रोजाना मल्टीविटामिन लेना हो सकता है बेकार, नहीं मिलती है लंबी उम्र

महिलाओं के बीच ज्यादा लोकप्रिय है मल्टीविटामिन का इस्तेमाल
शोध के मुताबिक यूएस में 33 फीसदी व्यस्क जो स्वस्थ्य हैं वह रोजाना मल्टीविटामिन का इस्तेमाल करते हैं। फोटो : प्रतीकात्मक
शोध के मुताबिक यूएस में 33 फीसदी व्यस्क जो स्वस्थ्य हैं वह रोजाना मल्टीविटामिन का इस्तेमाल करते हैं। फोटो : प्रतीकात्मक
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जो वयस्क सेहतमंद हैं और वे यह सोचते हैं कि रोजाना मल्टीविटामिन की गोलियां खाते रहने से उनका जीवन दीर्घायु होगा, दरअसल वह एक गलत धारणा के साथ ऐसा कर रहे हैं। 

अमेरिका में करीब दो दशक तक 4 लाख लोगों पर किए गए एक अध्ययन के बाद ताजा शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि लंबे वक्त तक  मल्टीविटामिन की गोलियां लेते रहने से सेहतमंद वयस्कों के लंबी उम्र में सुधार नहीं होता है। 

शोध के मुताबिक यूएस में 33 फीसदी व्यस्क जो स्वस्थ्य हैं वह रोजाना मल्टीविटामिन का इस्तेमाल करते हैं। इसके पीछे उनकी सोच है कि इससे न सिर्फ उनका स्वास्थ्य बेहतर रहेगा बल्कि यह कदम उन्हें बीमारियों से भी बचा कर रखेगा, जिससे उन्हें लंबा और स्वस्थ्य जीवन हासिल होगा।

इतने बड़े पैमाने पर मल्टीविटामिन का इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन पूर्व में किए गए अध्ययनों में इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं मिले कि क्या मल्टीविटामिन से वाकई लंबा और स्वस्थ्य जीवन हासिल होता है। 

हालांकि, अब यूएस में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) ने अपने शोध में यह गौर किया है कि लंबे समय तक रोजाना मल्टीविटामिन के इस्तेमाल से भी यूएस में रहने वाले स्वस्थ्य वयस्कों में जल्दी मृत्यु का जोखिम कम नहीं होता है। 

एनआईएच का यह नया अध्ययन जामा नेटवर्क ओपेन में प्रकाशित हुआ है।   

हालांकि, कई तरह की सीमाओं में बंधे और कुछ गौर करने वाले निष्कर्षों के साथ प्रकाशित  इस शोध में कहा गया है कि मल्टीविटामिन उन लोगों के लिए अब भी लाभप्रद हो सकती है जिनमें किसी तरह की विशेष रूप से पोषण की कमी है। 

एनआईएच के इस अध्ययन में मल्टीविटामिन का प्रयोग और गंभीर बीमारी खासतौर से कार्डियावैस्कुलर डिजीज या कैंसर से होने वाली मृत्यु के बीच संबंध को समझने की कोशिश की गई। इनमें यूएस में हुए तीन अलग-अलग अध्ययनों के आंकड़ों को भी शामिल किया गया। 

अध्ययन के लिए कुल  390,124 स्वस्थ्य व्यस्कों को शामिल किया गया, जिनकी उम्र 18 से 74 वर्ष की थी, साथ ही जिनमें किसी भी तरह की गंभीर बीमारी का इतिहास नहीं था।   

अध्ययन में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों ने खुद से मल्टीविटामिन के इस्तेमाल की अपनी प्रवृत्ति को रिपोर्ट किया। प्रतिभागियों ने इस अध्ययन में बताया कि वह कौन-कौन से विटामिन, मिनरल्स और अन्य तरह के सप्लीमेंट का इस्तेमाल कब-कब करते हैं। 

इस आधार पर शोधार्थियों ने प्रतिभागियों को तीन समूह में बांटा। इनमें पहला समूह वह था जो किसी भी तरह का मल्टीविटामिन इस्तेमाल नहीं करता था। दूसरा समूह वह था जो रोजाना मल्टीविटामिन का इस्तेमाल नहीं करता था। तीसरा समूह वह था जो  रोजाना मल्टीविटामिन का इस्तेमाल कर रहा था। 

इसके अलावा  शोधार्थियों ने अध्ययन में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों से उनके आहार के बारे में भी जानकारी हासिल करी। उनके स्मोकिंग स्टेटस, शराब और कॉफी पीने की आदतों व उनकी नस्ल और पहचान, शिक्षा, बॉडी मास इंडेक्स, शारीरिक सक्रियता का स्तर और परिवार में कैंसर की हिस्ट्री  के बारे में भी जानकारी को शोध में विश्लेषण का आधार बनाया गया। 

अध्ययन में हिस्सा लेने वाले इन प्रतिभागियों पर दो दशक तक निगाह रखी गई और कुछ लोगों को  27 वर्षों तक फॉलो किया गया। 

इस अध्ययन के दौरान 164,762  प्रतिभागियों की मौत हो गई।  इन मरने वालों में 30 फीसदी की कैंसर, 21 फीसदी की हृदय रोग और 6 फीसदी की मस्तिष्क संबंधी बीमारी से मौत हुई। 

वहीं, 40 फीसदी मल्टीविटामिन न इस्तेमाल करने वालों की तुलना में रोजाना मल्टीविटामिन का इस्तेमाल करने वाले समूह में आधी संख्या महिलाओं की थी। 

मल्टीविटामिन न लेने वाले समूह की तुलना में रोजाना मल्टीविटामिन लेने वालों में यह पाया गया कि वे अन्य सप्लीमेंट भी लेते हैं और अपना बीएमआई कम रखने व बेहतर आहार की तरफ ध्यान रखते हैं। 

इसके अलावा यह भी पाया गया कि मल्टीविटामिन महिलाओं के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है और उन लोगों के बीच भी काफी लोकप्रिय है जो अपने स्वास्थ्य के प्रति अत्यधिक सचेत रहते हैं। 

शोधार्थियों को इस बात के सबूत नहीं मिले कि रोजाना मल्टीविटामिन के इस्तेमाल से स्वस्थ्य वयस्कों दीर्घायु बनते हैं। हालांकि, प्रतिभागियों के विश्लेषण से चौंकाने वाला यह तथ्य भी मिला कि जो लोग रोजाना मल्टीविटामिन सप्लीमेंट्स का इस्तेमाल करते थे उनमें मल्टीविटामिन इस्तेमाल न करने वालों की तुलना में  4 फीसदी मरने का जोखिम अधिक था। 

शोधार्धियों ने यह बात भी कही कि रोजाना मल्टीविटामिन का इस्तेमाल अब भी स्वस्थ्य वृद्धावस्था और वृद्धों में स्वस्थ्य दिमाग जैसे परिणामों से जुड़ा है। वहीं, इस शोध की बहुत सारी सीमाएं हैं जिसके परिणाम को अभी बड़ी आबादी के लिए सामान्य नहीं किया जा सकता है। 

ऐसे स्वस्थ्य वयस्क जो आहार के जरिए पर्याप्त पोषण ले रहे हैं उन्हें रोजाना मल्टीविटामिन लेने का कोई फायदा नहीं है। बल्कि ऐसे लोग जो किसी खास तरह की पोषण की कमी या आयु संबंधी परेशानी का सामना कर रहे हैं उनके लिए रोजाना मल्टीविटामिन का इस्तेमाल फायदेमंद हो सकता है। 

स्वस्थ्य लोगों के लिए अच्छा और पोषणयुक्त आहार ही विटामिन और मिनरल्स का अच्छा स्रोत है।

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