डेरॉन ऐसमोग्लू, साइमन जॉनसन और जेम्स रॉबिन्सन को मिला अर्थशास्त्र का नोबेल

इन तीनों अर्थशास्त्रियों को यह पुरस्कार कमजोर और समृद्ध देशों के बीच खुशहाली के अंतर को समझने के लिए किए उनके अध्ययन के लिए दिया गया है
डेरॉन ऐसमोग्लू, साइमन जॉनसन और जेम्स ए रॉबिन्सन; फोटो: नोबेल समिति
डेरॉन ऐसमोग्लू, साइमन जॉनसन और जेम्स ए रॉबिन्सन; फोटो: नोबेल समिति
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रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने इस साल के लिए अर्थशास्त्र के क्षेत्र में दिए जाने वाले नोबेल पुरस्कार की औपचारिक घोषणा कर दी है। इस साल अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में दिया जाने वाले स्वेरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार से तीन अर्थशास्त्रियों डेरॉन ऐसमोग्लू, साइमन जॉनसन और जेम्स ए रॉबिन्सन को सम्मानित किया गया है।

इस साल अर्थशास्त्र के क्षेत्र में दिया जाने वाला यह पुरस्कार कमजोर और समृद्ध देशों के बीच खुशहाली के अंतर को समझने के लिए किए उनके शोध के लिए दिया गया है। उनका अध्ययन देशों के बीच समृद्धि और संसाधनों में अंतर पर आधारित है।

इन तीनों अर्थशास्त्रियों ने अपने शोध में इस बात पर प्रकाश डाला है कि कैसे कमजोर देश सालों की तरक्की के बावजूद अमीर देशों की तरह विकसित नहीं हो पाए हैं। इसके साथ ही उन्होंने इस बात का भी अध्ययन किया है कि संस्थाएं कैसे बनती हैं और समाज की तरक्की और खुशहाली को कैसे प्रभावित करती हैं।

उन्होंने अपनी रिसर्च से साबित किया है कि मजबूत और निष्पक्ष संस्थाएं जैसे अच्छी सरकार और बेहतर कानून व्यवस्था लोगों की जिंदगी पर सकारात्मक असर डालती है।

बता दें कि डेरॉन ऐसमोग्लू और साइमन जॉनसन अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से जुड़े हैं। वहीं जेम्स ए रॉबिन्सन शिकागो विश्वविद्यालय से संबंध रखते हैं।

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क्यों कुछ देश गरीब तो कुछ समृद्ध होते हैं

इस बारे  में जानकारी साझा करते हुए नोबेल पुरस्कार समिति ने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्‍स (पूर्व में ट्विटर) पर जानकारी दी है कि संस्थाओं के गठन और बदलाव की परिस्थितियों को समझाने वाला उनका मॉडल तीन कारकों पर आधारित है। पहले में इस बात को उजागर किया है कि संसाधनों का बंटवारा कैसे किया जाए और समाज में निर्णय लेने की शक्ति किसके पास है।

दूसरा यह है कि जनता को कभी-कभी सत्ता का प्रयोग करने का अवसर मिलता है। वो संगठित होकर सत्तारूढ़ शासक वर्ग को धमका कर ऐसा कर सकते हैं। इसका मतलब है कि सत्ता और शक्ति निर्णय लेने की ताकत से कहीं अधिक है।

तीसरा है प्रतिबद्धता की समस्या, जिसका मतलब है कि अभिजात वर्ग के लिए निर्णय लेने की शक्ति जनता को सौंपने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

इससे पहले वर्ष 2023 अर्थशास्त्र के क्षेत्र का स्वेरिगेस रिक्सबैंक पुरस्कार हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर क्लाउडिया गोल्डिन को दिया गया था। क्लाउडिया गोल्डिन को यह पुरस्कार श्रम बाजार में महिलाओं की भागीदारी के लिए किए उनके कामों के लिए दिया गया था।

उनकी रिसर्च से पता चला है कि वैश्विक श्रम बाजार में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है और यदि वे काम करती भी हैं तो भी आय के मामले में पुरुषों से पीछे रहती हैं। उनका शोध इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि कैसे महिलाओं की पसंद अक्सर शादी, घर चलाने और परिवार की देखभाल की जिम्मेवारियों से बाधित होती है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अर्थशास्त्र के क्षेत्र के नोबेल समझे जाने वाले स्वेरिगेस रिक्सबैंक पुरस्कार को 1968 में अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में शुरू किया गया था। यह पुरस्कार स्वीडन के सेंट्रल बैंक द्वारा दिए दान पर आधारित है।

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केवल तीन महिलाओं को मिला है अब तक यह पुरस्कार

1969 में रग्नर फ्रिस्क और जान टिनबर्गेन को पहला स्वेरिगेस रिक्सबैंक पुरस्कार दिया गया था। तब से लेकर अब तक अर्थशास्त्र के क्षेत्र में 56 बार यह पुरस्कार दिया जा चुका है। अब तक केवल तीन महिलाओं को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, इनमें सबसे पहले 2009 में एलिनोर ओस्ट्रोम, 2019 में एस्थर डुफ्लो और 2023 में क्लाउडिया गोल्डिन को इस पुरस्कार से नवाजा गया।

गौरतलब है कि इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार जापानी संगठन निहोन हिदान्क्यो को परमाणु शस्त्रों के विरुद्ध उनके प्रयासों के लिए दिया गया है। यह संगठन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर हुए अमेरिकी परमाणु बम हमलों के पीड़ितों के उत्थान के लिए काम करता है।

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इससे पहले केमिस्ट्री के क्षेत्र में इस साल का नोबेल पुरस्कार डेविड बेकर, डेमिस हसाबिस और जॉन एम जंपर को दिया गया था। गौरतलब है कि जहां डेविड बेकर को कम्प्यूटेशनल प्रोटीन डिजाइन के लिए चुना गया है, वहीं डेमिस हसाबिस और जॉन जंपर को प्रोटीन संरचना की भविष्यवाणी करने के लिए इस पुरस्कार से नवाजा गया है।

2024 में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से जेफ्री ई हिंटन और जॉन जे हॉपफील्ड को नवाजा गया। उन्होंने भौतिकी की मदद से आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क को प्रशिक्षित किया है, ताकि वो हम इंसानों की तरह सोच, समझ और सीख सके।

देखा जाए तो इस साल गत सोमवार से 2024 के नोबेल पुरुस्कारों की घोषणा शुरू हो चुकी है। इस कड़ी में सोमवार को विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन को चिकित्सा के क्षेत्र ने नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया।

उन्हें यह पुरस्कार माइक्रो आरएनए की खोज में उनके योगदान के लिए दिया गया है। इन दोनों वैज्ञानिकों ने जीन गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले एक मौलिक सिद्धांत की खोज की है।

नोबेल पुरस्कार, विज्ञान के क्षेत्र में दिया जाने वाला सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है, जिसकी शुरूआत मशहूर वैज्ञानिक और खोजकर्ता अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल की वसीयत के आधार पर की गई है।

वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल का जन्म 21 अक्टूबर 1833 में हुआ था। 10 दिसंबर 1896 को इस वैज्ञानिक खोजकर्ता की मृत्यु हो गई थी। इनके नाम पर 355 पेटेंट हैं, लेकिन वो डायनामाइट की खोज के लिए जाने जाते हैं।

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