दुनिया में हर साल करीब 7 लाख लोग आत्महत्या कर लेते हैं, 2019 में यह आंकड़ा 7.03 लाख था, इसका मतलब है कि हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है। दुनियाभर में हर 100 में से एक व्यक्ति की जान खुदकुशी करने के कारण गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया में होने वाली करीब 1.3 फीसदी मौतों की वजह आत्महत्या है जो इसे मृत्यु के लिए जिम्मेवार 17वां सबसे बड़ा कारण बनाता है।
यह जानकारी 16 जून 2021 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) द्वारा जारी रिपोर्ट सुसाइड वर्ल्डवाइड इन 2019 में सामने आई है। आंकड़ों के अनुसार आत्महत्या करने के कारण दुनिया में जितने लोगों की जान गई है उतनी तो मलेरिया, एचआईवी/एड्स, स्तन कैंसर, युद्ध और हत्या के मामलों में भी नहीं गई हैं।
हालांकि देखा जाए तो दुनियाभर में आत्महत्या के मामले सामने आते हैं पर इससे सबसे ज्यादा जानें कम और मध्यम आय वाले देशों में गई थी। 2019 में आत्महत्या में गई कुल जानों में से 77 फीसदी इन्हीं देशों में गई थी। इन देशों में ही दुनिया की अधिकांश आबादी रहती है। यदि वैश्विक स्तर पर देखें तो आत्महत्या के कारण जाने वाली जानों का आंकड़ा 9 प्रति लाख था। वहीं अफ्रीका में यह 11.2, यूरोप में 10.5 प्रति लाख और दक्षिण पूर्व एशिया में 10.2 था, जबकि पूर्वी भूमध्य क्षेत्र में यह सबसे कम 6.4 प्रति लाख दर्ज किया गया था।
वहीं यदि सिर्फ महिलाओं द्वारा की आत्महत्या और उसमें गई जानों की बात करें तो वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 5.4 प्रति लाख था। वहीं दक्षिण पूर्व एशिया में यह 8.1 प्रति लाख था। पुरुषों को देखें तो आत्महत्या के कारण वैश्विक स्तर पर होने वाली मृत्य 12.6 प्रति लाख थी। वो अफ्रीका में 18 प्रति लाख थी जोकि वैश्विक औसत से कहीं ज्यादा थी। इसी तरह अमेरिका में यह 14.2 और यूरोप में 17.1 प्रति लाख दर्ज किया गया था।
वहीं यदि आत्महत्या करने वालों की उम्र की बात करें तो जिन लोगों की जानें आत्महत्या करने के कारण गई थी, उनमें से करीब 58 फीसदी की उम्र 50 वर्ष से कम थी। इसी तरह आत्महत्या में मरने वाले करीब 88 फीसदी किशोर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते थे।
यदि नवयुवकों (15 से 29 वर्ष) में मौत के कारण को देखें तो आत्महत्या, उनकी जान लेने वाला चौथा प्रमुख कारण थी। इसी तरह किशोरों (15 से 19 वर्ष) की मृत्यु का भी यह चौथा प्रमुख कारण थी।
इसके कारण भारत में भी गई थी 173,347 लोगों की जान
यदि भारत में आत्महत्या से जाने वाली जानों के आंकड़ों को देखें तो डब्लूएचओ के मुताबिक 2019 में इसके कारण 173,347 लोगों की जान गई थी। जिनमें से 42 फीसदी महिलाऐं थी। इसका मतलब है कि इस वर्ष में 72,935 महिलाओं ने आत्महत्या में अपनी जान दी थी, जबकि इसके कारण मरने वालों का आंकड़ा 100,413 था।
ऐसा नहीं है कि आत्महत्या के मामलों में कमी नहीं आई है, 2000 से 2019 के बीच 20 वर्षों की अवधि में इसमें 36 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। जोकि पूर्वी भूमध्य क्षेत्र में 17 फीसदी, यूरोपीय क्षेत्र में 47 फीसदी और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में 49 फीसदी थी।
संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्यों में भी इसे 3.4.2 के अंतर्गत लक्षित किया गया है। जिसमें मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देकर 2030 तक इससे होने वाली मौतों में एक तिहाई कमी करना है, लेकिन इस रिपोर्ट की मानें तो हम इस लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाएंगें।