सार्वभौमिक नहीं हो सकते सामुदायिक और संरक्षण रिजर्वों पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि, “जहां तक संरक्षण और सामुदायिक रिजर्व का सवाल है, इसमें स्थानीय समुदायों की भागीदारी बेहद मायने रखती है”
सार्वभौमिक नहीं हो सकते सामुदायिक और संरक्षण रिजर्वों पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध: सुप्रीम कोर्ट
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सुप्रीम कोर्ट (एससी) ने 24 अक्टूबर, 2024 को कहा है कि संरक्षण और सामुदायिक रिजर्वों में लगाए जाने वाले प्रतिबंधों के लिए सार्वभौमिक दिशा-निर्देश निर्धारित करना उचित नहीं होगा। सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि, "भारत सरकार ने पहले ही दिशानिर्देश तैयार कर लिए हैं, ऐसे में राज्य सरकारें मामले को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय ले सकती हैं कि किसी विशेष संरक्षण या सामुदायिक रिजर्व में क्या प्रतिबंध लागू किए जाएं।"

गौरतलब है कि 14 फरवरी, 2024 को दिए अपने आदेश में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से राज्य सरकारों के साथ इस बारे में विचार-विमर्श करने को कहा था कि क्या संरक्षण और सामुदायिक रिजर्वों के दस किलोमीटर के दायरे में खनन गतिविधियों पर कोई प्रतिबंध लगाया जा सकता है या नहीं।

इस मामले में भारत की अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने केंद्र सरकार की ओर से एक हलफनामा प्रस्तुत किया था, जिसे आधिकारिक रूप से दर्ज कर लिया गया है। इस हलफनामे के साथ सुधीर चिंतलपति द्वारा शपथ-पत्र भी दिया गया है।

हलफनामे में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बैठक में हुए विचार-विमर्श का भी जिक्र किया गया। चार सितंबर, 2024 को हुई इस बैठक के नोट्स आधिकारिक रिकॉर्ड में जोड़े गए हैं।

बैठक के नोट्स से पता चलता है कि इसमें शामिल प्रतिभागियों ने संरक्षण और सामुदायिक रिजर्वों के भीतर सख्त नियमों को लागू करने को लेकर अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं।

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सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि, “जहां तक संरक्षण और सामुदायिक रिजर्व का सवाल है, इसमें स्थानीय समुदायों की भागीदारी बेहद मायने रखती है। ऐसे में अगर स्थानीय आबादी इन क्षेत्रों का समर्थन करने के लिए प्रेरित नहीं होती, तब तक ऐसे क्षेत्रों को संरक्षण या सामुदायिक रिजर्व घोषित करना संभव नहीं हो सकता।“

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि हलफनामे से यह स्पष्ट हो जाता है कि कई राज्य सरकारों ने किसी भी संरक्षण या सामुदायिक रिजर्व को अधिसूचित नहीं किया है। ये आदेश पांच नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड कर दिए गए हैं। 

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि, “जहां तक संरक्षण और सामुदायिक रिजर्व का सवाल है, इसमें स्थानीय समुदायों की भागीदारी बेहद मायने रखती है। ऐसे में अगर स्थानीय आबादी इन क्षेत्रों का समर्थन करने के लिए प्रेरित नहीं होती, तब तक ऐसे क्षेत्रों को संरक्षण या सामुदायिक रिजर्व घोषित करना संभव नहीं हो सकता।“

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि हलफनामे से यह स्पष्ट हो जाता है कि कई राज्य सरकारों ने किसी भी संरक्षण या सामुदायिक रिजर्व को अधिसूचित नहीं किया है। ये आदेश पांच नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड कर दिए गए हैं। 

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वहीं केरल में इलायची की खेती से संबंधित एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर, 2024 को निर्देश दिया कि अगले आदेश तक केरल सरकार को इलायची की खेती के लिए कोई नया पट्टा आवंटित नहीं करना चाहिए।

इसके साथ ही अदालत ने निर्देश दिया है कि राज्य सरकार को कार्डामम हिल्स रिजर्व (सीएचआर) में और अधिक भूमि को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उपयोग करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।

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