
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में 18 जुलाई, 2025 को हुई सुनवाई में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) ने बताया है कि संरक्षित क्षेत्रों के प्रबंधन के लिए 30 नवंबर, 2023 को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य ऐसे क्षेत्रों की बेहतर और वैज्ञानिक योजना बनाना है।
मंत्रालय की ओर से पेश वकील ने इन दिशा-निर्देशों को रिकॉर्ड पर रखने और यह स्पष्ट करने के लिए समय मांगा कि क्या कोई नए दिशा-निर्देश भी तैयार किए गए हैं।
यह मामला लद्दाख अभयारण्य के संरक्षण से जुड़ा है, जो 430 से अधिक पक्षी प्रजातियों का घर है।
लद्दाख प्रदूषण नियंत्रण समिति (पीसीसी) ने 7 मार्च, 2025 को दाखिल हलफनामे में खुलासा किया है कि लद्दाख में दो वन्यजीव अभयारण्य और एक राष्ट्रीय उद्यान हैं। हलफनामे में संरक्षण के सामने आने वाली चुनौतियों जैसे जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या वृद्धि और सड़क व अन्य विकास कार्यों का भी जिक्र किया गया है।
लद्दाख प्रदूषण नियंत्रण समिति ने यह भी माना है कि लद्दाख में पक्षियों के व्यवहार पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर कोई वैज्ञानिक अध्ययन नहीं हुआ है। इस पर मंत्रालय ने जानकारी जुटाने के लिए और समय मांगा है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि वन्यजीव संरक्षण विभाग द्वारा कुछ पहलें शुरू की गई हैं।
एनजीटी ने लेह जिला प्रशासन के उपायुक्त को अगली सुनवाई में वर्चुअल माध्यम से रूप से उपस्थित होकर ट्रिब्यूनल की सहायता करने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि इस मामले में अगली सुनवाई 27 अक्टूबर, 2025 को होगी। इसके साथ ही लद्दाख के मुख्य वन्यजीव वार्डन और वन्यजीव संरक्षण विभाग को इस मामले में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया गया है।
श्रीनगर के अचन लैंडफिल में अब भी लगा है ठोस कचरे का ढेर, कोई ठोस कार्रवाई नहीं: रिपोर्ट
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 18 जुलाई, 2025 को जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट पर चिंता जताई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि श्रीनगर के अचन लैंडफिल साइट पर पुराना ठोस कचरा अब तक बिना प्रोसेस किए जमा हो रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस साइट पर तीन वेस्ट सेल हैं, जिनमें पहला और तीसरा सेल बिना ढके पाए गए। यहां हर दिन करीब 500 मीट्रिक टन कचरा डाला जा रहा है, लेकिन न तो कचरे की छंटाई हो रही है और न ही लीचेट (रिसाव) प्रबंधन का संयंत्र चालू है। कचरा छांटने की मशीनें भी काम नहीं कर रहीं। इसी तरह अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र (ईटीपी) भी काम नहीं कर रहा था।
मौके पर डंपिंग क्षेत्र में करीब 30 रैग पिकर (कचरा बीनने वाले) देखे गए और जो प्लास्टिक और बेकार एल्युमीनियम के डिब्बे/टिन जैसी रीसायकल योग्य सामग्री को हाथ से उठा रहे थे। कूड़ा बीनने वालों से मिली जानकारी के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति हर दिन करीब 30 किलोग्राम कचरा इकट्ठा करता है।
हालांकि छंटाई शेड के विस्तार का निर्माण कार्य पूरा हो गया है, लेकिन अब तक वहां कोई भी काम करने वाली मशीन नहीं लगाई गई है। केवल बंद पड़ी मशीनें देखी गईं।
श्रीनगर नगर निगम ने रिपोर्ट पर जवाब देने के लिए अदालत से और समय मांगा है।
आवेदक की ओर से पेश वकील, राजा मुजफ्फर भट ने 17 जुलाई को प्रत्युत्तर दाखिल करते हुए कहा कि उन्होंने नगर निगम की लापरवाही के पर्याप्त सबूत प्रस्तुत किए हैं। कोर्ट ने निगम को इन पर भी जवाब देने का अवसर दिया है।
मामला श्रीनगर जिले की अचन लैंडफिल में नगर निगम द्वारा ठोस, बायोमेडिकल और प्लास्टिक कचरे के अवैध और असंवैज्ञानिक तरीके से निपटान से जुड़ा है।
ओडिशा में कचरा प्रबंधन पर रिपोर्ट अधूरी, एनजीटी ने जताई नाराजगी
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने ओडिशा के मुख्य सचिव द्वारा 16 जुलाई, 2025 को कचरा प्रबंधन पर दाखिल रिपोर्ट को अधूरी बताया है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि यह रिपोर्ट बेहद संक्षिप्त है और इसमें शहरी निकायों की स्थिति, मौजूद खामियों और उन्हें दूर करने के प्रयासों का ब्योरा नहीं दिया गया है।
एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस सुधीर अग्रवाल की बेंच ने इस पर असंतोष जताया और कहा कि रिपोर्ट में जरूरी जानकारियां नहीं हैं। इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने 18 जुलाई को आश्वासन दिया कि चार हफ्तों के भीतर एक नई, विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की जाएगी।
इस मामले में अगली सुनवाई 25 सितंबर, 2025 को होगी।