सुनहरी रेत की लूट: बंगाल की सुवर्णरेखा नदी से अवैध बालू खनन, एनजीटी सख्त

आरोप है कि जिन 13 जगहों से रेत निकाली जानी है वो नदी के किनारे या सूखी जमीन पर न होकर नदी के बीच बहते पानी में हैं। ऐसे में इसकी वजह से नदी की सेहत और पारिस्थितिकी को नुकसान हो सकता है
अवैध खनन का कारोबार; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
अवैध खनन का कारोबार; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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तीन अप्रैल 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पूर्वी बेंच ने पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। मामला सुवर्णरेखा नदी से अवैध तरीके से किए जा रहे खनन और रेत ब्लॉकों की नीलामी से जुड़ा है।

अदालत ने इस मामले में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ और सीसी) के साथ-साथ कोलकाता के एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालय को भी अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

दरअसल, पश्चिम बंगाल मिनरल डेवलपमेंट एंड ट्रेडिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 20 दिसंबर 2024 को निविदाएं जारी की थी। इनका मकसद था — सुवर्णरेखा नदी से रेत खनन के लिए कई रेत ब्लॉकों के लिए एक खान डेवलपर और ऑपरेटर का चुनाव करना। योजना थी कि पांच साल तक 13 जगहों से नदी की रेत निकाली जाएगी। इसकी ऑनलाइन नीलामी 24 जनवरी 2025 को होनी थी।

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पर्यावरण के लिए खतरा है इस तरह का खनन

हालांकि याचिकाकर्ता अशोक खमरी का आरोप है कि ये 13 जगहें नदी के बीच बहते पानी में हैं, न कि नदी के किनारे या सूखी जमीन पर। ऐसे में इन ब्लॉकों के आवंटन और खनन से नदी की सेहत और आसपास के पर्यावरण के लिए खतरा पैदा हो सकता है।

यह भी कहा गया कि सिजुआ मौजा, गोपीबल्लभपुर में रेत ब्लॉक (आईडी नंबर- MIN_JH_25) में से एक बांध के बिल्कुल करीब है। यह बांध बाढ़ और अन्य खतरों से आस-पास के गांवों की रक्षा करता है।

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ऐसे में अगर यहां से भारी मात्रा में रेत निकाली गई, तो इससे नदी की गहराई बिगड़ सकती है और बांध कमजोर पड़ सकता है। इसकी वजह से नदी के किनारों को भी नुकसान होगा। रेत से भरे ओवरलोड वाहनों के आवागमन से नदी को नुकसान पहुंचेगा। उनका यह भी कहना है कि इसकी वजह से आसपास के क्षेत्रों में जलस्तर घट सकता है।

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