सुवर्णरेखा नदी में रेत की दीवारें मौजूद नहीं, रेत खनन मामले में तहसीलदार ने एनजीटी में सौंपी रिपोर्ट

मामला पश्चिम बंगाल के पट्टाधारकों द्वारा सुवर्णरेखा नदी में दीवारें खड़ी करने से जुड़ा है। इसकी वजह से नदी का प्रवाह बदलकर गोपालपुर, राजनगर और आसपास के गांवों की ओर हो गया है
अवैध खनन का कारोबार; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
अवैध खनन का कारोबार; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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ओडिशा में सुवर्णरेखा नदी पर कोई रेत की दीवार (सैंड वॉल) मौजूद नहीं है। यह बात बालासोर में जलेश्वर के तहसीलदार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में दाखिल अपने हलफनामे में कही है।

22 अप्रैल, 2025 को दायर अपने हलफनामे में उन्होंने यह भी कहा है कि यदि पहले कभी कोई रेत की दीवार बनाई भी गई थी तो वो बह चुकी है और नदी अब प्राकृतिक रूप से बह रही है।

हालांकि, नदी के पूर्वी किनारे पर, जो पश्चिम बंगाल की सीमा में आता है, वहां पट्टाधारकों ने नदी के ऊपर लकड़ी का एक अस्थाई पुल और रेत पर सड़क का निर्माण किया है। हलफनामे में कहा गया है कि यह मामला पश्चिम बंगाल की सीमा से लगे जलेश्वर तहसील के दक्षिण प्रहराजपुर और ओलमारा क्षेत्र से जुड़ा है, जहां नदी के जरिए दोनों राज्यों की सीमा अभी तक स्पष्ट रूप से तय नहीं हुई है।

बालासोर के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट ने 12 फरवरी 2025 को भूमि अभिलेख एवं सर्वे निदेशक, ओडिशा को पत्र के माध्यम से सूचित किया था कि पश्चिम बंगाल सरकार ओलमारा सर्कल के पास सोनकनिया में रेत खनन क्षेत्र की नीलामी करने की कोशिश कर रही है। हालांकि इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है कि क्योंकि यह तय नहीं हो पाया कि यह क्षेत्र ओडिशा या पश्चिम बंगाल में आता है।

इसके बाद 18 फरवरी को निदेशक, भूमि अभिलेख एवं सर्वेक्षण ने ओडिशा स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (ओआरएसएसी) के मुख्य कार्यकारी को इस बात से अवगत कराया है और उनसे अनुरोध किया है कि वह स्थल पर जाकर दोनों राज्यों की सीमा का निर्धारण करने में मदद करें।

ओआरएसएसी की टीम ने 3 मार्च 2025 को इस साइट का दौरा किया था और सीमा को अंतिम रूप देने के लिए जियो-रेफरेंसिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

क्या है पूरा मामला

गौरतलब है कि न्यू इंडियन एक्सप्रेस में 16 मई 2024 को छपी एक खबर में दावा किया गया है कि सीमा तय करने के लिए 75 खंभे लगाए गए थे। हालांकि जवाब में बताया गया है कि अब तक 36 पिलर पॉइंट की पहचान जियो रेफरेंसिंग के माध्यम से हुई है। ये सभी खंभे अभी भी बरकरार हैं, हालांकि तीन खंभों को आंशिक रूप से नुकसान हुआ है।

ओआरएसएसी की टीम ने आगे जियो रेफरेंसिंग पॉइंट्स की पहचान की है ताकि उस क्षेत्र की पहचान हो सके जहां से रेत उठाई गई थी। इसका मकसद यह जानना था कि क्या वह क्षेत्र ओडिशा में या पश्चिम बंगाल के अंतर्गत आता है।

हलफनामे के मुताबिक बालासोर खनन कार्यालय ने जानकारी दी है कि 21 दिसंबर 2023 से 6 अप्रैल 2025 तक अवैध रूप से रेत ले जा रहे 77 वाहनों को जब्त किया गया है। इनसे एक करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना वसूला गया है, जो सरकारी कोष में जमा कर दिया गया है। साथ ही बालासोर के खनन अधिकारी ने जानकारी दी है कि जलेश्वर तहसील में सुवर्णरेखा नदी पर रेत के 21 स्रोत हैं, जिनमें से इस समय तीन ही चालू हैं।

यह मामला पश्चिम बंगाल के पट्टाधारकों द्वारा सुवर्णरेखा नदी में दीवारें खड़ी करने से जुड़ा है। इसकी वजह से नदी का प्रवाह बदलकर गोपालपुर, राजनगर और आसपास के गांवों की ओर हो गया है। यह गांव ओडिशा में बालासोर जिले की जलेश्वर तहसील के अंतर्गत आते हैं। आरोप है कि नदी में 15 दीवारें खड़ी की गई हैं।

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