
2021 की तुलना में 2023 में गोवा का वन क्षेत्र 1.55 वर्ग किलोमीटर घट गया है। यह जानकारी गोवा सरकार ने 25 अप्रैल, 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में दायर अपनी रिपोर्ट में दी है।
रिपोर्ट में इस गिरावट के पीछे की कई वजहें बताई गई है, इसमें रेलवे लाइन बिछाने, राष्ट्रीय राजमार्गों और सड़कों के विस्तार, बिजली की लाइनों और ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) की परियोजनाओं के लिए कानूनी रूप से पेड़ों को काटे जाने के लिए दी गई मंजूरी शामिल है। इसके साथ ही मई 2021 में आए चक्रवात ‘ताउते’ के कारण सरकारी और निजी जंगलों में कई पेड़ों को नुकसान पहुंचा है।
हालांकि तस्वीर पूरी तरह निराशाजनक नहीं है। 2023 की 'स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट' के मुताबिक गोवा का कुल वन क्षेत्र 2,265.72 वर्ग किलोमीटर है, जो गोवा के कुल भू-भाग का 61.2 फीसदी है। रिपोर्ट में जारी आंकड़े यह भी दर्शाते हैं कि 2001 से गोवा में जंगलों का क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है।
रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला है कि गोवा सरकार और संबंधित विभाग जंगलों की सुरक्षा और बढ़ोतरी के लिए कई सख्त कदम उठा रहे हैं। वे वन संरक्षण अधिनियम, 1980, भारतीय वन अधिनियम, 1927, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972, गोवा वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1984 और पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन अधिसूचना, 2006 जैसे कानूनों का सख्ती से पालन कर रहे हैं।
इसके साथ ही सरकारी वन क्षेत्र में नियमित गश्त की जाती है, कई जगहों पर चेक गेट और सुरक्षा शिविर बनाए गए हैं ताकि अवैध लकड़ी काटने और ढोने पर रोक लगाई जा सके। जितने पेड़ विकास कार्यों में काटे जाते हैं, उनकी भरपाई के लिए प्रतिपूरक वनीकरण किया जाता है। साथ ही प्राकृतिक पुनरुत्पादन जैसे कार्यक्रम प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैम्पा) के तहत चलाए जा रहे हैं।
सरकार कई योजनाएं भी चला रही है, जैसे—वन प्रबंधन को सशक्त करना, सामाजिक और शहरी वानिकी, जंगलों का संरक्षण और विकास, बंजर हो चुके जंगलों का पुनर्वास करना। इन योजनाओं के तहत पेड़ लगाए जाते हैं और उनकी देखभाल की जाती है ताकि राज्य के जंगलों को बचाया और बढ़ाया जा सके।