किस वजह से दूसरों से अधिक जीते हैं कुछ भारतीय, क्या जीन में छिपा है इसका रहस्य?

वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में इस बात की जांच की है कि हमारे शरीर में मौजूद जीन स्वस्थ जीवन और लंबी उम्र को कैसे प्रभावित करते हैं
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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क्या आपने कभी सोचा है कि हममें से कुछ लोग एक जैसी परिस्थितियों में रहने के बावजूद लम्बा और स्वस्थ जीवन व्यतीत करते हैं। वो ऐसे कौन से कारण हैं जो लोगों को लम्बा और स्वस्थ जीवन जीने में मदद करते हैं। वैज्ञानिकों ने अपने एक अध्ययन में इसी सवाल का जवाब खोजने का प्रयास किया है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि लम्बे और स्वस्थ जीवन का रहस्य हमारी अपनी जीन में छुपा है। देखा जाए तो हमारे जीन एक ब्लूप्रिंट की तरह हैं, जो हमारे शरीर के विकास और काम करने के तरीके को निर्देशित करते हैं।

वैज्ञानिकों ने पाया है कि कुछ जीन इस बात को प्रभावित कर सकते हैं कि हम बढ़ती उम्र के साथ कितना स्वस्थ जीवन व्यतीत करते हैं और कितने लम्बे समय तक जीवित रहते हैं। ये विशेष जीन हमारे शरीर को नुकसान से बचाने के साथ-साथ हमारी कोशिकाओं को स्वस्थ रखने और उम्र बढ़ने के साथ बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं।

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इस बारे में किए नए अध्ययन से पता चला है कि 85 वर्ष से अधिक आयु के कुछ भारतीयों में ऐसे विशेष जीन वैरिएंट होते हैं जो उन्हें लम्बे समय तक स्वस्थ रहने में मदद करते हैं।

ये जीन धीमी हृदय गति और कमजोर हड्डियों (ऑस्टियोपोरोसिस) के साथ-साथ सिजोफ्रेनिया और चिंता जैसी बीमारियों के कम जोखिम से जुड़े हैं। वैज्ञानिकों ने पाया है कि ये अनोखे आनुवंशिक लक्षण युवाओं की तुलना में लम्बे समय तक जीवित रहने वाले बुजुर्गों में अधिक आम होते हैं।

लंबी आयु प्रदान करने वाले इन जीनो का पता लगाने के लिए, हैदराबाद स्थित मैप माय जीनोम इंडिया लिमिटेड और अहमदाबाद स्थित सोसाइटी फॉर रिसर्च एंड इनिशिएटिव्स फॉर सस्टेनेबल टेक्नोलॉजीज एंड इंस्टीट्यूशंस से जुड़े शोधकर्ताओं द्वारा यह नया अध्ययन किया गया है।

यह अध्ययन मैपमायजीनोम इंडिया लिमिटेड से जुड़ी शोधकर्ता संध्या किरण पेम्मासानी के नेतृत्व में किया गया है, जिसके नतीजे नेचर के जर्नल एनपीजे एजिंग में प्रकाशित हुए हैं।

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अपने इस अध्ययन में संध्या किरण पेम्मासानी और उनकी टीम ने भारत में 85 वर्ष या उससे अधिक आयु के 133 लोगों का अध्ययन किया है। इसके लिए उन्होंने भारत के सबसे बड़े जेनेटिक डेटाबेस जीनोमेगाडीबी से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग किया है।

इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने तुलनात्मक समूह के रूप में 18 से 49 वर्ष की आयु के लोगों के 1,134 जीनोम के नमूनों का भी अध्ययन किया है।

लम्बे जीवन से जुड़े नौ जीन वेरिएंट की हुई पहचान

अपने अध्ययन में शोधकर्ताओं ने एक विशेष आनुवंशिक चिप का उपयोग करके नौ जीन वेरिएंट की खोज की है, जो लंबे जीवन से जुड़े हैं। उन्होंने कैंसर, हृदय रोग और ऑटोइम्यून विकारों जैसी स्वास्थ्य स्थितियों का अध्ययन किया है।

शोधकर्ताओं ने इन जीनों में आने वाले बदलावों को शरीर की कार्यप्रणाली से जोड़कर अध्ययन किया है कि ताकि ऐसे कारकों का पता लगाया जा सके कि लोगों को लम्बे समय तक जीने में मदद करते हैं।

अध्ययन से पता चला है कि लम्बी उम्र तक जीने वाले बुजुर्गों में कुछ सुरक्षात्मक आनुवंशिक लक्षण अधिक सामान्य थे। इनमें ह्रदय गति को धीमा रखने से जुड़ी एक जीन आरएस365990, एमवाईएच6 शामिल थी।

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इसी तरह कमजोर हड्डियों और ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को कम करने वाली जीन आरएस2982570, ईएसआर1, सिजोफ्रेनिया के जोखिम को कम करने वाला जीन आरएस1339227 आरआईएमएस1-केसीएनक्यू5, के साथ साथ-साथ चिंता और मनोदशा संबंधी समस्याओं के जोखिम को कम करने वाला जीन आरएस391957, एचएसपीए5 भी इसमें शामिल थे।

दूसरी तरफ कुछ आनुवंशिक लक्षण बुजुर्गों में उतने आम नहीं थे, जिससे उन्हें फायदा मिला। इनमें दिल की अनियमित धड़कन से जुड़ी जीन आरएस3903239, जीओआरएबी-पीआरआरएक्स1 शामिल है। इसी तरह इन बुजुर्गों में लिवर से जुड़ी समस्याओं से जीन आरएस2002042, एबीसीसी2 भी कम थे, जिसका उन्हें फायदा मिला। अध्ययन ने इन व्यक्तियों में एफओएक्स03ए जीन (आरएस2802292) की भी पुष्टि की है, जो लम्बे जीवन का एक प्रमुख संकेतक है।

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