जलवायु परिवर्तन और नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन से बढ़ रहा है ओजोन प्रदूषण: रिपोर्ट

शोध के अनुसार, मिट्टी से नाइट्रस एसिड का उत्सर्जन 1980 में 9.4 टेराग्राम नाइट्रोजन से बढ़कर 2016 में 11.5 टेराग्राम नाइट्रोजन हो गया
जलवायु परिवर्तन और उर्वरकों के बढ़ते उपयोग से मिट्टी से नाइट्रस एसिड (एचओएनओ) उत्सर्जन में लगातार वृद्धि होगी
जलवायु परिवर्तन और उर्वरकों के बढ़ते उपयोग से मिट्टी से नाइट्रस एसिड (एचओएनओ) उत्सर्जन में लगातार वृद्धि होगीफोटो साभार: आईस्टॉक
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दुनिया भर में ओजोन प्रदूषण एक बहुत बड़ी पर्यावरणीय समस्या बनी हुई है, जो न केवल मनुष्य के स्वास्थ्य और फसल उत्पादन को खतरे में डालती है, बल्कि ग्लोबल वार्मिंग को भी बढ़ाती है। ओजोन के निर्माण के लिए अक्सर मानवजनित प्रदूषकों को जिम्मेदार ठहराया जाता है, यहां मिट्टी से होने वाले उत्सर्जन को एक और बड़े स्रोत के रूप में सामने लाया गया है।

हांगकांग पॉलिटेक्निक यूनिवर्सिटी (पॉलीयू) के शोधकर्ताओं ने 1980 से 2016 तक दुनिया भर में मिट्टी में नाइट्रस एसिड (एचओएनओ) के उत्सर्जन के आंकड़ों की जांच-पड़ताल की है। साथ ही उन्हें एक रसायन विज्ञान-जलवायु मॉडल में शामिल किया है, ताकि हवा में ओजोन मिश्रण अनुपात की वृद्धि और वनस्पति पर इसके बुरे प्रभाव में मिट्टी से होने वाले एचओएनओ उत्सर्जन की अहम भूमिका का खुलासा किया जा सके।

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जलवायु परिवर्तन और उर्वरकों के बढ़ते उपयोग से मिट्टी से नाइट्रस एसिड (एचओएनओ) उत्सर्जन में लगातार वृद्धि होगी

मिट्टी की सूक्ष्मजीवों की गतिविधियां और कृषि पद्धतियां, विशेष रूप से उर्वरकों का उपयोग, मिट्टी से विभिन्न गैसों को वायुमंडल में छोड़ते हैं।

पिछले अध्ययनों में पाया गया है कि मिट्टी से निकलने वाले एचओएनओ उत्सर्जन का वायुमंडलीय एचओएनओ मिश्रण अनुपात में 80 फीसदी तक के लिए जिम्मेवार है। वायुमंडल में मौजूद अन्य प्रदूषकों के साथ एचओएनओ की परस्पर क्रिया ओजोन के रासायनिक उत्पादन के लिए जरूरी है। एचओएनओ अपने पूर्ववर्ती नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओएक्स) की मात्रा को बढ़ाकर ओजोन निर्माण को भी बढ़ावा देता है।

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शोध में कहा गया है कि शोधकर्ताओं ने दुनिया भर के विविध पारिस्थितिकी तंत्रों से मिट्टी के एचओएनओ उत्सर्जन की माप का एक डेटासेट तैयार किया है और उत्सर्जन द्वारा लाए गए प्रभाव को मापने के लिए एक मात्रात्मक पैरामीटरीकरण योजना का बीड़ा उठाया है।

इस शोध ने मिट्टी के तापमान और मिट्टी में पानी की मात्रा जैसे जलवायु कारणों और उर्वरक के प्रकार और खाद डालने की दरों सहित कई बदलने वाली चीजों को एकीकृत करके व्यापक डेटासेट माप को संभव बनाया है।

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सूक्ष्मजीवों की गतिविधियों, भूमि उपयोग और मिट्टी की बनावट जैसे अन्य कारणों के लिए, शोधकर्ताओं ने संबंधित मिट्टी के नमूनों के अक्षांश, देशांतर और भूमि उपयोग के आंकड़ों के आधार पर अलग-अलग पैरामीटर लागू किए हैं।

दुनिया भर में मिट्टी में एचओएनओ उत्सर्जन में वृद्धि हो रही है

शोधकर्ताओं ने पाया कि मिट्टी में एचओएनओ उत्सर्जन 1980 में 9.4 टेराग्राम नाइट्रोजन से बढ़कर 2016 में 11.5 टेराग्राम नाइट्रोजन हो गया है। वायुमंडलीय संरचना पर इन उत्सर्जनों के प्रभाव का अनुकरण करने के लिए रसायन विज्ञान-जलवायु मॉडल का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने वैश्विक सतह ओजोन मिश्रण अनुपात में सालाना औसतन 2.5 फीसदी की वृद्धि का पता लगाया, जिसमें स्थानीय वृद्धि 29 फीसदी तक पहुंच गई।

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इस तरह की वृद्धि से वनस्पतियों का ओजोन के संपर्क में आना बढ़ सकता है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र संतुलन और खाद्य फसलों के उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा ओजोन के कारण वनस्पतियों की कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने की क्षमता कम हो जाएगी, जिससे ग्रीनहाउस प्रभाव और भी बढ़ जाएगा।

उत्तरी गोलार्ध दुनिया भर में उत्सर्जन में दो-तिहाई के लिए जिम्मेदार है, जिसमें एशिया सबसे बड़ा उत्सर्जक है, जो कुल उत्सर्जन का 37.2 फीसदी है। उत्सर्जन हॉटस्पॉट मुख्य रूप से भारत, पूर्वी चीन, मध्य उत्तरी अमेरिका, यूरोप, अफ्रीकी सवाना और दक्षिण अमेरिका के कृषि क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है।

मिट्टी की प्रतिक्रियाशील ऑक्सीकृत नाइट्रोजन उत्सर्जन और वायुमंडलीय संरचना, वायु गुणवत्ता और वनस्पति पर उनका प्रभाव
मिट्टी की प्रतिक्रियाशील ऑक्सीकृत नाइट्रोजन उत्सर्जन और वायुमंडलीय संरचना, वायु गुणवत्ता और वनस्पति पर उनका प्रभावस्रोत: नेचर कम्युनिकेशंस

कम प्रदूषण करने वाले क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं

ओजोन मिश्रण अनुपात की वृद्धि पर मिट्टी के एचओएनओ उत्सर्जन का प्रभाव कम मानवजनित उत्सर्जन वाले क्षेत्रों में अधिक होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ओजोन का निर्माण हवा में इसके पूर्ववर्ती, एनओएक्स और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (वीओसीएस) की मात्रा से जुड़ा हुआ है।

आमतौर पर एनओएक्स की मात्रा कम होती है जबकि वीओसीएस की मात्रा कम मानवजनित उत्सर्जन वाले क्षेत्रों में अधिक होती है, जिससे ये क्षेत्र मुख्य रूप से एनओएक्स सीमित शासन में आते हैं, जहां ओजोन एनओएक्स के प्रति अधिक संवेदनशील होता है। इस प्रकार एनओएक्स की मात्रा में वृद्धि से ओजोन के स्तर में अधिक वृद्धि होती है।

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नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन और उर्वरकों के बढ़ते उपयोग से मिट्टी के एचओएनओ उत्सर्जन में लगातार वृद्धि होगी, जो मानवजनित उत्सर्जन में कमी से अपेक्षित कुछ फायदों को प्रभावित कर सकता है। सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए मिट्टी के उत्सर्जन को समझना और प्रबंधित करना जरूरी है। इसलिए दुनिया भर में वायु प्रदूषण को कम करने की रणनीतियों में मिट्टी के एचओएनओ उत्सर्जन पर विचार करने की सलाह दी जा रही है।

उन्नत मॉडलिंग तकनीक और अलग-अलग डेटासेट का उपयोग

मजबूत पैरामीटराइजेशन योजना के विकास में, शोधकर्ताओं ने उन्नत मॉडलिंग तकनीकों और अलग-अलग डेटासेट को एक साथ जोड़ा, जिसमें 110 पिछले प्रयोगशाला प्रयोगों से दुनिया भर में मिट्टी में एचओएनओ उत्सर्जन माप के आंकड़े, शोध और अनुप्रयोग संस्करण दो (मेर्रा 2) दोबारा विश्लेषण के लिए आधुनिक युग पूर्वव्यापी विश्लेषण से हासिल किए गए आंकड़े शामिल हैं।

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शोध में कहा गया है कि शोधकर्ताओं ने एचओएनओ उत्सर्जन के वायुमंडलीय रसायन विज्ञान और वनस्पति पर पड़ने वाले प्रभावों का अनुकरण करने के लिए अमेरिका के राष्ट्रीय वायुमंडलीय अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित सामुदायिक वायुमंडल मॉडल विद केमिस्ट्री (कॉम-चैम) जलवायु-रसायन विज्ञान मॉडल की भी सहयता ली।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि भविष्य के शोध मिट्टी के एचओएनओ उत्सर्जन के लिए वैश्विक अवलोकन नेटवर्क का विस्तार करने के साथ-साथ मिट्टी द्वारा एचओएनओ उत्सर्जन में सूक्ष्मजीवों की भूमिका की गहरी समझ प्रदान करने पर आधारित होगा। ये दो नजरिए मिट्टी के एचओएनओ उत्सर्जन के कारण ओजोन और अन्य द्वितीयक वायु प्रदूषकों और वनस्पति पर उनके प्रभाव का अधिक सटीक आकलन करने में सहायता कर सकते हैं।

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