कांगड़ा में राधा स्वामी सत्संग ब्यास के अवैध विस्तार पर एनजीटी सख्त, जांच समिति गठित

कांगड़ा में राधा स्वामी सत्संग ब्यास के अवैध विस्तार पर एनजीटी सख्त, जांच समिति गठित

स्थानीय ग्रामीणों की शिकायत पर हुई कार्रवाई, अदालत ने समिति से दो महीने में मांगी रिपोर्ट
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सारांश
  • नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कांगड़ा में राधा स्वामी सत्संग ब्यास के अवैध विस्तार पर सख्त रुख अपनाते हुए जांच समिति गठित की है।

  • ग्रामीणों की याचिका के अनुसार, संगठन ने गैरकानूनी तरीके से जमीनें हड़पकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है।

  • एनजीटी ने हिमाचल सरकार और अन्य अधिकारियों से दो महीने में रिपोर्ट मांगी है।

  • याचिका में आरोप लगाया गया है कि संगठन पिछले कुछ वर्षों से स्थानीय लोगों की जमीनें गैरकानूनी और दबावपूर्ण तरीकों से लेकर अपने परिसर का विस्तार कर रहा है।

  • इससे इलाके में सामाजिक तनाव, पर्यावरणीय असंतुलन और कानूनी उल्लंघन जैसी स्थितियां पैदा हो गई हैं।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 14 अक्टूबर 2025 को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के कई गांवों घनेटा, धोरण, बल्ला, परौर और दरांग के निवासियों द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई की। इस याचिका में ग्रामीणों ने राधा स्वामी सत्संग ब्यास, परौर पर "अवैध तरीके से तेजी से परिसर विस्तार" करने का आरोप लगाया है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि संगठन पिछले कुछ वर्षों से स्थानीय लोगों की जमीनें गैरकानूनी और दबावपूर्ण तरीकों से लेकर अपने परिसर का विस्तार कर रहा है। इससे इलाके में सामाजिक तनाव, पर्यावरणीय असंतुलन और कानूनी उल्लंघन जैसी स्थितियां पैदा हो गई हैं।

याचिका में कहा गया है कि ताहल खड्ड (नदी) के बाढ़ क्षेत्र में पेड़ों को अवैध रूप से काटने के साथ, मलबा फेंका गया है। इसके साथ ही खुदाई और किनारे की हरियाली नष्ट करने जैसे काम किए गए हैं। संगठन द्वारा बड़े पैमाने पर जंगलों की कटाई गई है, पर्यावरण को नुकसान पहुंचा है और मिट्टी के कटाव के साथ-साथ जमीन के रूपांतरण के सबूत मिले हैं।

एनजीटी ने दो माह में मांगा जवाब

उपग्रह से प्राप्त तस्वीरों से यह भी पता चला है कि ताहल खड्ड और नाले की दिशा में बदलाव किए गए हैं।

सुनवाई के बाद एनजीटी ने इस मामले में हिमाचल प्रदेश सरकार, पर्यावरण, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन विभाग के सचिव, कांगड़ा के उपायुक्त और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं। सभी अधिकारियों से दो महीने के भीतर रिपोर्ट मांगी गई है।

एनजीटी ने मामले की सच्चाई की जांच और जरूरी कदम उठाने के लिए एक संयुक्त समिति बनाने के भी निर्देश दिए हैं। यह समिति केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचपीपीसीबी) और कांगड़ा के उपायुक्त के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

समिति साइट का निरीक्षण कर ग्रामीणों की शिकायतों की जांच करेगी और दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट एनजीटी में सौंपेगी।

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