

सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस हर साल 12 दिसंबर को स्वास्थ्य सेवाओं की समान पहुंच पर जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
2025 की थीम “असहनीय स्वास्थ्य लागतों का विनाशकारी मानवीय प्रभाव” महंगे इलाज के बढ़ते मानवीय प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करती है।
दुनिया की 50 फीसदी से अधिक आबादी अभी भी बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित है।
भारत में आयुष्मान भारत, पीम-एबीएचआईएम और पीमएसएसवाई जैसी योजनाएं स्वास्थ्य खर्चों का बोझ कम करने में अहम भूमिका निभा रही हैं।
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस सरकारों से सस्ती, मजबूत और सभी के लिए न्यायसंगत स्वास्थ्य प्रणाली में निवेश बढ़ाने की अपील करता है।
दुनिया भर में हर साल 12 दिसंबर को सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस या यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी) डे मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य लोगों और देशों को यह जागरूक करना है कि स्वास्थ्य सेवाएं सभी के लिए सुलभ, सस्ती और समान हों। स्वास्थ्य एक मूलभूत अधिकार है और यह तभी संभव है जब हर व्यक्ति बिना आर्थिक कठिनाइयों के उपचार हासिल कर सके।
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस का इतिहास
12 दिसंबर 2012 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित कर देशों से आग्रह किया कि वे यूएचसी हासिल करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाएं। पांच साल बाद, 12 दिसंबर 2017 को संयुक्त राष्ट्र ने आधिकारिक रूप से इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस घोषित किया। इसका मकसद दुनिया भर में मजबूत और लचीली स्वास्थ्य प्रणालियों को बढ़ावा देना है, ताकि हर व्यक्ति को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस का महत्व
हर साल इस दिन, दुनिया भर के स्वास्थ्य समर्थक अपनी आवाज उठाते हैं। वे सरकारों को याद दिलाते हैं कि लाखों लोग अभी भी ऐसे हैं जिन्हें बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पातीं। कई लोग बीमारी होने के बाद भी इलाज कराने से डरते हैं, क्योंकि उन्हें इलाज की लागत वहन करना कठिन लगता है। यह स्थिति न केवल लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि उनके भविष्य और आर्थिक स्थिरता को भी प्रभावित करती है।
कोविड-19 महामारी ने दुनिया को फिर यह सिखाया कि स्वास्थ्य सुरक्षा और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज एक-दूसरे से जुड़े हुए लक्ष्य हैं। महामारी के दौरान यह स्पष्ट हो गया कि एक मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली ही लोगों को संकट के समय बचा सकती है। इसलिए स्वास्थ्य प्रणाली ऐसी होनी चाहिए जो हर स्थिति में, सभी लोगों के लिए समान रूप से कार्य करे, चाहे वे किसी भी आय वर्ग, क्षेत्र या पृष्ठभूमि से आते हों।
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज 2025 की थीम
2025 के लिए सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस की थीम “असहनीय स्वास्थ्य लागतों का विनाशकारी मानवीय प्रभाव” है। यह थीम दुनिया में बढ़ती उस समस्या पर ध्यान दिलाती है जिसमें बड़ी संख्या में लोग इलाज की महंगी लागत के कारण भारी आर्थिक बोझ झेल रहे हैं। कई लोग अपनी बचत खो देते हैं, कर्ज में डूब जाते हैं या समय पर इलाज न मिलने से गंभीर बीमारियों का सामना करते हैं।
दुनिया में आज भी 50 फीसदी से अधिक आबादी ऐसी है जिसे बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं। यह अत्यंत चिंताजनक स्थिति है और यह बताती है कि 2030 तक यूएचसी हासिल करने के लिए अभी बहुत प्रयास करना बाकी है।
भारत में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की स्थिति
भारत में पिछले कुछ सालों में स्वास्थ्य पर होने वाले खर्चों में काफी वृद्धि हुई है। हालांकि केंद्र और राज्य सरकारों ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनसे लोगों को आर्थिक सहायता मिल रही है और स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी पहुंच बढ़ रही है।
1. आयुष्मान भारत - पीएम-जेएवाई
यह केंद्र सरकार की प्रमुख योजना है, जो गरीब और कमजोर वर्गों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य बीमा प्रदान करती है। इससे लाखों परिवारों को अस्पताल में भर्ती होने पर खर्च वहन नहीं करना पड़ता।
2. प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीम-एबीएचआईएम)
इस मिशन का उद्देश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों को मजबूत बनाना है, जिससे रोगों का प्रारंभिक पता लगाया जा सके। इसके अलावा, जिला अस्पतालों में क्रिटिकल केयर बेड्स बढ़ाए जा रहे हैं और 11 उच्च-फोकस राज्यों में ब्लॉक पब्लिक हेल्थ यूनिट्स को समर्थन दिया जा रहा है।
3. प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीमएसएसवाई)
इस योजना का उद्देश्य देश में तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता को बढ़ाना और क्षेत्रीय असमानताओं को कम करना है। साथ ही यह गुणवत्ता युक्त चिकित्सा शिक्षा के विस्तार पर भी ध्यान देती है।
निजी स्वास्थ्य बीमा की भूमिका
सरकारी योजनाएं बुनियादी और आपातकालीन सेवाएं प्रदान करती हैं, जबकि निजी बीमा विशेष उपचारों के लिए अतिरिक्त आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है।
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज हमें याद दिलाता है कि स्वास्थ्य किसी भी समाज के विकास की नींव है। जब लोग बीमार होने पर उपचार नहीं करा पाते, तो उनका जीवन, आजीविका और भविष्य सभी खतरे में पड़ जाते हैं। 12 दिसंबर को हम सभी को एकजुट होकर यह मांग करनी चाहिए कि सरकारें स्वास्थ्य पर निवेश बढ़ाएं और ऐसी नीतियां बनाएं जिससे इलाज सभी के लिए सुलभ और किफायती हो।