70 वर्षों की मेहनत लाई रंग, अमेजन क्षेत्र में मलेरिया मुक्त होने वाला पहला देश बना सूरीनाम

सूरीनाम अमेजन क्षेत्र का पहला देश है जिसे यह मान्यता मिली है। इसके साथ ही सूरीनाम, जॉर्जिया के बाद 2025 में मलेरिया मुक्त होने वाला दूसरा देश बन गया है
मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलती है; फोटो: आईस्टॉक
मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलती है; फोटो: आईस्टॉक
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70 वर्षों के संघर्ष, सैकड़ों जिंदगियों को खोने, और अनगिनत प्रयासों के बाद सूरीनाम ने आखिरकार मलेरिया से जंग जीत ली है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सूरीनाम को आधिकारिक रूप से 'मलेरिया-मुक्त' घोषित कर दिया है।

सूरीनाम अमेजन क्षेत्र का पहला देश है जिसे यह मान्यता मिली है। इसके साथ ही सूरीनाम, जॉर्जिया के बाद 2025 में मलेरिया मुक्त होने वाला दूसरा देश बन गया है। सरकार, स्वास्थ्य कर्मियों और आम लोगों की 70 वर्षों की कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता के बाद सूरीनाम ने यह मुकाम हासिल किया है।

बता दें कि अब तक दुनिया के 46 देशों और एक क्षेत्र को मलेरिया मुक्त घोषित किया जा चुका है। इसमें अमेरिकी क्षेत्र के 12 देश भी शामिल हैं। 2024 में मिस्र और केप वर्डे ने यह उपलब्धि हासिल की थी।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा किसी देश को मलेरिया उन्मूलन का यह प्रमाण पत्र तब दिया जाता है, जब वो यह साबित कर दे कि एनोफिलीज मच्छरों द्वारा मलेरिया का प्रसार कम से कम पिछले तीन वर्षों में सामने नहीं आया है। इसके साथ ही देश को मलेरिया को फिर से उभरने से रोकने की अपनी क्षमता को भी प्रदर्शित करना होता है।

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मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलती है; फोटो: आईस्टॉक

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयेसस ने सूरीनाम की शानदार सफलता पर बधाई देते हुए कहा कि “यह उपलब्धि दिखाती है कि स्वास्थ्य सेवाएं हर किसी का अधिकार हैं, चाहे उनकी राष्ट्रीयता या पृष्ठभूमि कुछ भी हो। सूरीनाम ने स्वास्थ्य समानता का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह उन देशों के लिए प्रेरणा है जो मलेरिया-मुक्त भविष्य की दिशा में प्रयास कर रहे हैं।“

गौरतलब है कि मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलती है। हालांकि बीमारी का इलाज संभव है और इसे रोका जा सकता है। यह बीमारी अधिकांशतः उष्णकटिबन्धीय देशों में पाई जाती है। इससे जुड़ा संक्रमण एक परजीवी के कारण फैलता है, जो एक इंसान से दूसरे में नहीं फैलता।

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मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलती है; फोटो: आईस्टॉक

मलेरिया के कुछ मामलों में हल्के लक्षण सामने आते हैं, जबकि कुछ के लिए यह बीमारी जानलेवा हो सकती है। इसके हल्के लक्षणों में बुखार आना, ठंड लगना और सिरदर्द शामिल हैं, जबकि गम्भीर लक्षणों में थकान, भ्रम पैदा होना, दौरा पड़ना और सांस लेने में कठिनाई आदि होना शामिल हैं।

मलेरिया-मुक्त होने का सफर

सूरीनाम में मलेरिया को नियंत्रित करने की शुरुआत 1950 के दशक में शुरू हुई, जब तटीय इलाकों में डीडीटी का छिड़काव और दवाओं से इलाज शुरू किया गया। 1960 तक ये क्षेत्र मलेरिया-मुक्त हो गए। इसके बाद ध्यान देश के घने जंगलों वाले आंतरिक क्षेत्रों पर गया, जहां आदिवासी और जनजातीय समुदाय रहते हैं।

1990 से 2000 के दशक में खनन कार्यों, खासकर सोने की खदानों में लोगों की आवाजाही बढ़ने से मलेरिया के मामलों में भारी वृद्धि हुई। हालात यह हो गए कि वहां 2001 में मलेरिया के 15,000 से ज्यादा मामले सामने आए, जो अमेरिका में सबसे अधिक थे।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए 2005 के बाद से ग्लोबल फंड के सहयोग से सूरीनाम में मलेरिया की जांच और इलाज की सुविधाएं काफी बढ़ाई गईं। मलेरिया-रोधी दवाओं का वितरण किया गया और विशेष रूप से खनन क्षेत्रों से जुड़े लोगों को मलेरिया सेवा प्रदाता के रूप में प्रशिक्षित किया गया।

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2006 तक, सूरीनाम में वनवासी समुदायों में मलेरिया के मामले काफी कम हो गए। इसके बाद सरकार ने ध्यान दूर-दराज के खनन क्षेत्रों में रहने वाले खासकर प्रवासी लोगों पर केंद्रित किया।

इन कार्यकर्ताओं ने समुदायों तक मुफ्त जांच, इलाज और रोकथाम की सेवाएं पहुंचाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके साथ ही सूरीनाम और आस-पास के देशों में आर्टेमिसिनिन और प्राइमेक्वीन आधारित दवाएं शुरू की गईं। साथ ही, खतरे में पड़े समूहों को मच्छरदानी वितरित कर रोकथाम को मजबूत किया गया।

सूरीनाम ने सभी लोगों को चाहे उनकी कानूनी स्थिति कुछ भी हो, मलेरिया की जांच और इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई। साथ ही, देशभर में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का नेटवर्क खड़ा किया और सीमाओं सहित कई जगहों पर मलेरिया की स्क्रीनिंग शुरू की।

इन प्रयासों से सुरिनाम ने मलेरिया को जड़ से खत्म किया जा सका। वहां 2018 में प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम और 2021 में प्लास्मोडियम विवैक्स के आखिरी स्थानीय मामले दर्ज किए गए थे। इसके बाद से वहां मलेरिया का कोई मामला सामने नहीं आया है।

सूरीनाम सरकार ने मलेरिया को जड़ से खत्म करने के लिए लगातार मजबूत प्रतिबद्धता दिखाई है। इसके तहत नेशनल मलेरिया टास्कफोर्स, मलेरिया कार्यक्रम, मलेरिया उन्मूलन फंड, और ब्राजील, गुयाना व फ्रेंच गयाना के साथ सीमा-पार सहयोग किए गए।

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कई वर्षों से पैन अमेरिकन हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन/ डब्ल्यूएचओ को अमेरिकी सरकार का सहयोग भी सुरिनाम के अभियान में मिलता रहा है। 2016 से सुरिनाम "एलिमिनेशन 2025" पहल का हिस्सा भी है, जिसमें वे देश शामिल हैं जो 2025 तक मलेरिया को खत्म कर सकते हैं।

देखा जाए तो सूरीनाम की यह सफलता दर्शाती है कि अमेजन जैसे चुनौतीपूर्ण इलाकों में भी मलेरिया को खत्म किया जा सकता है। यह उपलब्धि पूरे अमेरिका क्षेत्र में 2030 तक संक्रामक बीमारियों के उन्मूलन के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।

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