्षेत्र में हो रहे खनन के बारे में अधिकारियों को कई बार सूचित किया गया, और जानकारी दी गई कि किया जा रहा खनन तय सीमा से अधिक है। इसकी वजह से पुल के खंभों के लिए खतरा पैदा हो सकता है।

इसके अतिरिक्त, यह भी सामने आया है कि नदी तट पर 30 मीटर से अधिक गहरे गड्ढे बन गए हैं। हालांकि इसके बावजूद मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई। खबर में यह भी कहा गया है कि खनन और उसके बाद हुए क्षरण से पुल की नींव कमजोर पड़ गई। नतीजन गढ़शंकर की तरफ इसको नुकसान पहुंचा है। गुरदासपुर, पठानकोट, जालंधर, तरनतारन और होशियारपुर जिलों सहित कई गांवों में वक्त-बेवक्त अवैध खनन का कारोबार चल रहा था।

खबर में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि निवासियों के मुताबिक, खनन ने नदी के तटबंधों को कमजोर कर दिया है, जिससे बाढ़ का पानी उनके गांवों में प्रवेश कर गया है। इसकी वजह से भूजल का स्तर भी 20 से 100 फीट तक गिर गया है। बाढ़ की वजह से संपत्तियों को नुकसान हो रहा है, और कभी-कभी घर भी डूब जाते हैं।

खबर में रेत खनन दिशानिर्देश, 2016 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के उल्लंघन को भी उजागर किया है। ऐसे में अदालत ने स्वीकार करते हुए कहा है कि खबर में पर्यावरण मानदंडों और कानूनों के अनुपालन को लेकर महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए हैं।

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