
दुनिया में 2.2 अरब लोग दृष्टि दोष से पीड़ित हैं, जिनमें से एक अरब मामलों में समय रहते इलाज संभव था।
डिजिटल स्क्रीन का अत्यधिक उपयोग (हर दिन 10 से अधिक घंटे) आंखों पर गंभीर असर डाल रहा है, जैसे मायोपिया, आंखों में जलन, नींद की समस्या।
हर अतिरिक्त घंटे की स्क्रीनिंग से मायोपिया का खतरा 21 फीसदी तक बढ़ता है, खासकर बच्चों और युवाओं में।
भारत में 2.1 करोड़ दृष्टिबाधित और 24 लाख नेत्रहीन लोग हैं, जिनमें से अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और समय पर इलाज न मिलने से पीड़ित हैं।
हर साल अक्टूबर के दूसरे गुरुवार को विश्व दृष्टि दिवस (वर्ल्ड साइट डे) मनाया जाता है। इस साल यह दिवस आज, यानी नौ अक्टूबर 2025 को मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य है लोगों को आंखों की देखभाल के प्रति जागरूक करना और यह समझाना कि आंखों की रोशनी केवल भाग्य पर नहीं, बल्कि हमारी लापरवाही पर भी निर्भर करती है।
आज के समय में जब हम अपने करियर, परिवार, और भविष्य की योजनाएं बनाते हैं, तो हमें अपनी आंखों के स्वास्थ्य को भी उसी तरह प्राथमिकता देनी चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 2.2 अरब लोग दृष्टि दोष से पीड़ित हैं।
इनमें से एक अरब लोगों की स्थिति बचाई जा सकती थी या समय पर इलाज से ठीक की जा सकती थी। यह आंकड़े बताते हैं कि समय पर जांच और सही आदतें अपनाकर हम आंखों की कई बीमारियों से बच सकते हैं।
डिजिटल युग में आंखों पर दबाव
आजकल हम दिनभर मोबाइल, लैपटॉप और टीवी स्क्रीन पर नजरें गड़ाए रहते हैं। औसतन एक वयस्क व्यक्ति 10 घंटे या उससे अधिक समय स्क्रीन के सामने बिताता है। इसका असर सीधा हमारी आंखों पर पड़ता है। एक अध्ययन के अनुसार, हर एक घंटे की अतिरिक्त स्क्रीन समय से 21 फीसदी ज्यादा मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) का खतरा बढ़ जाता है।
डब्ल्यूएचओ के एक अध्ययन में पाया गया कि 94.7 फीसदी मेडिकल छात्र "कंप्यूटर विजन सिंड्रोम" से पीड़ित हैं, जिसमें आंखों में जलन, सिरदर्द, और धुंधला दिखना शामिल है।
विश्व दृष्टि दिवस 2025 की थीम अपनी आंखों से प्यार कीजिए है। इस थीम के अंतर्गत तीन मुख्य कार्यों पर जोर दिया गया है :
जांच कराएं – हर साल आंखों की नियमित जांच करवाएं।
सुरक्षा करें – स्क्रीन का प्रयोग सीमित करें, उचित रोशनी में काम करें और यूवी सुरक्षा वाले चश्मे पहनें।
सहयोग मांगें – हर वर्ग के लिए गुणवत्तापूर्ण और समान आंखों की देखभाल की मांग करें।
यह सिर्फ एक दिन का संदेश नहीं है, बल्कि रोजमर्रा की आदत बननी चाहिए।
भारत में दृष्टि समस्याएं
भारत में दृष्टि हानि की समस्या काफी गंभीर है जहां लगभग 2.1 करोड़ लोग दृष्टिबाधित हैं। 2024 के आंकड़े अनुसार, इनमें से 24 लाख लोग पूरी तरह से नेत्रहीन हैं। इसके पीछे के कारणों में मोतियाबिंद – अंधत्व का सबसे प्रमुख कारण। अपवर्तनीय दोष – चश्मे से सुधरने योग्य लेकिन अक्सर अनदेखा किए जाते हैं। भारत में विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में रहने वाले वृद्ध पुरुष सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
अन्य समस्याओं में उम्र बढ़ने के साथ आंखों की बीमारियां, कुपोषण ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी शामिल हैं।
विश्व दृष्टि दिवस के इतिहास की बात करें तो पहली बार यह दृष्टि 2020 पहल के तहत 12 अक्टूबर 2000 को मनाया गया था। इसका उद्देश्य रोकथाम योग्य अंधत्व के बारे में जागरूकता फैलाना है। अब यह हर साल अक्टूबर के दूसरे गुरुवार को मनाया जाता है।
आंखों को बचाने के लिए क्या किया जा सकता है?
साल में कम से कम एक बार आंखों की जांच जरूर करवानी चाहिए। 20-20-20 नियम अपनाएं, हर 20 मिनट पर, 20 फीट दूर देखें, कम से कम 20 सेकंड तक। स्क्रीन टाइम कम करें और नीली रोशनी से बचाव के लिए स्क्रीन फिल्टर का प्रयोग किया जाना चाहिए। धूप में निकलते समय यूवी प्रोटेक्शन वाला चश्मा पहनना चाहिए। अपने परिवार, बच्चों और बुजुर्गों को भी आंखों की देखभाल के लिए प्रेरित करें।
आज के डिजिटल युग में आंखों की देखभाल अब एक विकल्प नहीं, बल्कि जरूरत बन गई है। विश्व दृष्टि दिवस 2025 का संदेश साफ है कि अपनी आंखों से प्यार कीजिए, क्योंकि यह आपकी दुनिया देखने का जरिया है।