नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने देहरादून में गंगा से गाद हटाने के नाम पर चल रहे खनन के गोरखधंदे की जांचे के आदेश दिए हैं। इसके लिए संयुक्त समिति के गठन का भी निर्देश दिया है। मामला ऋषिकेश में त्रिवेणीघाट, नावघाट, दत्तात्रेय घाट, सूर्यघाट और मायाकुंड में गाद हटाने के नाम पर चल रहे अवैध खनन के दावों से जुड़ा है।
ट्रिब्यूनल द्वारा चार सितम्बर को दिए आदेश के मुताबिक इस समिति में देहरादून के जिला मजिस्ट्रेट, उत्तराखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
इस समिति से साइट का दौरा करने, जानकारी इकट्ठा करने और एक महीने के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। मामले में अगली सुनवाई 16 अक्टूबर, 2024 को होगी।
शिकायतकर्ता का कहना है कि अधिकारियों ने त्रिवेणी घाट पर बाढ़ के कारण जमा मलबे और गाद को हटाने के लिए आकाश जैन को काम पर रखा था। लेकिन गाद हटाने की आड़ में यह ठेकेदार ऋषिकेश में त्रिवेणीघाट, नावघाट, दत्तात्रेय घाट, सूर्यघाट और मायाकुंड में गंगा के तल से अवैध रूप से रेत और बजरी का खनन कर रहा है।
आरोप है कि वहां खनन के लिए जेसीबी जैसी भारी मशीनों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे नदी की पारिस्थितिकी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। साथ ही इसकी वजह से पर्यावरण को भारी पैमाने पर नुकसान पहुंच रहा है।
कलियासोत नदी के पास चल रहा अवैध खनन, नियमों को ताक पर रख नदी में छोड़ा जा रहा सीवेज
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कलियासोत नदी के पास अवैध खनन और निर्माण की वास्तविकता का पता लगाने के लिए दो सदस्यीय समिति को निर्देश दिया है। एनजीटी द्वारा पांच सितंबर 2024 को दिए इस आदेश के मुताबिक समिति मौके का दौरा करेगी और इस मामले में क्या कार्रवाई की गई है, उसकी रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश करेगी।
ट्रिब्यूनल ने मध्य प्रदेश सरकार, भोपाल के जिला कलेक्टर और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को नोटिस जारी कर छह सप्ताह के भीतर अपना जवाब देने को कहा है।
आवेदन में कलियासोत नदी के 33 मीटर के भीतर चल रहे अवैध खनन के साथ-साथ वाल्मीपुर से कॉलोनी तक हो रहे अनाधिकृत निर्माण का मुद्दा उठाया है।
इसके साथ ही 33 मीटर के भीतर गेट बनाने, नदी से पत्थर, मिट्टी और बजरी खनन करने की भी बात सामने आई है। इसके साथ ही वहां पर्यावरण संबंधी नियमों का उल्लंघन कर नदी में छोड़े जा रहे सीवेज को लेकर भी चिंता चिंता जताई गई है। आरोप है कि इसकी वजह से नदी का पानी दूषित हो रहा है।
नवी मुंबई में वायु प्रदूषण पर लगाम के लिए उठाए गए हैं कदम: महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
वायु प्रदूषण की निरंतर निगरानी के लिए, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) ने नवी मुंबई के महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम क्षेत्र में पांच वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन स्थापित किए हैं। एसपीसीबी कोयले और फर्नेस ऑयल के बजाय पीएनजी जैसे स्वच्छ ईंधन का उपयोग करने के लिए सहमति की शर्तों में संशोधन कर रहा है।
इसके अतिरिक्त, अधिकांश विलायक-आधारित उद्योगों ने हानिकारक गैसों और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (वीओसी) को मापने और उनका पता लगाने के लिए प्रणाली स्थापित की है। यह जानकारी महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने चार सितंबर, 2024 को दायर अपनी रिपोर्ट में दी हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि नवी मुंबई के ठाणे बेलापुर, ट्रांस ठाणे क्रीक और एमआईडीसी इलाकों में 167 रासायनिक इकाइयां हैं। इनमें 14 बड़े पैमाने के, पांच मध्यम पैमाने के और 148 छोटे पैमाने के रासायनिक उद्योग शामिल हैं।
गौरतलब है कि 28 नवंबर, 2023 को पुणे में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की एक टीम ने सर्वेक्षण के लिए ठाणे बेलापुर औद्योगिक एस्टेट और कोपारी गांव, कोपरखिराने और वाशी जैसे आसपास के आवासीय क्षेत्रों का दौरा किया था।
सीपीसीबी ने नवी मुंबई में दुर्गंध और वायु प्रदूषण से निपटने के लिए विशेष योजनाएं बनाई हैं। साथ ही इन मुद्दों को नियंत्रित करने के लिए क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए अल्प और दीर्घकालिक उपाय करने की योजना है। रिपोर्ट में दुर्गंध की समस्या पैदा करने वाले क्षेत्रों की पहचान की गई है, जिनमें रासायनिक उद्योग, विलायक का उपयोग करने वाली थोक दवा और रासायनिक इकाइयां, और सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र शामिल हैं।