

आरोप है कि नोएडा अथॉरिटी द्वारा बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन किया गया है। इसके लिए 27 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा लगाया गया था, लेकिन अब तक केवल एक करोड़ रुपये की ही वसूली हो पाई है।
वहीं उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने एनजीटी को भरोसा दिलाया है कि वह नोएडा अथॉरिटी द्वारा पर्यावरणीय नियमों के पालन की नियमित निगरानी करेगा।
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ट्रिब्यूनल के सामने यह भी स्वीकार किया है कि नोएडा अथॉरिटी पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन कर रही है, इसलिए उसे इस विषय में संवेदनशील बनाने की जरूरत है।
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को भरोसा दिलाया है कि वह नोएडा अथॉरिटी द्वारा पर्यावरणीय नियमों के पालन की नियमित निगरानी करेगा। 24 दिसंबर 2025 को बोर्ड ने यह भी कहा कि अब तक हुए और अगली सुनवाई तक होने वाले उल्लंघनों पर पर्यावरणीय मुआवजे की गणना की जाएगी।
इस मामले में अगली सुनवाई 13 मार्च 2026 को होनी है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि नोएडा अथॉरिटी द्वारा बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन किया गया है। इसके लिए 27 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा लगाया गया था, लेकिन अब तक केवल एक करोड़ रुपये की ही वसूली हो पाई है।
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के वकील ने ट्रिब्यूनल के सामने यह भी स्वीकार किया है कि नोएडा अथॉरिटी रोजाना पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन कर रही है, इसलिए उसे इस विषय में संवेदनशील बनाने की जरूरत है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि नोएडा अथॉरिटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी कार्य के दौरान पर्यावरणीय नियमों का का उल्लंघन न हो।
क्या है पूरा मामला
याचिका में आरोप लगाया गया है कि नोएडा में केबल बिछाने, पाइपलाइन मरम्मत, ऑप्टिकल फाइबर और गैस लाइन से जुड़े कार्यों सहित अन्य निर्माण गतिविधियों के दौरान पर्यावरणीय नियमों की अनदेखी की जा रही है।
याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि इन कार्यों के बाद सड़क और आसपास के इलाकों की ठीक से मरम्मत नहीं की जाती, जिससे धूल उड़ती है और वायु प्रदूषण बढ़ता है।
याचिकाकर्ता ने अपने दावों के समर्थन में तस्वीरें पेश की हैं, जिनमें हरित क्षेत्रों को हुए नुकसान को दिखाया गया है। साथ ही उन्होंने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा 25 जुलाई 2025 को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजे पत्र का भी हवाला दिया है।
अब देखना यह होगा कि अगली सुनवाई तक नोएडा अथॉरिटी और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपने वादों पर कितना अमल करते हैं और पर्यावरणीय नियमों का पालन सुनिश्चित करते हैं।