मील का पत्थर: डब्ल्यूएचओ ने अजरबैजान और ताजिकिस्तान को मलेरिया मुक्त किया घोषित

वैश्विक स्तर पर अब तक कुल 42 देश और क्षेत्र मलेरिया मुक्त हो चुके हैं
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अजरबैजान और ताजिकिस्तान को मलेरिया मुक्त घोषित कर दिया है, जोकि एक अच्छी खबर है। देखा जाए तो 2021 में चीन और अल सल्वाडोर को मलेरिया मुक्त प्रमाणित करने के बाद यह पहला मौका है जब डब्लूएचओ ने किसी देश को मलेरिया मुक्त प्रमाणित किया है।

गौरतलब है कि दुनिया में अब तक 42 देश इस मील के पत्थर को हासिल कर चुके हैं। देखा जाए तो यह पिछले एक सदी से निरंतर किए जा रहे प्रयासों का परिणाम है। सबसे पहले 1962 में ग्रेनेडा और सेंट लूसिया को मलेरिया मुक्त घोषित किया गया था।

इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस का कहना है कि, "अजरबैजान और ताजिकिस्तान की सरकार और लोगों ने मलेरिया को खत्म करने के लिए लंबे समय तक कड़ी मेहनत की है।" "उनकी उपलब्धि इस बात का सबूत है कि सही संसाधनों और राजनैतिक प्रतिबद्धता के साथ मलेरिया को खत्म करना मुमकिन है।" "उम्मीद है कि अन्य देश उनके अनुभव से सीख सकते हैं।"

गौरतलब है कि मलेरिया उन्मूलन का यह सर्टिफिकेट, इस बात का प्रमाण है कि कोई देश मलेरिया मुक्त हो चुका है उसकी आधिकारिक पुष्टि विश्व स्वास्थ्य संगठन करता है। यह सर्टिफिकेट तब दिया जाता है, जब किसी देश ने विश्वसनीय सबूतों के साथ यह दिखाया हो कि एनोफिलीज मच्छरों द्वारा देश में मलेरिया का प्रसार और उसकी श्रृंखला कम से कम पिछले तीन वर्षों से बाधित हुई है। साथ ही उस देश में इसका प्रसार दोबारा न हो इसको रोकने की क्षमता के बारे में भी डब्लूएचओ को अवगत करना होता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा साझा जानकारी के मुताबिक स्थानीय रूप से अजरबैजान में प्लास्मोडियम विवैक्स (पी विवैक्स) मलेरिया का प्रसार अंतिम बार 2012 में रिकॉर्ड किया गया था। इसी तरह 2014 में ताजिकिस्तान में मलेरिया का अंतिम मामला सामने आया था। डब्लूएचओ द्वारा मलेरिया मुक्ति की इस घोषणा के साथ अब तक कुल 41 देश और एक क्षेत्र को मलेरिया मुक्त घोषित कर दिया गया है। इसमें 21 यूरोपीय देश भी शामिल हैं।

हर दिन सामने आ रहे मलेरिया के 676,712 मामले सामने

मलेरिया कितनी घातक बीमारी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हर सेकंड किसी न किसी की जान मलेरिया से जा रही है। 2021 के आंकड़े दर्शाते हैं कि उस वर्ष 25 करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रस्त थे। मतलब की औसतन हर दिन मलेरिया के 676,712 मामले सामने आए थे। वहीं इसने करीब 619,000 लोगों की जिंदगियां लील ली थी।

वर्ल्ड मलेरिया रिपोर्ट 2022” के मुताबिक 2021 में मलेरिया के जितने मामले आए थे उनमें से 95 फीसदी यानी करीब 23.4 करोड़ मामले अकेले अफ्रीका में दर्ज किए गए थे। इसी तरह मलेरिया से हुई करीब 96 फीसदी मौतें भी अफ्रीका में ही दर्ज की गई थी।

स्थिति इस लिए भी गंभीर है क्योंकि जिस तरह से जलवायु में बदलाव आ रहा है, उसके चलते सदी के अंत तक करीब 840 करोड़ लोगों पर डेंगू और मलेरिया का खतरा मंडराने लगेगा। द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक आज जिस तरह से जलवायु में बदलाव आ रहे हैं, उसकी वजह से यह मच्छर उन स्थानों पर भी पनपने लगे हैं, जहां पहले नहीं पाए जाते थे।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस का कहना है कि “हमारे सामने अनेक चुनौतियां हैं, लेकिन आशावान होने के भी कई कारण मौजूद हैं।” उनका कहना है कि मलेरिया की रोकथाम और बचाव के उपायों को सशक्त करने के साथ इसकी जोखिम की बेहतर समझ, इसके बोझ को कम कर सकती है। इसके साथ ही बेहतर तैयारी और शोध की मदद से मलेरिया मुक्त भविष्य का सपना साकार किया जा सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार यह वैश्विक प्रयासों का ही नतीजा है कि दुनिया भर में पर 2000 से 2021 के बीच मलेरिया के संभावित 200 करोड़ मामलों और 1.2 करोड़ मौतों को टाला जा सका है। देखा जाए तो अजरबैजान और ताजिकिस्तान ने जिस तरह से मलेरिया उन्मूलन के लिए प्रयास किए हैं वो दुनिया के अन्य देशों के लिए मिसाल बन सकता है।

सीख ले सकते हैं अन्य देश

दोनों देशों ने मलेरिया नियंत्रण के प्रयासों को निवेश और सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों की एक श्रृंखला की मदद से मजबूत किया है, जो समय के साथ बीमारी को खत्म करने और मलेरिया मुक्त स्थिति को बनाए रखने में सरकारों को सक्षम बनाता है।

पिछले छह दशकों से भी अधिक समय से दोनों देशों ने व्यापक रूप से प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल की गारंटी दी है। उन्होंने मलेरिया लक्षित उपायों का जोरदार समर्थन किया है। उदाहरण के लिए इसकी रोकथाम के उपाय जैसे घरों के अंदर कीटनाशकों का छिड़काव, मामलों की शीघ्र पहचान और उपचार को बढ़ावा देना, और मलेरिया उन्मूलन में लगे सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के की क्षमता को बनाए रखना शामिल है।

अजरबैजान और ताजिकिस्तान दोनों ही देश राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक मलेरिया निगरानी प्रणाली का उपयोग करते हैं, जो करीब-करीब रियल टाइम में मामलों का पता लगाने की सुविधा प्रदान करती है। साथ ही संक्रमण स्थानीय है या बाहर से आया है यह निर्धारित करने के लिए तेजी से जांच की अनुमति देती है। इसके अलावा देशों ने अन्य उपाय भी किए हैं जिनमें लार्वा को नियंत्रित करने के जैविक उपाय शामिल हैं। इनमें मलेरिया वैक्टर को नियंत्रित करने के लिए जल प्रबंधन करना जैसे उपाय शामिल हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 1920 के दशक से, ताजिकिस्तान की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा और कुछ हद तक अजरबैजान का, कृषि उत्पादन, खास तौर पर कपास और चावल के निर्यात पर निर्भर था। इसकी वजह से सिंचाई प्रणाली ने ऐतिहासिक रूप से श्रमिकों के लिए मलेरिया का जोखिम पैदा किया था। ऐसे में दोनों देशों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में मलेरिया निदान और उपचार तक मुफ्त पहुंच प्रदान करके कृषि श्रमिकों की सुरक्षा के लिए प्रणालियां स्थापित की हैं।

साथ ही सरकारों ने स्वास्थ्य कर्मियों के पास उचित मलेरिया-रोधी दवाओं के साथ संक्रमित श्रमिकों का तुरंत परीक्षण, निदान और उपचार करने के साथ इसके जोखिम से जुड़े कारकों की निगरानी और आकलन करने की क्षमता भी विकसित की है। वहीं वेक्टर नियंत्रण के लिए कीटनाशकों के विवेकपूर्ण उपयोग का नियमित रूप से मूल्यांकन करना, जल प्रबंधन प्रणालियों को लागू करना और मलेरिया की रोकथाम के बारे में जनता को शिक्षित करना जैसे उपायों को शामिल किया है।

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