
कांगड़ा जिले में अवैध खनन रोकने के लिए स्टोन क्रशर पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, स्टोन क्रशर यूनिट्स को संचालन की अनुमति तभी दी जाती है जब उनके पास वैध पंजीकरण और माइनिंग लीज होती है।
एनजीटी के निर्देश पर गठित समिति ने अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं।
कांगड़ा जिले के कंडवाल-लोढवान-टिपरी क्षेत्र में कुल 14 स्टोन क्रशर चल रहे हैं। इस क्षेत्र में उद्योग विभाग द्वारा 13 माइनिंग लीज जारी की हैं, जो सभी नियमों और अनिवार्य पर्यावरणीय मंजूरी की प्रक्रिया को पूरी करने के बाद दी गई हैं। साथ ही खनन गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए आवश्यक स्टाफ भी तैनात किया गया है।
यह जानकारी 2 सितंबर 2025 को हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचपीएसपीसीबी) द्वारा दाखिल रिपोर्ट में दी गई है।
यह मामला कांगड़ा जिले की नूरपुर तहसील में चक्की नदी के किनारे हो रहे अवैध रेत खनन से जुड़ा है। इस पर कार्रवाई के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 7 नवंबर 2024 को एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया था।
एनजीटी के निर्देश पर बनी संयुक्त समिति
रिपोर्ट के मुताबिक अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए, हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड स्टोन क्रशर यूनिट्स को संचालन की अनुमति तभी देता है, जब उनके पास उद्योग विभाग द्वारा जारी वैध पंजीकरण और माइनिंग लीज होती है।
इसके साथ ही, अब संचालन से जुड़ी अनुमति की वैधता भी उतनी ही अवधि के लिए दी जा रही है, जितनी अवधि तक क्रशर यूनिट का पंजीकरण और माइनिंग लीज मान्य है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी क्रशर बिना कानूनी खनन स्रोत के न चले।
स्टोन क्रशर यूनिट्स का नियमित निरीक्षण भी किया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अनुमति की शर्तों और पर्यावरणीय नियमों का पालन कर रहे हैं।
संयुक्त समिति ने 19 मार्च 2025 को पेश अपनी अंतिम रिपोर्ट में जानकारी दी है कि क्षेत्र के स्टोन क्रशर अभी तक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जून 2023 में स्टोन क्रशिंग यूनिट्स के लिए जारी पर्यावरणीय दिशानिर्देशों का पूरी तरह पालन नहीं कर रहे हैं।
गौरतलब है कि संयुक्त समिति द्वारा 2 दिसंबर 2024 को किए गए पहले निरीक्षण के दौरान कुछ क्रशर यूनिट्स को सिल्ट युक्त गंदा पानी चक्की नदी में छोड़ते पाया गया। हालांकि, दूसरे और तीसरे निरीक्षण में यह देखा गया कि क्रशर यूनिट्स ने अब सुधार किए हैं, उन्होंने मिट्टी के तालाब बनाकर गंदे पानी से सिल्ट को हटाने और साफ पानी को रीसाइकल के लिए एकत्र करने की व्यवस्था की है।
रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि पहले किए गए उल्लंघन के लिए डायमंड एंटरप्राइजेज स्टोन क्रशर पर 2,37,500 रुपए का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया गया है। यह जुर्माना प्लांट से निकलने वाले गंदे पानी के सेटलिंग चेंबर से होकर चक्की नदी में बहने के कारण लगाया गया है।