
एक नए अध्ययन में जीका वायरस के संक्रमण फैलाने की शक्ति के जैविक रहस्य का पता लगाया गया है। जीका मरीज की कोशिकाओं की अपनी खुद की देखभाल करने वाली प्रणाली का उपयोग कर उनमें प्रवेश कर जाता है।
जबकि कोशिकाओं की सतहें संक्रामक प्रोटीन के प्रवेश के लिए जरूरी हैं, वे एंटीवायरल प्रतिक्रिया उत्पन्न करने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसा होने से पहले, संक्रामक प्रोटीन की गतिविधि को कम करने के लिए कोशिकाओं द्वारा खुद को स्वस्थ रखने के लिए उपयोग की जाने वाली प्रक्रिया में हेरफेर किया जाता है, जिससे अनियंत्रित संक्रामक संक्रमण का रास्ता साफ हो जाता है।
प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि हालांकि एचआईवी जैसे अन्य वायरस मरीज के रिसेप्टर्स को चुप कराने के लिए जाने जाते हैं जो उन्हें कोशिकाओं में जाने देते हैं, लेकिन जीका में कम से कम तीन ऐसे प्रोटीन होते हैं जो यह काम कर सकते हैं।
यह सबसे दिलचस्प हिस्सा है, केवल एक ही नहीं, बल्कि कई जीका प्रोटीन ऐसा कर सकते हैं। शोधकर्ताओं ने दो जीका वायरस के स्ट्रेन या उपभेदों को देखा और तीन शारीरिक रूप से अहम कोशिकाओं की जांच की। दोनों स्ट्रेन के साथ, तीनों अलग-अलग तरह की कोशिकाओं में कमी देखी जा सकती है। ऐसा लगता है कि यह एक अहम तंत्र है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, साल 2007 से एडीज एजिप्टी मच्छरों द्वारा लोगों में फैलने वाला जीका वायरस अफ्रीका, अमेरिका, एशिया और प्रशांत क्षेत्र में संक्रामक प्रकोप का कारण बना। हालांकि 2017 के बाद से दुनिया भर में मामलों में कमी आई है, लेकिन अमेरिका और अन्य स्थानीय क्षेत्रों में वायरस का संक्रमण छोटे स्तर पर जारी है।
साल 2015 में ब्राजील में एक बड़ी महामारी ने गर्भावस्था के दौरान जीका संक्रमण और माइक्रोसेफली या सामान्य से छोटे सिर के आकार सहित जन्मजात समस्याओं के साथ पैदा होने वाले शिशुओं के बीच संबंध की पुष्टि की। जबकि अधिकांश संक्रमित लोगों में केवल हल्के लक्षण विकसित होते हैं, वायरस वयस्कों और बड़े बच्चों में गुइलेन बैरे सिंड्रोम, न्यूरोपैथी और मायलाइटिस (रीढ़ की हड्डी की सूजन) से भी जुड़ा हुआ है।
इस अध्ययन में इनमें से दो प्रोटीनों पर गौर किया गया, जिन्हें एएक्सएल और टीम-1 के रूप में जाना जाता है, जिन्हें पहले जीका संक्रमण से जोड़ा गया था। इसमें शोधकर्ताओं ने यह समझने की कोशिश की कि एएक्सएल और टीम-1 के द्वारा प्रवेश करने के बाद जीका संक्रमण को कैसे बनाए रखता है।
शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि सांस लेने, प्रजनन और तंत्रिका तंत्र से संबंधित तीन प्रकार की कोशिकाओं में जीका वायरस के अफ्रीकी और एशियाई स्ट्रेन का उपयोग करके सेल कल्चर प्रयोग पूरे किए, जो रोगजनक द्वारा निशाना बनाए गए थे। मानव कोशिकाएं जो फेफड़ों के काम को आगे बढ़ाती है, भ्रूण को सहारा देने वाली कोशिकाएं जिन्हें ट्रोफोब्लास्ट कहा जाता है और ग्लियोब्लास्टोमा मस्तिष्क कैंसर कोशिकाएं होती है।
प्रयोगों से पता चला कि जीका द्वारा संक्रमण के बाद तीन प्रकार की कोशिकाओं पर एएक्सएल और टीम-1 दोनों को कम किया गया। शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से उम्मीद जताई गई थी कि यह दबाव दो सामान्य प्रोटीनों की गिरावट प्रक्रियाओं के माध्यम से हुआ था, लेकिन इसके बजाय पाया गया कि जीका वायरस एक सेलुलर खुद की देखभाल करने वाले दिनचर्या का उपयोग करता है।
इस मामले में, वायरस की संक्रामक प्रक्रिया ने मरीज की कोशिकाओं को अपने स्वयं के सुरक्षात्मक प्रोटीन को दबाने के लिए हेरफेर किया, एक संक्रामक अनुकूली रणनीति जो जीका को अपने आपको नियंत्रित करने में मदद करता है।
इस दबाव के बिना, एएक्सएल और टीम-1 एंटीवायरल प्रतिक्रिया के हिस्से के रूप में उत्तेजक अणुओं का उत्पादन करना शुरू कर देंगे। संक्रामक प्रवेश को सुविधाजनक बनाने का उनका सामान्य स्तर भी अधिक जीका कणों को पहले से संक्रमित कोशिकाओं तक पहुंचाने में सक्षम बना सकता है।
जिससे सुपरइंफेक्शन नामक एक प्रतिस्पर्धी नजरिए की स्थापना होती है। ऐसा कुछ जिससे वायरस बचना चाहते हैं क्योंकि भीड़भाड़ से कोशिकाओं के नष्ट होने का खतरा होता है, जो संक्रमित रोगजनकों को मार देता है।
आगे के प्रयोगों ने तीन जीका प्रोटीन की पहचान की जो मरीज की कोशिका ऑटोफैगी को प्रेरित करते हैं, जो सभी वायरस की झिल्ली पर स्थित होते हैं।
सामान्यतः ये प्रोटीन वायरस के प्रवेश में मध्यस्थता करते हैं या वायरस के अपने आपको दोहराने में शामिल होते हैं, लेकिन वे इस कोशिका के सही से काम न करने के लिए भी जिम्मेदार होते हैं। क्योंकि वायरस कुछ ऐसा एनकोड करते हैं जो उनके लिए जरूरी होता है, या तो उनकी अपने आपको दोहराने के लिए या मरीज को नियंत्रित करने के लिए ऐसा किया जाता है।
शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि निश्चित रूप से जानने के लिए और अधिक शोध की जरूरत है, लेकिन इस बात के आसार हैं कि यह तंत्र इबोला वायरस के लिए प्रासंगिक है, जो मरीज की कोशिकाओं तक पहुंचने के लिए टीम-1 प्रोटीन का उपयोग करता है, या जीका के समान फ्लेविवायरस परिवार के अन्य रोगजनकों के लिए, जिसमें वेस्ट नाइल, पीला बुखार और डेंगू वायरस शामिल हैं।
वायरस के लिए एक मरीज जितना अधिक जरूरी होता है, वायरस उसे नियंत्रित करने के लिए उतना ही अधिक काम करता है। इन तंत्रों को समझना संक्रामक रोगों का कारण बनने वाले उभरते या फिर से उभरने वाले वायरस के लिए तैयार रहने का एक जरूरी हिस्सा है।