नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इलाहाबाद में फ्लड प्लेन पर किए जा रहे अवैध निर्माण के मामले पर सुनवाई की है। आरोप है कि यह निर्माण इस्कॉन प्रयागराज द्वारा किया गया है।
27 अगस्त, 2024 को ट्रिब्यूनल ने इस मामले में प्रयागराज विकास प्राधिकरण और इस्कॉन प्रयागराज से अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। उन्हें इसके लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है। इस मामले में अगली सुनवाई पांच दिसंबर 2024 को होगी।
22 अगस्त 2024 को अपने जवाब में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने अदालत को जानकारी दी है कि यमुना नदी के उत्तरी किनारे पर सीढ़ियों से महज 43 मीटर की दूरी पर तीन इमारतों का निर्माण किया जा रहा है।
यूपीपीसीबी के वकील ने कहा कि यमुना नदी के डूब क्षेत्र में निर्माण करने या उसकी अनुमति देने वाले किसी भी व्यक्ति या प्राधिकरण के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यूपीपीसीबी यह सुनिश्चित करेगा कि यमुना फ्लड प्लेन में कोई निर्माण न हो।
जालंधर वर्षों से जमा कचरे का कैसे किया जाएगा निपटान: एनजीटी
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने जालंधर नगर निगम के कमिश्नर को हलफनामे के माध्यम से अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। इस हलफनामे में उन्हें इस बात की जानकारी देनी है कि वो हर दिन पैदा होने वाले कचरे का पूरी तरह निपटान कैसे करेंगे, जिससे इसके निपटान में जो अंतर है वो भरा जा सके।
साथ ही ट्रिब्यूनल ने कमिश्नर से सालों से जमा कचरे के तय समय सीमा के भीतर निपटान के लिए कार्य योजना का भी खुलासा करने को कहा है।
नगर निगम को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि आवेदक तेजस्वी मिन्हास की कचरे के ढेर को लेकर जो शिकायतें हैं उन्हें दूर किया जाए। गौरतलब है कि तेजस्वी मिन्हास ने जालंधर के मॉडल टाउन में कचरे के ढेर को लेकर चिंता जताई थी। 27 अगस्त, 2024 को दिए आदेश में उनसे कहा है कि कार्ययोजना में यह शामिल करना होगा कि उन्होंने इस मामले में अब तक क्या किया है और वे इस काम के लिए धन कैसे जुटाएंगे।
20 अगस्त, 2024 को दाखिल की गई रिपोर्ट में पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने पुष्टि की है कि मॉडल टाउन साइट पर बिना छांटे कचरे को डंप किया जा रहा है। नगर निगम ने कूड़ेदान या कॉम्पैक्टर उपलब्ध नहीं कराए हैं। मॉडल टाउन साइट के अलावा, शहर के कई अन्य स्थानों पर भी खुलेआम कचरा डाला जा रहा है।
रिपोर्ट में आगे जानकारी दी गई है कि पीपीसीबी ने नगर निगम जालंधर पर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016 का उल्लंघन करने के लिए साढ़े चार करोड़ रुपए का मुआवजा (ईसी) भरने को कहा है।
जालंधर नगर निगम ने ट्रिब्यूनल को जानकारी दी है कि जालंधर में हर दिन 500 टन ठोस कचरा पैदा होता है, लेकिन उसमें से केवल 120 टन का ही उपचार हो रहा है। ऐसे में हर दिन 380 टन बिना उपचार के बच जाता है, जो पुराने कचरे के मौजूदा ढेर में योगदान दे रहा है। ट्रिब्यूनल को यह भी जानकारी दी गई है कि इस पुराने कचरे को हरियाणा में डंप साइट पर भेजा जा रहा है।