
दिल्ली रिज के संरक्षण का आदेश दिए चार वर्ष बीत चुके हैं, इसके बावजूद अधिकारियों ने निर्देश का पालन करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया है। 17 फरवरी, 2025 को यह टिप्पणी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने की है।
ऐसे में एनजीटी ने दिल्ली सरकार को एक नया हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया। इस हलफनामे में उन्हें बताना होगा कि एनजीटी अधिनियम, 2010 के तहत अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए। इस मामले में अगली सुनवाई 9 अप्रैल, 2025 को होगी।
15 जनवरी, 2021 को एनजीटी ने एक आदेश दिया था, जिसका पालन अब तक नहीं किया गया है। हालांकि इस आदेश को दिए चार साल बीत चुके हैं। यह आदेश वन अधिनियम, 1972 की धारा 20 के तहत अधिसूचना को अंतिम रूप देने से जुड़ा है।
गौरतलब है कि दिल्ली के "हरे फेफड़ों" के रूप में जाना जाने वाला यह रिज शहर की वायु गुणवत्ता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
एनजीटी ने 17 फरवरी, 2025 को कहा है कि अगर समय रहते आदेश का पालन किया जाता तो दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार हो सकता था। लेकिन दिल्ली सरकार ने आदेश का पालन नहीं किया और अपने हलफनामे में स्पष्ट रूप से इसका कारण भी नहीं बताया है।
मामला दिल्ली रिज के संरक्षण और सुरक्षा से जुड़ा है, जो अरावली पर्वतमाला का हिस्सा है। यह उत्तर में तुगलकाबाद से वजीराबाद और दिल्ली के अन्य हिस्सों में फैला हुआ है।
15 जनवरी, 2021 को अपने आदेश में, एनजीटी ने दिल्ली रिज को संरक्षित करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया था। इस मामले में अधिकारियों को वन अधिनियम की धारा 20 के तहत अधिसूचना को अंतिम रूप देने का निर्देश दिया ताकि इसे आरक्षित वन घोषित किया जा सके।
आदेश के मुताबिक जिस भूमि को लेकर स्पष्टता है, उसे तुरंत अधिसूचित किया जाना चाहिए, जबकि बाकी पर भी जल्द से जल्द कार्रवाई की जानी चाहिए। आदेश में यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि रिज क्षेत्र में ऐसी किसी भी गतिविधि की अनुमति नहीं है जो वनों से न जुड़ी हो।
आदेश के मुताबिक दिल्ली सरकार को चाहिए कि वो रिज को बाड़ या दीवार की मदद से सुरक्षित करे। साथ ही इसपर निगरानी भी रखी जानी चाहिए। उसे बाकी क्षेत्र की पहचान करनी चाहिए और तीन महीने के भीतर अतिक्रमण हटाने की कार्य योजना बनानी चाहिए। एनजीटी ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के महानिदेशक (वन) की अध्यक्षता में एक निरीक्षण समिति के गठन का भी निर्देश दिया था।
मुख्य सचिव के माध्यम से दिल्ली सरकार को निर्देश दिया गया कि वह अविवादित क्षेत्रों के लिए तीन महीने के भीतर भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा 20 के तहत अधिसूचना जारी करे।
केरल हाईकोर्ट ने मंदिर उत्सवों के लिए हाथियों की बुकिंग और परिवहन पर मांगी जानकारी
केरल उच्च न्यायालय ने मंदिर उत्सवों के लिए हाथियों की बुकिंग और परिवहन पर जानकारी मांगी है। 17 फरवरी, 2025 को दिए अपने आदेश में केरल उच्च न्यायालय ने गुरुवायूर देवस्वोम के उप प्रशासक से यह बताने को कहा कि मंदिर उत्सवों के लिए हाथियों को कैसे बुक किया जाता है और पुन्नथुर आनाकोट्टा से कैसे ले जाया जाता है। उन्हें इस बाबत एक विस्तृत हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
प्राधिकरण को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हाथियों को पुन्नथुर आनाकोट्टा से बाहर होने पर भी नियमों के अनुसार पर्याप्त मात्रा में चारा मिलता रहे।
गौरतलब है कि केरल उच्च न्यायालय 13 फरवरी, 2025 को कोझिकोड के कोइलांडी स्थित मनक्कुलंगरा मंदिर उत्सव के दौरान तीन लोगों की मौत की समीक्षा कर रहा था। यह घटना तब हुई जब दो हाथी गोकुल और पीतांबरन पटाखों के कारण हिंसक हो गए। गुरुवायुर देवस्वोम के ये हाथी उत्सव के लिए पुन्नथुर आनाकोट्टा से कोइलांडी लाए गए थे।
अदालत ने गुरुवायूर देवस्वोम के पशु चिकित्सक को मनक्कुलंगरा मंदिर में 13 फरवरी को हुई घटना पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। इस रिपोर्ट में हाथियों को लगी चोटों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।