

ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, कुपोषण और अवरुद्ध विकास के कारण हर साल 10 लाख बच्चे अपनी पांचवीं वर्षगांठ से पहले ही दम तोड़ देते हैं।
उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में स्थिति सबसे गंभीर है, जहां बच्चों की मौतों का मुख्य कारण कुपोषण और संक्रमण है।
रिपोर्ट के मुताबिक बचपन में पर्याप्त विकास न हो पाने की वजह से 2000 में 27.5 लाख बच्चों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। हालांकि 2023 में यह आंकड़ा घटकर 8.8 लाख पर पहुंच गया है।
मतलब की पिछले दो दशकों में इस दिशा में प्रगति जरूर हुई है, लेकिन अब भी पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए कुपोषण, अवरुद्ध विकास गंभीर खतरा बने हुए हैं।
इसका सबसे ज्यादा असर उप-सहारा अफ्रीका में दर्ज किया गया, जहां पर्याप्त विकास न हो पाने की वजह से 6.18 लाख बच्चों की मौतें दर्ज की गई, वहीं दक्षिण अफ्रीका में यह आंकड़ा 1.65 लाख रिकॉर्ड किया गया है।
इससे ज्यादा विडम्बना क्या होगी कि विकास के घोड़े पर सवार दुनिया में हर साल करीब 10 लाख बच्चे अपना पांचवा जन्मदिन भी नहीं देख पाते। इसका सबसे बड़ा कारण है बचपन में हो रहे विकास का थम जाना, जो पांच साल या उससे कम उम्र के बच्चों में मृत्यु और बीमारी का तीसरा सबसे बड़ा जोखिम बन चुका है।
यह जानकारी ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज 2023 के ताजा अध्ययन में सामने आई है, जिसके नतीजे अंतराष्ट्रीय जर्नल द लैंसेट चाइल्ड ऐंड अडोलेसेंट हेल्थ में प्रकाशित हुए हैं।
मौतें घटीं, लेकिन संकट अब भी गहरा
रिपोर्ट के मुताबिक बचपन में पर्याप्त विकास न हो पाने की वजह से 2000 में 27.5 लाख बच्चों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। हालांकि 2023 में यह आंकड़ा घटकर 8.8 लाख पर पहुंच गया है। मतलब की पिछले दो दशकों में इस दिशा में प्रगति जरूर हुई है, लेकिन अब भी पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए कुपोषण, अवरुद्ध विकास गंभीर खतरा बने हुए हैं।
इसका सबसे ज्यादा असर उप-सहारा अफ्रीका में दर्ज किया गया, जहां पर्याप्त विकास न हो पाने की वजह से 6.18 लाख बच्चों की मौतें दर्ज की गई, वहीं दक्षिण अफ्रीका में यह आंकड़ा 1.65 लाख रिकॉर्ड किया गया है।
कुपोषण के तीन चेहरे: कौन सबसे घातक?
स्टडी में इस बात पर भी प्रकाश डाला है कि अवरुद्ध विकास के तीन अलग-अलग संकेतकों में सबसे बड़ा बोझ कम वजन का है, जो पांच साल से कम उम्र के बच्चों की कुल मौतों के 12 फीसदी के लिए जिम्मेवार है। इसके बाद शारीरिक कमजोरी (वेस्टिंग) नौ फीसदी, जबकि ठिगनापन (स्टंटिंग) आठ फीसदी मौतों से जुड़ा है।
अध्ययन में यह भी सामने आया है कि दुनिया में ठिगने बच्चों की संख्या पिछले अनुमान से कहीं अधिक है।
शारीरिक रूप से कमजोर और विकास के लिए संघर्ष कर रहे इन बच्चों के लिए मामूली संक्रमण और बीमारियां भी जानलेवा साबित होती हैं। यही वजह है कि 2023 में पांच साल से कम उम्र के करीब आठ लाख बच्चे सांस संबंधी संक्रमणों, जैसे निमोनिया के साथ ही मलेरिया, खसरा और दस्त जैसी बीमारियों का शिकार होकर काल के गाल में समा गए।
उप-सहारा अफ्रीका में स्थिति भयावह है जहां डायरिया सम्बन्धी बीमारियों से मरने वाले बच्चों में 77 फीसदी कुपोषण का शिकार थे। वहीं सांस संबंधी संक्रमण के कारण अपनी जान गंवाने वाले 65 फीसदी बच्चे शारीरिक रूप से कमजोर थे।
अफ्रीका-दक्षिण एशिया में स्थिति सबसे बदतर
दक्षिण एशिया में भी स्थिति कम चिंताजनक नहीं, जहां डायरिया से मरने वाले 79 फीसदी बच्चों में शारीरिक विकास अवरुद्ध होने की समस्या पाई गई। वहीं सांस संबंधी संक्रमण से होने वाली मौतों के मामले में यह आंकड़ा 53 फीसदी दर्ज किया गया।
वहीं, समृद्ध देशों में बच्चों में विकास-असफलता से जुड़ी कम मौतें दर्ज हुई। उदाहरण के लिए वहां डायरिया से मरने वाले 33 फीसदी बच्चे कुपोषण से जूझ रहे थे। सांस सम्बन्धी संक्रमण से होने वाली मौतों के मामले में यह आंकड़ा 35 फीसदी दर्ज किया गया।
अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता प्रोफेसर डॉक्टर बॉबी राइनर का इस बारे में प्रेस विज्ञप्ति में कहना है, बच्चों में कई कारणों से विकास अवरुद्ध हो जाता है, इनमें खराब पोषण, भोजन की कमी, जलवायु परिवर्तन, गंदगी और युद्ध जैसे कारण शामिल हैं। यह सभी मिलकर बच्चों के स्वास्थ्य पर असर डालते हैं।" उनके मुताबिक इस वजह से किसी एक रणनीति से सभी क्षेत्रों में बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार लाना संभव नहीं है।
पहले तीन महीने सबसे अहम
अध्ययन में यह भी सामने आया है कि ज्यादातर नवजातों में स्टंटिंग के संकेत जीवन के पहले तीन महीनों में ही दिखने लगते हैं। इसका मतलब है कि गर्भावस्था से पहले और उस दौरान मिलने वाली देखभाल सबसे अहम है।
वहीं शारीरिक कमजोर और ठिगनापन (स्टंटिंग) एक-दूसरे को बढ़ाते हैं। स्टंटिंग के शिकार बच्चों में आगे चलकर कमजोरी का खतरा बढ़ जाता है। इसी तरह शारीरिक रूप से कमजोर बच्चों में स्टंटिंग का खतरा अधिक होता है। उम्र बढ़ने के साथ यह दुष्चक्र और गहरा होता जाता है। जीवन के शुरुआती महीनों में विकास में आया यह अवरोध समय से पहले या कम वजन के पैदा हुए बच्चों की ओर इशारा करती है।
वहीं बड़े शिशुओं और छोटे बच्चों में बढ़त रुकने की वजह पोषण की कमी, बार-बार होने वाले संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य कारण हो सकते हैं। डॉक्टर राइनर का कहना है, “ठिगनापन एक बार बढ़ जाए तो उसे पलटना बेहद मुश्किल होता है। ऐसे में उन क्षेत्रों की पहचान जरूरी है, जहां यह समस्या अधिक गंभीर है।“