महज 265 रुपए के निवेश से बच सकती हैं 1.2 करोड़ जिंदगियां, डब्ल्यूएचओ का खुलासा

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अपनी नई रिपोर्ट “सेविंग लाइव्स, स्पेंडिंग लेस” में कहा है कि हर देश संक्रामक रोगों (एनसीडी) को रोकने का प्रयास करे
यह बीमारियां बच्चों से लेकर बड़ों तक सबको अपना शिकार बना रही हैं; फोटो: आईस्टॉक
यह बीमारियां बच्चों से लेकर बड़ों तक सबको अपना शिकार बना रही हैं; फोटो: आईस्टॉक
Published on
Summary
  • डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, गैर-संक्रामक रोगों से निपटने के लिए प्रति व्यक्ति सालाना 265 रुपए का निवेश 2030 तक 1.2 करोड़ जिंदगियां बचा सकता है।

  • तंबाकू और शराब पर टैक्स, हाई ब्लड प्रेशर का इलाज, और गर्भाशय ग्रीवा कैंसर की जांच जैसे उपायों से न केवल स्वास्थ्य में सुधार होगा, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी एक ट्रिलियन डॉलर का लाभ होगा।

  • गैर-संचारी रोग (नॉन कम्युनिकेबल डिजीज) जैसे हृदय रोग, कैंसर, सांस समबन्धी रोग (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और अस्थमा आदि) और मधुमेह, आज दुनिया में होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण हैं।

  • हर साल इनसे 3.2 करोड़ लोग असमय मौत का शिकार हो रहे हैं, चिंता की बात यह है कि इनमें से 75 फीसदी मौतें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में हो रही हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अपनी नई रिपोर्ट “सेविंग लाइव्स, स्पेंडिंग लेस” में कहा है कि अगर हर देश प्रति व्यक्ति सालाना महज 3 डॉलर ( लगभग 265 रुपए) गैर-संक्रामक रोगों (एनसीडी) से निपटने पर निवेश करे, तो इसकी मदद से 2030 तक करोड़ों जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक तंबाकू व शराब पर टैक्स, बच्चों को हानिकारक विज्ञापनों से बचाना, हाई ब्लड प्रेशर का इलाज, और गर्भाशय ग्रीवा कैंसर की जांच को बढ़ावा देने जैसे उपायों पर मामूली खर्च आएगा, लेकिन इसका फायदा बेहद बड़ा होगा।

रिपोर्ट के मुताबिक इन उपायों को लागू करने में प्रति व्यक्ति सालाना औसतन सिर्फ 3 डॉलर का खर्च आएगा। लेकिन इसकी मदद से 2030 तक हृदय रोग, कैंसर, सांस सम्बन्धी रोगों और मधुमेह जैसी बीमारियों से होने वाली 1.2 करोड़ मौतों को रोका जा सकेगा। साथ ही इसकी मदद से हार्ट अटैक और स्ट्रोक के 2.8 करोड़ मामले टाले जा सकेंगे। साथ ही स्वस्थ जीवन वर्षों में भी 15 करोड़ का इजाफा होगा।

सस्ते और असरदार हैं समाधान

ऐसा नहीं है कि यह लाभ सिर्फ स्वास्थ्य क्षेत्र तक ही सीमित रहेगा। डब्ल्यूएचओ ने रिपोर्ट में कहा है कि इस निवेश से वैश्विक अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक का फायदा होगा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस गेब्रेयेसस का इस बार में कहना है, "गैर-संचारी रोग और मानसिक बीमारियां खामोश हत्यारे हैं। हमारे पास समाधान मौजूद हैं, बस देशों को कार्रवाई की जरूरत है।"

यह भी पढ़ें
भारत में हर मिनट 12 लोगों की जान ले रही गैर संक्रामक बीमारियां, 66 फीसदी मौतों के लिए हैं जिम्मेवार
यह बीमारियां बच्चों से लेकर बड़ों तक सबको अपना शिकार बना रही हैं; फोटो: आईस्टॉक

गौरतलब है कि गैर-संचारी रोग (नॉन कम्युनिकेबल डिजीज) जैसे हृदय रोग, कैंसर, सांस समबन्धी रोग (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और अस्थमा आदि) और मधुमेह, आज दुनिया में होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण हैं। हर साल इनसे 3.2 करोड़ लोग असमय मौत का शिकार हो रहे हैं, चिंता की बात यह है कि इनमें से 75 फीसदी मौतें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में हो रही हैं।

वहीं मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं जैसे डिप्रेशन, चिंता और अवसाद आदि से भी दुनिया भर में 100 करोड़ से अधिक लोग पीड़ित हैं। यह बीमारियां सभी आयु वर्गों और आय स्तर के लोगों को प्रभावित कर रही हैं। इनसे निपटने के लिए भी तत्काल और निरंतर कार्रवाई की जरूरत है, वरना यह बीमारियां भी लाखों जिंदगियों को निगल सकती हैं।

यह भी पढ़ें
जलवायु परिवर्तन की वजह से भारतीय बच्चों में बढ़ रहा है संक्रामक रोगों का खतरा
यह बीमारियां बच्चों से लेकर बड़ों तक सबको अपना शिकार बना रही हैं; फोटो: आईस्टॉक

धीमी पड़ती रफ्तार, बढ़ रहा खतरा

रिपोर्ट में स्वास्थ्य संगठन ने इस बात की भी पुष्टि की है कि 2010 से 2019 के बीच 82 फीसदी देशों ने गैर संक्रामक रोगों से होने वाली मौतों में कमी दर्ज की है, जोकि बेहद अच्छी खबर है।

लेकिन दूसरी पिछले दशक की तुलना में 60 फीसदी देशों में प्रगति की रफ्तार धीमी पड़ गई है। डेनमार्क, दक्षिण कोरिया और चीन जैसे देशों ने बेहतर सुधार दिखाए हैं, लेकिन कई देशों में मौत का खतरा फिर से बढ़ने लगा है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन, मिस्र, नाइजीरिया, रूस और ब्राजील में महिला और पुरूष दोनों में इन बीमारियों से जुड़ी मृत्यु दर में कमी आई है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह समाधान बेहद किफायती और असरदार हैं, लेकिन तंबाकू, शराब और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड उद्योग अक्सर ऐसे जीवनरक्षक उपायों को रोकने की कोशिश करते हैं। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि सरकारों को "मुनाफे से ऊपर लोगों की जिंदगी" को प्राथमिकता देनी होगी।

यह भी पढ़ें
कुपोषण का बदलता चेहरा, मोटापे से जूझ रहा हर दसवां बच्चा
यह बीमारियां बच्चों से लेकर बड़ों तक सबको अपना शिकार बना रही हैं; फोटो: आईस्टॉक

न्यूयॉर्क में हो सकता है बड़ा फैसला

इस विषय पर 25 सितंबर 2025 को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की चौथी हाई-लेवल बैठक (एचएलएम4) होगी, जहां दुनिया भर के नेता एनसीडी और मानसिक स्वास्थ्य पर साहसिक राजनीतिक घोषणा को अपनाने पर सहमति जता सकते हैं।

डब्ल्यूएचओ महानिदेशक डॉक्टर गेब्रेयेसस का कहना है, "जो देश अभी कदम उठाएंगे, वे जीवन बचाएंगे और अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगे। वहीं जो देरी करेंगे, वे जीवन और विकास दोनों खो सकते हैं।"

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in