
मालदीव ने हेपेटाइटिस बी, एचआईवी और सिफलिस के मां से बच्चे में होने वाले संक्रमण को समाप्त कर दुनिया का पहला देश बनकर इतिहास रच दिया है।
डब्ल्यूएचओ ने इस उपलब्धि को मान्यता दी है, जो मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में सतत निवेश का परिणाम है।
यह सफलता अन्य देशों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
दक्षिण-पूर्व एशिया में ही देखें तो 2024 में करीब 23,000 से अधिक गर्भवती महिलाओं को सिफलिस थी और 8,000 से अधिक शिशु जन्म के साथ ही इस बीमारी के साथ पैदा हुए थे।
एचआईवी संक्रमित करीब 25000 गर्भवती महिलाओं को अपने बच्चों तक संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए उपचार की जरूरत थी। वहीं 4.2 करोड़ से अधिक लोग हेपेटाइटिस बी से जूझ रहे हैं।
मालदीव स्वास्थ्य क्षेत्र में अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 10 फीसदी से अधिक निवेश भी करता है।
मालदीव दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जिसने तीन घातक बीमारियों से बच्चों को सुरक्षित रखने में सफलता हासिल की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सोमवार को कहा कि मालदीव ने स्वास्थ्य क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए हेपेटाइटिस बी, एचआईवी और सिफलिस के मां से बच्चे में होने वाले संक्रमण (ईएमटीसीटी) को हराकर जीत हासिल कर ली है।
इसके साथ ही मालदीव इन तीनों बीमारियों से नवजातों को बचाने में सफलता हासिल करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।
गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मालदीव को मां से बच्चे में होने वाले हेपेटाइटिस बी संक्रमण को समाप्त करने में सफलता हासिल करने को लेकर मान्यता दे दी है। इसके साथ ही 2019 में एचआईवी और सिफलिस के मां से बच्चे में होने वाले संक्रमण के उन्मूलन की मान्यता को भी बरकरार रखा गया है।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयेसस ने इस मौके पर कहा, “मालदीव ने यह साबित कर दिया है कि मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में सतत निवेश से इन जानलेवा बीमारियों और उनसे जुड़ी पीड़ा को रोका जा सकता है। यह ऐतिहासिक सफलता दुनिया भर के देशों के लिए प्रेरणा और आशा की किरण है।”
डब्ल्यूएचओ ने इस बारे में जानकारी साझा करते हुए कहा कि मां से बच्चों में होने वाला संक्रमण दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करता है। यदि दक्षिण-पूर्व एशिया में ही देखें तो 2024 में करीब 23,000 से अधिक गर्भवती महिलाओं को सिफलिस थी और 8,000 से अधिक शिशु जन्म के साथ ही इस बीमारी के साथ पैदा हुए थे।
हेपेटाइटिस बी से जूझ रहे करोड़ों लोग
एचआईवी संक्रमित करीब 25000 गर्भवती महिलाओं को अपने बच्चों तक संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए उपचार की जरूरत थी। वहीं 4.2 करोड़ से अधिक लोग हेपेटाइटिस बी से जूझ रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक मालदीव ने कई वर्षों में माओं और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए एक मजबूत और पूरी तरह से व्यवस्थित प्रणाली तैयार की है।
आज 95 फीसदी से अधिक गर्भवती महिलाओं को प्रसवपूर्व देखभाल मिलती है और करीब-करीब सभी का एचआईवी, सिफलिस और हेपेटाइटिस बी परीक्षण किया जाता है। देश में मजबूत टीकाकरण प्रणाली भी है, जिसकी मदद से 95 फीसदी से अधिक नवजात शिशुओं को समय पर हेपेटाइटिस बी का टीका और पूर्ण वैक्सीन कवर मिलता है।
स्वास्थ्य पर 10 फीसदी से अधिक जीडीपी निवेश कर रहा है मालदीव
इसी का परिणाम था कि 2022 और 2023 में वहां कोई भी शिशु एचआईवी या सिफलिस के साथ पैदा नहीं हुआ, और 2023 की राष्ट्रीय सर्वेक्षण रिपोर्ट ने दिखाया कि स्कूल के पहले ग्रेड के बच्चों में हेपेटाइटिस बी बिल्कुल नहीं पाया गया। यह उपलब्धियां सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज, मुफ्त प्रसवपूर्व देखभाल, टीके और डायग्नोस्टिक सेवाओं के साथ संभव हो सकीं।
मालदीव स्वास्थ्य क्षेत्र में अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 10 फीसदी से अधिक निवेश भी करता है।
मालदीव के स्वास्थ्य मंत्री एच ई अब्दुल्ला नजीम इब्राहिम का कहना है, “ट्रिपल एलीमिनेशन हमारी स्वास्थ्य प्रणाली के लिए एक मील का पत्थर है। यह माओं, बच्चों और भविष्य की पीढ़ियों की सुरक्षा के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह हमारी सरकार की जनता के प्रति प्रतिबद्धता है कि हम सभी को उच्च गुणवत्ता, समान और मजबूत स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करते रहेंगे।”
देखा जाए तो यह ऐतिहासिक सफलता सरकार, निजी स्वास्थ्य केंद्रों, आम लोगों और अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के मजबूत सहयोग को दर्शाती है। इन सभी ने स्क्रीनिंग, स्वास्थ्य सेवाओं, आउटरीच, जागरूकता और तकनीकी सहायता में मिलकर योगदान दिया है।
मालदीव में डब्ल्यूएचओ की प्रतिनिधि मिस पायडेन ने कहा, “मालदीव का यह उदाहरण दिखाता है कि स्वास्थ्य प्रणाली में सतत निवेश, नवाचार और समुदाय आधारित देखभाल से सार्वजनिक स्वास्थ्य का परिदृश्य बदला जा सकता है। डब्ल्यूएचओ इस उपलब्धि को बनाए रखने और हर बच्चे के लिए स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करने में मालदीव के साथ है।”