दोस्त या दुश्मन: भारत में जानवरों के काटने के हर चार में से तीन मामलों के अपराधी हैं कुत्ते

द लैंसेट इन्फेक्शियस डिजीज जर्नल में प्रकाशित नए अध्ययन के मुताबिक भारत में जानवरों के काटने की हर चार में से तीन घटनाओं के लिए कुत्ते जिम्मेवार थे
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
Published on

कुत्तों और इंसानों के बीच अनूठा रिश्ता है, यही वजह है कि किसी अन्य जानवर की जगह यह इंसानों के सबसे करीबी हैं। यह ऐसे जीव हैं जिनके साथ मनुष्य की आत्मीयता रही है। शायद यही वजह है कि कुत्ते हमेशा से परिवारों का हिस्सा रहे है। मगर हाल के दशकों में इनकी संख्या में आया भारी उछाल एक नई समस्या को जन्म दे रहा है, जो इंसानों की सुरक्षा के लिए ही खतरा बन गया है।

भारत में तो हर जगह इनका दिखना बेहद सामान्य है, लेकिन यह भी सच है कि पिछले कुछ दशकों में कुत्तों के काटने के मामले भी काफी बढे हैं।

द लैंसेट इन्फेक्शियस डिजीज जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन के मुताबिक भारत में तो जानवरों के काटने की हर चार में से तीन घटनाओं के लिए कुत्ते जिम्मेवार थे।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी से जुड़े शोधकर्ताओं ने अध्ययन में इस बात का भी खुलासा किया है कि भारत में हर साल रेबीज के चलते 5,726 लोगों की जान जा रही है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक इन अनुमानों से यह समझने में मदद मिल सकती है कि क्या भारत 2030 तक रेबीज के मामलों को समाप्त करने के वैश्विक लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है या नहीं।

यह भी पढ़ें
डाउन टू अर्थ खास: आवारा कुत्ते, इंसानों के दोस्त या दुश्मन?
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक

शोध के मुताबिक भारत में रेबीज से होने वाली मौतों और जानवरों के काटने के बारे में विश्वसनीय और हालिया आंकड़े उपलब्ध नहीं है। ऐसे में अध्ययन का उद्देश्य इन पर प्रकाश डालना था। शोधकर्ताओं के मुताबिक दुनिया में रेबीज के एक तिहाई मामले भारत में सामने आते हैं।

अपने इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने मार्च 2022 से अगस्त 2023 के बीच 15 राज्यों के 60 जिलों को कवर करते हुए एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण किया है। इस सर्वे में 78,800 से ज्यादा परिवारों के 3,37,808 लोगों से परिवार में पशुओं के काटने, एंटी-रेबीज वैक्सीन और पशुओं के काटने से होने वाली मौतों के बारे में जानकारी एकत्र की गई थी।

शोध से पता चला है कि जानवरों के काटने के हर चार में से तीन मामलों में कुत्ते दोषी थे। सर्वे में शामिल 2,000 से अधिक लोगों को जिन्हें जानवरों ने काटा था, उनमें से 76.8 फीसदी यानी 1,576 लोगों ने कुत्तों द्वारा काटे जाने की जानकारी दी है।

शोध में इस बात की भी जानकारी दी गई है कि सालाना प्रति हजार लोगों पर जानवरों द्वारा काटे जाने के करीब सात मामले सामने आए हैं। मतलब की पूरे देश में हर साल 91 लाख लोगों को जानवरों ने काटा था।

शोध से यह भी पता चला है कि कुत्तों के काटने की वार्षिक दर प्रति हजार लोगों पर करीब छह थी।

शोध के मुताबिक कुत्तों द्वारा काटे गए 20.5 फीसदी मामलों में पीड़ित को रेबीज का उपचार (एआरवी) नहीं मिला, जबकि इनमें से 66.2 फीसदी (1,043) मामलों में कम से कम तीन खुराकें दी गई। चिंता की बात है कि पीड़ितों में से जिन को टीके की एक खुराक दी गई, उनमें से करीब आधे (1,253 में से 615) लोगों ने उपचार पूरा नहीं किया।

क्या कुत्तों को गुस्सैल बना रहा है बढ़ता प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन

शोधकर्ताओं के मुताबिक यह सही है कि पिछले दो दशकों में रेबीज से होने वाली मौतों में काफी कमी आई है, फिर भी भारत को 2030 तक कुत्तों की वजह से होने वाले रेबीज को समाप्त करने के लिए तेजी से कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

रेबीज एक वायरल बीमारी है, जो सेंट्रल नर्वस सिस्टम को संक्रमित कर देती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, “एक बार क्लीनिकल लक्षण नजर आ जाएं, तो यह शत-प्रतिशत जानलेवा होती है।” डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, एशिया व अफ्रीका में 15 साल से कम उम्र के 40 फीसदी बच्चों की मौत का कारण रेबीज है।

यह भी पढ़ें
बढ़ते तापमान और प्रदूषण के साथ गुस्सैल होते जाएंगें कुत्ते, बढ़ सकती हैं कुत्तों के काटने की घटनाएं
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक

गौरतलब है कि एक नए अध्ययन से पता चला है कि बढ़ते तापमान, और प्रदूषण के साथ कुत्तों में गुस्सा बढ़ता जाएगा और उनके हमले की घटनाएं भी बढ़ सकती हैं। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं का दावा है कि बढ़ते तापमान, गर्मी, अल्ट्रावायोलेट और ओजोन प्रदूषण के साथ डॉग बाइट की यह घटनाएं कहीं ज्यादा बढ़ सकती हैं।

इसके लिए वन-हेल्थ दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करना अहम है, जिसमें मनुष्यों और पशुओं दोनों की निगरानी और देखभाल करना शामिल है। इसके साथ ही यह  सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि लोगों को काटने के बाद रेबीज का पूरा उपचार मिले, और देश भर में कुत्तों के टीकाकरण में तेजी लाना भी बेहद जरूरी है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in