असम में बिना सर्वेक्षण के रेत खनन की मंजूरी, एनजीटी ने एसईआईएए से मांगा जवाब

एनजीटी ने आश्चर्य जताया है कि जब जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट ही तैयार नहीं थी तो रेत खनन के लिए अनुमति कैसे दे दी गई?
प्रतीकात्मक तस्वीर
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 27 सितंबर, 2024 को कहा है कि लालाचेरा रेत खनन के लिए दी गई पर्यावरण मंजूरी अवैध है, क्योंकि इसके लिए कोई जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार नहीं की गई है। गौरतलब है कि यह खनन के लिए यह पर्यावरण मंजूरी राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए), असम द्वारा 17 जून, 2023 को दी गई थी।

इस मामले में एनजीटी ने असम राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण को एक नया हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। इस हलफनामे में यह जानकारी होने चाहिए कि अब तक क्या कार्रवाई की गई है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि रिपोर्ट चार सप्ताह के भीतर दाखिल हो जानी चाहिए।

11 जुलाई, 2024 को दायर एक रिपोर्ट में, असम प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा है कि लालाचेरा रेत खनन क्षेत्र लालाचेरा नाला पर चुटा नुनई गांव को जोड़ने वाले पक्के पुल से 826 मीटर नीचे की ओर स्थित है।

रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि पुल का मध्य स्तंभ 2020 के आसपास धंसना शुरू हो गया था, हालांकि यह क्षेत्र में खनन शुरू होने से पहले की बात है।

रिपोर्ट के मुताबिक परियोजना प्रस्तावक ने खनन की गई रेत को पट्टा क्षेत्र के पास तीन स्थानों पर जमा किया है, ताकि उसे विभिन्न स्थानों पर पहुंचाने के लिए ट्रकों पर लोड किया जा सके।

एनजीटी ने आश्चर्य जताया है कि जब जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट ही तैयार नहीं थी तो रेत खनन के लिए अनुमति कैसे दे दी गई? अदालत ने यह भी पूछा है कि असम में  हैलाकांडी के जिला आयुक्त ने इस मुद्दे पर क्या कार्रवाई की है।

असम प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हलफनामे में कहा है कि राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण ने ठेकेदार पूर्णम देब को 17 जून, 2023 को पर्यावरण मंजूरी दे दी, जबकि उस समय कोई जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट उपलब्ध नहीं थी।

वहीं असम एसईआईएए का कहना है कि अदालत के आदेश के बाद खनन रोक दिया गया है। इस पर जवाब में न्यायमूर्ति बी अमित स्थलेकर की बेंच ने कहा कि महज काम रोकना ही काफी नहीं है।

रवींद्रनगर में जलाशय पर होता अतिक्रमण, आरोपों की जांच के लिए समिति गठित

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की पूर्वी बेंच ने एक जल निकाय पर अतिक्रमण के दावों की जांच के लिए दो सदस्यीय समिति को आदेश दिया है। 27 सितंबर, 2024 को दिया यह आदेश पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के रवींद्रनगर, पंचूर मंडल पारा में एक जल निकाय पर अतिक्रमण से जुड़ा है।

इस समिति में पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक और रवींद्रनगर के जिला मजिस्ट्रेट शामिल होंगे। अदालत ने उनसे साइट का निरीक्षण करने और आरोपों से संबंधित तथ्यों की पुष्टि करते हुए एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है।

आवेदक का कहना है कि यह जलाशय उनके गांव में पानी का एकमात्र स्रोत है। साथ ही यह स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी बेहद मायने रखता है। उनका आरोप है कि इस जलाशय को अवैध रूप से भरा जा रहा है।

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