एनजीटी ने अंबरनाथ मंदिर के पास वालधुनी नदी तल को हुए नुकसान पर अधिकारियों से मांगा जवाब

आवेदक का दावा है कि वालधुनी नदी तल पर बिछाए कंक्रीट की वजह से नदी की जैव विविधता और आस-पास के पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है
एनजीटी ने अंबरनाथ मंदिर के पास वालधुनी नदी तल को हुए नुकसान पर अधिकारियों से मांगा जवाब
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एनजीटी ने अधिकारियों से अंबरनाथ शिव मंदिर के सामने वालधुनी नदी तल पर बिछाए कंक्रीट के संबंध में अपना जवाबी हलफनामा प्रस्तुत करने को कहा है। मामला महाराष्ट्र के ठाणे जिले का है। 12 नवंबर, 2024 को दिए इस आदेश के मुताबिक यह हलफनामे चार सप्ताह के भीतर दाखिल किए जाने हैं। इस मामले में अगली सुनवाई आठ जनवरी, 2025 को होगी।

आवेदक का दावा है कि इसकी वजह से नदी की जैव विविधता और आस-पास के पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने अंबरनाथ में 963 साल पुराने भगवान शिव मंदिर परिसर के सौंदर्यीकरण के लिए 107 करोड़ रुपए को मंजूरी दी है।

आवेदक ने अदालत से अनुरोध किया है कि अंबरनाथ नगर परिषद के मुख्य अधिकारी को वालधुनी नदी तल से कंक्रीट हटाने और नदी को उसकी मूल स्थिति में बहाल करने का निर्देश जारी किया जाए। यह भी प्रार्थना की गई है कि वालधुनी नदी तल को नुकसान पहुंचाने के लिए पर्यावरणीय मुआवजे का भी आकलन किया जाना चाहिए।

पर्यावरण के साथ-साथ आम लोगों के लिए खतरा पैदा कर रहा है, हुगली में कॉलेज के पास मौजूद डंपिंग ग्राउंड

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की पूर्वी बेंच ने नबाग्राम हीरालाल पाऊ कॉलेज के पास डंपिंग ग्राउंड की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया है। यह डंपिंग ग्राउंड हुगली के कोन्नगर में है।

इस बारे में दर्ज शिकायत में कहा है कि डंपिंग ग्राउंड पर्यावरण के लिए गंभीर समस्या पैदा कर रहा है। इसकी वजह से स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो रहा है और क्षेत्र की सुंदरता को नुकसान पहुंच रहा है। कचरे के ढेर से दुर्गंध फैल रही है और कीट आकर्षित हो रहे हैं। इसकी वजह से छात्रों, कॉलेज के कर्मचारियों और स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो गया है।

इसके अलावा, खुले में की जा रही डंपिंग से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, इसमें मिट्टी और पानी का होता प्रदूषण शामिल है। स्थानीय प्राधिकरण से इस बारे में कई बार शिकायत की गई, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

13 नवंबर, 2024 को दिए इस निर्देश के मुताबिक समिति साइट का निरीक्षण करेगी, रिपोर्ट पेश करेगी और इन परिस्थितियों में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं उनकी सिफारिश करेगी।

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