विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, भूमध्यवर्ती गिनी में मारबर्ग वायरस रोग के पहले प्रकोप की पुष्टि हुई है। इस इबोला से संबंधित वायरस के कारण कम से कम नौ मौतें हुई हैं।
13 फरवरी को, संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य शाखा ने बताया कि स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी के चेतावनी के बाद पश्चिम अफ्रीकी देश से नमूने सेनेगल की एक प्रयोगशाला में भेजे गए थे। शुरुआती जांच में अत्यधिक विषाणु-जनित रोग की पहचान हुई।
डब्ल्यूएचओ के द्वारा बुधवार को दी गई जानकारी के मुताबिक मारबर्ग जैसे लक्षणों वाले नौ लोगों की मौत हो गई है और एक व्यक्ति इस वायरस के लिए पॉजिटिव पाया गया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि मरने वाले अन्य आठ लोगों के नमूने नहीं लिए जा सके, लेकिन इन लोगों में समान लक्षण देखे गए थे और हो सकता है एक जैसे संक्रमण से संक्रमित रहे हो।
इसके अलावा, 16 संदिग्ध मामलों को हल्के लक्षणों के साथ स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है और 21 के घर पर निगरानी की जा रही है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह देश के प्रतिक्रिया प्रयासों का समर्थन करने के लिए प्रभावित क्षेत्रों में चिकित्सा दल भेज रहा है और सैकड़ों स्वास्थ्य कर्मियों के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण भी प्रदान किए जाएंगे।
क्या है मारबर्ग वायरस?
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार मारबर्ग वायरस रोग एक दुर्लभ लेकिन गंभीर रक्तस्रावी बुखार है, जो मारबर्ग वायरस के कारण होता है। यह आरएनए वायरस फाइलोवायरस परिवार का सदस्य है, जिसमें इबोला वायरस भी शामिल है। जबकि दोनों रोग वायरस दुर्लभ हैं, इनके प्रकोप उच्च मृत्यु दर से जुड़े हुए हैं।
मारबर्ग वायरस रोग का पहला प्रकोप 1967 में जर्मनी के मारबर्ग और फ्रैंकफर्ट और सर्बिया के बेलग्रेड में हुआ था। ये प्रकोप युगांडा से आयातित अफ्रीकी हरे बंदरों पर प्रयोगशाला में प्रयोग के काम से फैला था।
पिछले प्रकोपों में, मारबर्ग वायरस के मामले में मृत्यु दर 24 से 88 फीसदी तक अलग-अलग थी, डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, यह वायरस के प्रभाव और मामले का किस तरह प्रबंधन किया गया उस पर निर्भर करता है।
मारबर्ग वायरस संक्रमित अफ़्रीकी चमगादड़ों या उनके मूत्र या मल से लोगों में फैल सकता है। यह तब हो सकता है जब श्रमिक या पर्यटक इन चमगादड़ों के रहने वाली जगहों में प्रवेश करते हैं।
वायरस संक्रमित लोगों के रक्त, स्राव, अंगों या अन्य शारीरिक तरल पदार्थों के साथ-साथ दूषित सतहों और सामग्रियों के सीधे संपर्क के द्वारा से लोगों के बीच फैल सकता है।
यदि सख्त संक्रमण नियंत्रण सावधानियां नहीं बरती गईं तो स्वास्थ्य कर्मियों और संक्रमित रोगियों के रिश्तेदारों को खतरा हो सकता है। मृतक के शरीर के साथ सीधे संपर्क से भी वायरस फैल सकता है।
मारबर्ग वायरस रोग के लक्षण क्या हैं?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मारबर्ग वायरस के कारण तेज बुखार, भारी सिरदर्द और घबराहट हो सकती है। अन्य सामान्य लक्षणों में मांसपेशियों में दर्द और दर्द, पेट में दर्द और ऐंठन, मतली, उल्टी और दस्त शामिल हैं।
डब्लूएचओ का कहना है कि इसके संक्रमण के दौरान, रोगियों की आंखें अंदर की और धंस जाती है, चेहरे के हाव भाव बदल जाते हैं और रोगी को अत्यधिक सुस्ती महसूस होती है।
गंभीर मामलों में, मृत्यु आमतौर पर लक्षणों की शुरुआत के आठ से नौ दिनों के बीच होती है। यह आमतौर पर रक्त के भारी नुकसान से पहले होता है और परिणामस्वरूप कई अंगों को नुकसान पहुंचता है।
मारबर्ग वायरस रोग का इलाज क्या है?
मारबर्ग वायरस रोग के इलाज के लिए किसी भी टीके या एंटीवायरल थेरेपी को मंजूरी नहीं दी गई है।
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि सहायक देखभाल - जैसे बार-बार पानी पिलाना, ऑक्सीजन के स्तर को बनाए रखना और विशिष्ट लक्षणों का इलाज करने से जीवित रहने की दर में सुधार करने में मदद मिल सकती है।
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इबोला वायरस रोग के लिए नैदानिक परीक्षणों में उपयोग किए जा रहे मोनोक्लोनल एंटीबॉडी या एंटीवायरल का भी संभावित रूप से मारबर्ग वायरस रोग के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है।
विशेषज्ञों ने कहा कि रेमेडिसविर वर्तमान में कोविड-19 के इलाज के लिए स्वीकृत है और मारबर्ग के लिए संभावित ऑफ-लेबल उपयोग शायद किया जा सकता है।
डब्ल्यूएचओ ने मंगलवार को मारबर्ग के खिलाफ परीक्षण किए जा सकने वाले टीकों और उपचार पर चर्चा करने के लिए एक बैठक की।