नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 20 सितंबर, 2023 को सुवर्णरेखा नदी तट पर पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के मामले में आरोपों की जांच के लिए संयुक्त समिति के गठन के निर्देश दिए हैं। मामला सुवर्णरेखा नदी तट पर अवैध रूप से बनती ऊंची इमारतों के निर्माण से जुड़ा है। साथ ही कोर्ट ने यह भी नोट किया है कि लोगों ने निजी रूप से संरक्षित क्षेत्र होने के बावजूद, दलमा रेंज की तलहटी में निर्माण गतिविधियां शुरू की हैं।
कोर्ट के निर्देशानुसार इस संयुक्त समिति में मुख्य वन संरक्षक पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के रांची स्थित क्षेत्रीय कार्यालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक, झारखंड के सदस्य सचिव, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, झारखण्ड जल संसाधन विभाग और संबंधित जिलाधिकारी शामिल होंगें।
मामले में एनजीटी ने समिति को साइट का दौरा करने के साथ पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के संबंध में वास्तविक स्थिति की जांच करने को कहा है। इस सम्बन्ध में समिति को आठ सप्ताह के भीतर एनजीटी की पूर्वी पीठ में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है। आदेश के मुताबिक इस रिपोर्ट में पर्यावरण बहाली से जुड़ी योजना के साथ-साथ प्रस्तावित समाधान भी शामिल होने चाहिए।
जानिए क्यों एनजीटी ने दक्षिणी दिल्ली के जिला मजिस्ट्रेट को कोर्ट में पेश होने का दिया निर्देश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 20 सितंबर, 2023 को दक्षिणी दिल्ली के जिला मजिस्ट्रेट और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के कार्यकारी अभियंता को अगली सुनवाई पर अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है। यह सुनवाई बरसाती पानी के नाले से जुड़ने वाली सीवर लाइन के मामले से संबंधित है, जो मालवीय नगर से ग्रेटर कैलाश तक जाती है।
कोर्ट का यह आदेश दक्षिणी दिल्ली के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के बाद आया है। रिपोर्ट में केवल कुछ निर्देशों का उल्लेख किया गया है जो पर्यावरणीय मानदंडों के उल्लंघन का खुलासा नहीं करती है।
न ही इसमें सीवर लाइन को बरसाती नाले से जोड़ने के आरोप के संबंध में संयुक्त समिति के निष्कर्षों का स्पष्ट विवरण दिया गया है। ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा है कि रिपोर्ट में इस मुद्दे को हल करने के लिए सिफारिशों का भी जिक्र नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि पूरा मामला दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) द्वारा एक सीवर लाइन को बरसाती पानी के नाले से जोड़ने से सम्बंधित है, जो मालवीय नगर से ग्रेटर कैलाश तक जाता है, इसके जरिए सीवेज बरसाती नाले में छोड़ा जा रहा है।
नागदा में पर्यावरण नियमों का पालन कर रही है ग्रासिम इंडस्ट्रीज: रिपोर्ट
संयुक्त समिति ने 21 सितंबर, 2023 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को सौंपी अपनी निरीक्षण रिपोर्ट में जानकारी दी है कि नागदा में ग्रासिम इंडस्ट्रीज की केमिकल डिवीजन पर्यावरण सम्बन्धी नियमों के दायरे में काम कर रही है। मामला मध्यप्रदेश में उज्जैन के नागदा का है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रासिम इंडस्ट्रीज 2018 से 'मल्टीपल इफेक्ट इवेपोरेटर (एमईई) और एटीएफडी की मदद से जीरो लिक्विड डिस्चार्ज की स्थिति को बनाए हुए है। निरीक्षण के दौरान इस इंडस्ट्री से दूषित जल नहीं छोड़ा जा रहा था।
इसके साथ-साथ ढेर से होने वाले उत्सर्जन को रोकने के लिए स्क्रबर्स लगाए गए हैं। वहीं मैन्युअल तरीके और निरंतर उत्सर्जन निगरानी प्रणाली (सीईएमएस) द्वारा दोनों में प्राप्त आंकड़ों में उत्सर्जन का स्तर तय सीमा के भीतर पाया गया है।
हालांकि समिति ने यूनिट को मेसर्स जेएम एनविरो, गुरुग्राम द्वारा किए गए गंध-संबंधी अध्ययन की सिफारिशों के आधार पर क्षेत्र में गंध की समस्या का समाधान करने की सलाह दी है। साथ ही समिति ने निम्नलिखित उपाय भी प्रस्तावित किए हैं:
यह रिपोर्ट एनजीटी द्वारा 27 जुलाई, 2023 को दिए आदेश पर कोर्ट में सबमिट की गई है।
गौरतलब है कि इस मामले में आवेदक शेख शाकिर ने कहा था कि इकाई दूषित पानी को जमीन और चंबल नदी में छोड़ रही है। शिकायतकर्ता के अनुसार, इकाई में सल्फर, पारा और क्लोरीन जैसे अम्लीय पदार्थों के उपयोग से प्रदूषण हो रहा है और इससे नागदा के निवासियों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच रहा है।