

रोगाणुरोधी प्रतिरोध का बढ़ता खतरा: दुनिया में हर छह में से एक संक्रमण अब एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी हो चुका है।
मौत और बीमारी पर प्रभाव: 2019 में एएमआर सीधे 12.7 लाख मौतों का कारण बना।
प्रतिरोध में तेजी से वृद्धि: 2018–2023 के बीच 40 फीसदी से अधिक रोगजनक-दवा संयोजनों में प्रतिरोध बढ़ा, औसतन पांच से 15 फीसदी सालाना।
आर्थिक बोझ: एएमआर के कारण 2050 तक अतिरिक्त स्वास्थ्य खर्च एक ट्रिलियन डॉलर और 2030 तक जीडीपी में एक से 3.4 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है।
हर साल 18 से 24 नवंबर के बीच विश्व रोगाणुरोधी प्रतिरोध या एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) जागरूकता सप्ताह मनाया जाता है। इसका उद्देश्य आम जनता, स्वास्थ्यकर्मियों, पशु स्वास्थ्य विशेषज्ञों, किसानों और नीति-निर्माताओं के बीच एएमआर के बारे में समझ और जागरूकता बढ़ाना है। यह सप्ताह हमें याद दिलाता है कि जीवनरक्षक दवाओं की प्रभावशीलता बचाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है।
एएमआर क्या है और यह क्यों खतरनाक है?
रोगाणुरोधी प्रतिरोध, जिसे संक्षेप में एएमआर कहा जाता है, तब उत्पन्न होता है जब बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और परजीवी समय के साथ बदल जाते हैं और उन दवाओं का असर उन पर नहीं होता जो सामान्य रूप से उन्हें खत्म कर देती थीं। इसका मतलब यह है कि एंटीबायोटिक और अन्य एंटीमाइक्रोबियल दवाएं अपना काम ठीक से नहीं कर पातीं।
जब दवाएं काम करना बंद कर देती हैं, तो संक्रमण का इलाज कठिन या कभी-कभी असंभव हो जाता है। इससे बीमारी के फैलने का खतरा बढ़ता है, मरीजों की हालत गंभीर हो सकती है और मृत्यु का जोखिम भी बढ़ जाता है।
दुनिया भर में बढ़ता खतरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के नवीनतम आकलन बताते हैं कि दुनिया में हर छह में से एक संक्रमण अब एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी हो चुका है। यह आंकड़ा यह समझने के लिए पर्याप्त है कि एएमआर किस तेजी से बढ़ रहा है।
2018 से 2023 के बीच, निगरानी में शामिल 40 फीसदी से अधिक प्रमुख रोगजनक-दवा संयोजनों में प्रतिरोध बढ़ा है और कई संक्रमणों में प्रतिरोध हर साल औसतन पांच से 15 फीसदी तक बढ़ रहा है।
विश्व स्तर पर, 2019 में 12.7 लाख लोगों की मौत सीधे एएमआर के कारण हुई, जबकि लगभग 49.5 लाख मौतों में एएमआर ने अहम भूमिका निभाई। यह आंकड़े दिखाते हैं कि एएमआर सिर्फ स्वास्थ्य की चुनौती नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक विकास पर भी गहरा प्रभाव डाल रहा है।
आर्थिक बोझ भी बहुत बड़ा
एएमआर के कारण लंबे उपचार, अधिक खर्चीली दवाएं और अस्पतालों में अधिक समय तक भर्ती रहने की आवश्यकता बढ़ जाती है। विश्व बैंक का अनुमान है कि:
2050 तक एएमआर स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक की अतिरिक्त लागत ला सकता है।
2030 तक इससे विश्व अर्थव्यवस्था को हर साल एक से 3.4 ट्रिलियन डॉलर तक का नुकसान हो सकता है।
इससे स्पष्ट है कि एएमआर न केवल स्वास्थ्य बल्कि अर्थव्यवस्था और विकास को भी बड़ी चुनौती देता है।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट ग्लोबल एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस सर्विलांस रिपोर्ट 2025 के अनुसार, 93 अलग-अलग संक्रमण, रोगजनक दवा संयोजनों के लिए साल 2023 के वैश्विक और क्षेत्रीय अनुमान जारी किए गए,
प्रमुख रोगजनक दवा संयोजनों के लिए देशों के स्तर पर समायोजित अनुमान प्रस्तुत किए गए
2018 से 2023 तक 16 महत्वपूर्ण संयोजनों में प्रतिरोध की प्रवृत्तियों को ट्रैक किया गया।
ये निष्कर्ष इस बात की पुष्टि करते हैं कि एएमआर लगातार बढ़ रहा है और इससे निपटने के लिए देशों को मिलकर और तेजी से कदम उठाने की आवश्यकता है।
विश्व एएमआर जागरूकता सप्ताह 2025 की थीम “अभी कदम बढ़ाएं - आज की सुरक्षा, भविष्य की रक्षा” है।
यह थीम 2024 में हुए संयुक्त राष्ट्र के उच्च-स्तरीय एएमआर सम्मेलन और उसमें अपनाई गई राजनीतिक प्रतिबद्धताओं को आगे बढ़ाती है। इस साल, डब्ल्यूएचओ सभी देशों से अपील करता है कि वे अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धताओं को वास्तविक, प्रभावशाली और जीवनरक्षक कार्यों में बदलाव करें।
इन कामों में शामिल हैं:
एएमआर निगरानी और आंकड़ों का संग्रह को मजबूत करना
गुणवत्तापूर्ण दवाओं और निदान सुविधाओं की उपलब्धता बढ़ाना
अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना
मजबूत और लचीली स्वास्थ्य व खाद्य प्रणालियां बनाना।
जागरूकता क्यों है जरूरी?
एएमआर को रोकने में हम सभी की भूमिका है। सही तरीके से दवाओं का उपयोग, संक्रमण की रोकथाम, टीकाकरण, स्वच्छता और कृषि में जिम्मेदार एंटीबायोटिक उपयोग, ये सभी कदम दवा प्रतिरोध को कम करने में महत्वपूर्ण हैं।
विश्व एएमआर जागरूकता सप्ताह जैसे वैश्विक अभियानों का मकसद यही है कि लोग समझें कि एंटीबायोटिक कितनी मूल्यवान हैं और हमें उन्हें सुरक्षित रखने के लिए अभी कार्य करने की जरूरत है।