क्या चाय पीने से धीमी पड़ जाती है उम्र बढ़ने की रफ्तार?

रिसर्च के मुताबिक चाय में पॉलीफेनॉल्स नामक बायोएक्टिव सब्सटेंस होता है, जो आंत में मौजूद माइक्रोबायोटा को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है
फोटो: आईस्टॉक
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क्या आप जानते हैं कि रोजाना चाय का सेवन जैविक उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर सकता है?

अंतराष्ट्रीय जर्नल द लैंसेट रीजनल हेल्थ में प्रकाशित एक नए अध्ययन का इस बारे में कहना है कि रोजाना चाय पीने से न केवल अच्छा महसूस होता है, साथ ही यह जैविक उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को भी धीमा कर सकता है।

यह अध्ययन चीन के सिचुआन विश्वविद्यालय से जुड़े शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किया गया है। अपने इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने यह भी समझने का प्रयास किया है कि कैसे चाय लोगों को लंबे समय तक जीने और स्वस्थ रहने में मदद कर सकती है। देखा जाए तो यह अवधारणा बेहद दिलचस्प है कि चाय जैसा रोजमर्रा में पिया जाने वाला पेय कैसे स्वास्थ्य के लिए इतना फायदेमंद हो सकता है।

अध्ययन में चीन के 30 से 79 वर्ष की उम्र के 7,931 लोगों को शामिल किया था, जबकि यूके के 5,998 लोग शामिल थे। इनकी आयु 37 से 73 वर्ष के बीच थी। इन सभी ने दो अलग-अलग सर्वेक्षणों में भाग लिया था। इस दौरान उन्होंने अपनी चाय पीने से जुड़ी आदतों के बारे में जानकारी साझा की थी। उन्होंने बताया कि वो हर दिन कितनी चाय पीते हैं। साथ ही उन्हें हरी, काली, पीली या ऊलोंग कौन से चाय पसंद है।

इस अध्ययन के जो नतीजे सामने आए हैं, वो हैरान कर देने वाले हैं, जिनके मुताबिक नियमित रूप से चाय पीने वालों की जैविक उम्र धीरे-धीरे बढ़ती है। इसका सबसे ज्यादा फायदा उन लोगों में देखा गया जो हर दिन औसतन तीन कप चाय या छह से आठ ग्राम चाय की पत्तियों का सेवन करते हैं।

चाय छोड़ने के बाद तेजी से बढ़ सकती है जैविक उम्र

हालांकि इसमें एक दिक्कत है, अगर आप चाय पीना बंद कर देते हैं, तो आपकी जैविक उम्र तेजी से बढ़ सकती है। ऐसे में इसका नियमित सेवन स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

अब सवाल यह है कि चाय में ऐसा क्या होता है जो बढ़ती उम्र को धीमा करने में मदद करता है? वैज्ञानिकों के मुताबिक ऐसा चाय में मौजूद पॉलीफेनॉल्स के कारण होता है, जो एक महत्वपूर्ण जैवसक्रिय पदार्थ (बायोएक्टिव सब्सटेंस) है।

रिसर्च से पता चला है कि पॉलीफेनॉल्स आंत में मौजूद माइक्रोबायोटा को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जो उम्र बढ़ने के साथ प्रतिरक्षा, चयापचय (मेटाबोलिज्म) और मस्तिष्क के कार्य को प्रभावित कर सकते हैं।

अध्ययन में यह भी सामने आया है कि बात चाहे यूके में पी जाने वाली काली चाय की हो या चीन की ग्रीन टी की, दोनों के ही एंटी-एजिंग प्रभावों में कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं देखा गया। साथ ही यह चाय कितनी गर्म थी उसका भी निष्कर्ष पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा था।

देखा जाए तो दुनिया में चाय को अलग-अलग रूपों में उपभोग किया जाता है। हर कोई इसे अपने-अपने तरीके से प्रोसेस करता है ऐसे में इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव भी अलग-अलग होते हैं। उदाहरण के लिए यदि ग्रीन टी की बात करें तो उसमें एंटीऑक्सीडेंट और पॉलीफेनॉल भरपूर मात्रा में होते हैं। ऐसे में इसका नियमित सेवन दिल के लिए फायदेमंद होता है। साथ ही यह वजन कम करने के साथ-साथ मधुमेह जैसी बीमारियों के जोखिम को कम करने में मददगार साबित हो सकता है।

वहीं ज्यादातर भारतीय घरों में पी जाने वाली काली चाय की बात करें तो यह न केवल स्वादिष्ट होती है, साथ ही इसमें फ्लेवोनॉयड्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो हृदय के लिए अच्छे होते हैं। यह स्ट्रोक के जोखिम को कम करने के साथ-साथ रक्तचाप और खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं।

उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने के अलावा, चाय में मौजूद कैफीन मानसिक रूप से तरोताजा करने में भी मदद करता है। चाय में मौजूद कैफीन और एमिनो एसिड एल-थीनाइन का अनूठा मिश्रण ध्यान देने की क्षमता को बढ़ाता है और याददाश्त को बेहतर बनाता है। इससे प्रतिक्रिया देने का समय तेज हो जाता है, जिससे मानसिक प्रदर्शन में सुधार होता है।

खास तौर पर ग्रीन टी दांतों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है। इसमें फ्लोराइड होता है, जो दांतों के इनेमल को मजबूत बनाता है और दांतों की सड़न को रोकने में मदद करता है। इसके साथ ही चाय में मौजूद पॉलीफेनॉल और कैटेचिन उन बैक्टीरिया से भी लड़ते हैं जो कैविटी और मसूड़ों की बीमारी का कारण बनते हैं।

हालांकि यह अध्ययन आशाजनक जानकारी प्रदान करता है, लेकिन इसकी कुछ सीमाएं भी हैं। इस अध्ययन में चाय के कप के आकार पर ध्यान नहीं दिया गया। इसी तरह यह निष्कर्ष अवलोकन पर आधारित हैं, ऐसे में यह साबित नहीं करते कि चाय पीने से जैविक उम्र बढ़ने की प्रक्रिया सीधे तौर पर धीमी हो जाती है।

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