
सकौती गांव में एक टायर पायरोलिसिस प्लांट द्वारा पर्यावरणीय मानकों के उल्लंघन की शिकायत पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सख्ती दिखाते हुए संबंधित विभागों के अधिकारियों और उद्योग को भी नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं। मामला उत्तर प्रदेश के शामली जिले का है।
एनजीटी ने इस मामले में 28 मई, 2025 को शामली के प्रभागीय वन अधिकारी, उत्तर प्रदेश भूजल विभाग, आदिदेव कार्बन एलएलपी, उत्तर प्रदेश सरकार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, मुजफ्फरनगर क्षेत्रीय कार्यालय और शामली के जिलाधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है।
गौरतलब है कि अपनी याचिका में आवेदक ने आरोप लगाया है कि आदिदेव कार्बन एलएलपी द्वारा लगाए गए इस टायर पायरोलिसिस प्लांट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा तय की गई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के तहत निर्धारित "साइटिंग मानदंड" का पालन नहीं किया है। इस प्लांट की क्षमता 230 मीट्रिक टन प्रतिदिन है। आरोप है कि यह प्लांट पर्यावरणीय व सामाजिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों के बेहद करीब स्थित है।
दावा है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने टायर कचरे के पुनर्चक्रण और टायर पायरोलेसिस ऑयल, गैस और चारकोल रिकवरी के लिए तय की गई मानक संचालन प्रक्रिया तय की है, जिसका पालन नहीं किया गया है।
याचिका के मुताबिक यह प्लांट खोकरी नदी से केवल 40 मीटर की दूरी पर है। साथ ही यह सिंचाई विभाग की नाली के बिल्कुल पास है। इससे मंदिर की दूरी 50 मीटर, जबकि सरकारी इंटर कॉलेज से 100 मीटर है। इतना ही नहीं यह प्लांट दो गांवों की रिहायशी बस्तियों से मात्र 300 से 400 मीटर की दूरी पर स्थित है। यह साइट हाईवे के भी ठीक बगल में है।
आवेदक की ओर से पेश वकील ने यह भी बताया है कि उद्योग ने 19 सितंबर 2024 को स्थापना के लिए सहमति (सीटीई) के लिए आवेदन किया था, इसलिए सीपीसीबी द्वारा 16 जनवरी 2024 को जारी गाइडलाइंस इसपर लागू होती हैं। इसके बावजूद, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने 21 अक्टूबर 2024 को बिना साइटिंग मानदंड पर विचार किए स्थापना के लिए सहमति जारी कर दी है।
गाजीपुर नाले में मलबे और गंदगी की शिकायत पर एनजीटी सख्त, सरकार से मांगा जवाब
गाजीपुर नाले में निर्माण संबंधी मलबा फेंके जाने और नाले के बहाव में रुकावट की शिकायत पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली के सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग को नोटिस जारी किया है।
28 मई, 2025 को अदालत ने विभाग से जवाब दाखिल करने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 9 सितंबर, 2025 को होगी।
आवेदक के मुताबिक, गाजीपुर नाला सविता विहार और योजना विहार कॉलोनियों के पीछे बहता है। इसी नाले के किनारे पर छत्रपति चरण सिंह मार्ग नामक एक एलिवेटेड रोड का निर्माण किया गया है। निर्माण कार्य के दौरान ठेकेदार ने नाले में मलबा डाल दिया है, जिससे जल प्रवाह बाधित हो रहा है और आसपास के लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि जहां दिल्ली के अन्य नालों की सफाई (डीसिल्टिंग) शुरू हो चुकी है, वहीं इस नाले की सफाई अभी तक शुरू नहीं हुई है। यह नाला आगे जाकर यमुना नदी में जाकर मिलता है, जिससे प्रदूषण की चिंता और बढ़ गई है।
नाहरगढ़ अभयारण्य सीमांकन पर काम जारी, रिपोर्ट की जांच में जुटा वन विभाग
राजस्थान के प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव वार्डन ने 27 मई, 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को जानकारी दी है कि नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य के सीमांकन को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक हुई है। इस काम के लिए नौ से अधिक सदस्यों वाली एक समिति बनाई गई है, जो अपना काम कर रही है।
समिति ने अपनी रिपोर्ट भी प्रस्तुत की है। अब इस रिपोर्ट को वन्यजीव विभाग द्वारा जांचा-परखा जा रहा है। जल्द ही रिपोर्ट और नक्शों को अंतिम रूप दिया जाएगा। इसके बाद रिकॉर्ड को डिजिटाइज और चिन्हित करने के लिए राजस्थान सरकार ने दो महीनों का समय मांगा है।
अदालत ने राज्य सरकार के इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई की तारीख 8 सितंबर, 2025 तय की है।