महानदी में जारी अवैध खनन का गोरखधंधा, आरोपों की जांच के लिए संयुक्त समिति गठित

आरोप है कि वहां अवैध रूप से करीब दो लाख क्यूबिक मीटर रेत का खनन किया गया है
अवैध खनन का कारोबार; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
अवैध खनन का कारोबार; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 16 जुलाई, 2024 को महानदी में अवैध रेत खनन के आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया है। गौरतलब है कि अवैध खनन का यह मामला ओडिशा के बरगढ़ में अंबावोना तहसील के चिखिली का है।

अदालत ने इस मामले में ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक, बरगढ़ के खनन अधिकारी और जिला कलेक्टर वाली तीन सदस्यीय समिति से साइट का निरीक्षण करने को कहा है। इस समिति को अगले चार सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करनी होगी। इस मामले में जिला कलेक्टर रिपोर्ट को रिकॉर्ड में रखने और हलफनामा दाखिल करने के लिए नोडल एजेंसी होंगें।

आवेदक के मुताबिक बरगढ़ और झारसुगुड़ा जिलों को जोड़ने वाले पुल के पास अवैध रेत खनन हो रहा है। उनका यह भी कहना है कि झारसुगुड़ा की ओर, महुलपाली में, स्थानीय मांग को पूरा करने के लिए रेत का स्टॉक जमा किया हुआ है। उनका आरोप है कि अवैध रूप से करीब दो लाख क्यूबिक मीटर रेत का खनन किया गया है।

आवेदक ने इस बात का भी जिक्र किया है कि चिखिली में बाढ़ की समस्या बनी रहती है। वहां 2022 में भी भीषण बाढ़ आई थी। 25 जनवरी, 2024 को गूगल अर्थ से प्राप्त उपग्रह चित्रों से पता चला है महानदी में नावों पर सक्शन पंपों की मदद से रेत खनन किया जा रहा है, और बाद में परिवहन के लिए इस रेत को नदी किनारे पर डंप किया जा रहा है।

आवेदक ने एनजीटी में लगाई असरुखोला जोरा वेटलैंड को बहाल करने की गुहार

15 जुलाई, 2024 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पूर्वी बेंच ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय सहित सभी प्राधिकारियों को चार सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है। मामला ओडिशा की एक आद्रभूमि असरुखोला जोरा से जुड़ा है। इस मामले में अगली सुनवाई 21 अगस्त, 2024 को होगी।

आवेदन में असरुखोला जोरा वेटलैंड के 63 किलोमीटर लम्बे हिस्से की बहाली की मांग की है। इसमें से गाद साफ करके, जलकुंभी तथा जंगली फर्न को हटाने की बात कही गई है। बाढ़ के दौरान पानी के प्राकृतिक प्रवाह को बनाए रखने के लिए आवेदक ने आस-पास की सुकापाइका (कनीनई) नदी को बहाल करने का अनुरोध किया है, ताकि क्षेत्र प्राकृतिक रूप से साफ रह सके। ऐसे में असरुखोला जोरा लंबे समय तक स्वस्थ रह सकेगा, जैसा कि पहले हुआ करता था।

29 ग्राम पंचायतों को कवर करने वाली असरुखोला विकास परिषद का प्रतिनिधित्व करने वाले आवेदक ने तीन जिलों: कटक, केंद्रपाड़ा और जगतसिंहपुर में असरुखोला जोरा आर्द्रभूमि को बहाल और संरक्षित करने के लिए तत्काल कार्रवाई का अनुरोध किया है।

कूच बिहार में सरकारी भूमि पर हो रहा अवैध निर्माण, एनजीटी ने पर्यावरण मंत्रालय से मांगा जवाब

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 16 जुलाई को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से कुटीपारा में सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण को लेकर सामने आई शिकायत पर जवाब देने को कहा है। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में कूच बिहार जिले के कुटीपारा में सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण को लेकर शिकायत सामने आई थी।

आवेदक के अनुसार, ‘मोहन’ नामक काले नरम खोल वाले कछुए तालाब और अन्य जल निकायों के आसपास विचरते हैं। इस अवैध निर्माण से इन कछुओं को नुकसान हो रहा है। साथ ही इसकी वजह से स्थानीय पारिस्थितिकी पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

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