तीन सड़कों के लिए कटेंगे 625 पेड़, परंतु बच जाएंगे 409 पेड़!

नई योजना के मुताबिक, पंजाब के एसएएस नगर में सड़क को चौड़ा करने के लिए केवल 625 पेड़ काटे जाएंगे
पेड़ों को काट बढ़ता विनाश; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
पेड़ों को काट बढ़ता विनाश; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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ग्रेटर मोहाली एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी पंजाब के एसएएस नगर में सड़क को चौड़ा करने के लिए 625 पेड़ काटेगी, लेकिन उसका दावा है कि यह एक नई योजना के मुताबिक होगा, जिससे 409 पेड़ों को बचाया गया है।

अथॉरिटी नेने यह जानकारी 28 नवंबर, 2024 को एनजीटी में दाखिल अपने जवाब में दी है। मामला तीन सड़कों को चौड़ा करने के लिए पेड़ों को काटने से जुड़ा है।

अदालत को जानकारी दी गई है कि अथॉरिटी की प्रारंभिक योजना में 1,651 पेड़ों को काटा जाना था। हालांकि एनजीटी के समक्ष आवेदन दायर होने से पहले ही 306 पेड़ काटे जा चुके थे, और 1,345 अतिरिक्त पेड़ों को काटने की योजना बनाई गई थी।

जीएमएडीए ने पर्यावरण संरक्षण सोसायटी के सुझाव पर ध्यानपूर्वक विचार किया है और उसके बाद सड़क को लेकर दोबारा योजना को बनाई गई है।

बाया नदी के आसपास निर्माण सामग्री की अवैध डंपिंग के आरोपों पर अदालत ने की सुनवाई

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बाया नदी के आसपास निर्माण सामग्री की अवैध डंपिंग के आरोपों की जांच के लिए दो सदस्यीय समिति गठित की है। पूर्वी बेंच द्वारा दिए निर्देश के अनुसार समिति को साइट का दौरा करने के बाद चार सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट अदालत के सामने प्रस्तुत करनी होगी।

समिति को यह भी निर्देश दिया गया है कि यदि वहां किसी तरह का उल्लंघन पाया जाता है, तो उचित कार्रवाई की जानी चाहिए। मामला बिहार के वैशाली जिले का है।

इस मामले में 26 नवंबर 2024 को अदालत ने वैशाली के जिलाधिकारी, बिहार पर्यावरण विभाग, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और मुखिया संजीत कुमार पासवान को भी नोटिस भेजने का निर्देश दिया है। इन सभी से अपना जवाब दाखिल करने के लिए भी कहा गया है।

गौरतलब है कि नरेंद्र सिंह ने अपनी याचिका में दावा किया है कि रामपुर में लक्ष्मीपुर ब्रह्मबट्टा पंचायत के मुखिया संजीत कुमार पासवान बाया नदी के पास पंचायत भवन का निर्माण कर रहे हैं और बाया नदी के किनारे कचरा डंप किया जा रहा है। इसकी वजह से पूरा इलाका प्रदूषित हो रहा है।

उनका दावा है कि ऐसे में अगर बाढ़ आती है तो इससे लोगों के जान-माल को नुकसान हो सकता है। उन्होंने यह भी जानकारी दी है कि नदी या जल निकाय के 100 से 200 मीटर के दायरे में इस तरह के निर्माण की अनुमति नहीं है।

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