क्यों आत्महत्या कर रहे छात्र? सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स के गठन का दिया निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने टास्क फोर्स से मौजूदा नियमों की समीक्षा करने के लिए भी कहा है
आज लोगों में जिस तरह से तनाव, दुःख, खेद, रंज, निराशा और हताशा बढ़ रही है, उसकी वजह से लोग आत्महत्या की ओर अग्रसर हो रहे हैं; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
आज लोगों में जिस तरह से तनाव, दुःख, खेद, रंज, निराशा और हताशा बढ़ रही है, उसकी वजह से लोग आत्महत्या की ओर अग्रसर हो रहे हैं; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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24 मार्च, 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने उच्च शिक्षण संस्थानों में बार-बार होने वाली छात्र आत्महत्याओं की जांच के लिए एक नेशनल टास्क फोर्स के गठन का आदेश दिया है।

टास्क फोर्स छात्रों की आत्महत्या के मुख्य कारणों की पहचान करेगी और इस बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी। साथ ही टास्क फोर्स से मौजूदा नियमों की समीक्षा करने के लिए भी कहा गया है। साथ ही यह सुरक्षा को मजबूत करने के लिए भी सुझाव देगी।

आदेश में यह भी कहा गया है कि अपनी रिपोर्ट तैयार करने के दौरान टास्क फोर्स किसी भी उच्च शिक्षा संस्थान का औचक निरीक्षण कर सकती है।

कोर्ट के मुताबिक इन आदेशों से परे यदि आवश्यक हो तो टास्क फोर्स छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और कॉलेजों में आत्महत्याओं को रोकने के लिए अतिरिक्त सिफारिशें दे सकती है। टास्क फोर्स से चार महीनों के भीतर अंतरिम और आठ महीने में अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।

मानसिक स्वास्थ्य को संबोधित करने के लिए पर्याप्त नहीं मौजूदा कानून

इस मामले में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर एम महादेवन की बेंच ने कहा कि छात्रों की आत्महत्याएं दर्शाती हैं कि मौजूदा कानून और प्रणालियां छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को संबोधित करने और परिसरों में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

इस मामले में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर एम महादेवन की बेंच ने कहा कि छात्रों की आत्महत्याएं दर्शाती हैं कि मौजूदा कानून और प्रणालियां छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को संबोधित करने और परिसरों में आत्महत्याओं को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

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अदालत का यह भी कहना है कि ये त्रासदियां एक मजबूत, व्यापक और अधिक प्रभावी प्रणाली की तत्काल आवश्यकता को उजागर करती हैं, जो उन कारणों को संबोधित कर सकें, जो कुछ छात्रों को अपनी जान लेने के लिए मजबूर कर देते हैं।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी एक्सीडेंटल डेथ्स एंड स्यूसाइड्स इन इंडिया 2022 रिपोर्ट में जारी आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2021 में 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की थी। वहीं 2022 में यह आंकड़ा बढ़कर 1,70,924 पर पहुंच गया, जो स्पष्ट तौर पर इस बात को दर्शाता है कि भले ही पिछले तीन दशकों के दौरान भारत में आत्महत्या के मामलों में गिरावट आई है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह आंकड़ा फिर बढ़ा है।

इस लिहाज से देखें तो भारत में साल 2022 में हर घंटे 19 लोगों ने आत्महत्या की।

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हाल ही में आईसी3 इंस्टिट्यूट द्वारा जारी एक रिपोर्ट से पता चला है कि भारतीय छात्रों में आत्महत्या की दर चिंताजनक दर से बढ़ रही है। आत्महत्या की दर में 2020 से 2021 के बीच 4.5 फीसदी की वृद्धि हुई है। यह बढ़ोतरी राष्ट्रीय औसत की तुलना में करीब दोगुणी है। यह रिपोर्ट राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों पर आधारित है।

इसी तरह 2019 की तुलना में देखें तो 2020 में छात्रों द्वारा किए आत्महत्या के मामलों में 21 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है। आंकड़ों पर नजर डालें तो 2012 से 2021 के बीच 97,571 छात्रों ने आत्महत्याएं की, जो पिछले दशक (2002-2011) की तुलना में 57 फीसदी अधिक है।

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रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में भारत में आत्महत्या करने वाले छात्रों का आंकड़ा 13,044 दर्ज किया गया था, जो 2021 की तुलना में (13,089) थोड़ा कम है। हालांकि वहीं 2020 के आंकड़ों को देखें तो उस वर्ष में 12,526 छात्रों ने आत्महत्या की थी। वहीं 2019 में आत्महत्या करने वाले छात्रों की संख्या 10,335 रिकॉर्ड की गई थी।

देखा जाए तो आज लोगों में जिस तरह से तनाव, दुःख, खेद, रंज, निराशा और हताशा बढ़ रही है, उसकी वजह से लोग आत्महत्या की ओर अग्रसर हो रहे हैं। चिंता की बात है कि स्कूल, कॉलेजों में पढ़ने वाले बच्चे भी इस समस्या का शिकार बन रहे हैं।

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