माइक्रो आरएनए की खोज के लिए विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन को मिला चिकित्सा क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार

इस साल चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से अमेरिकी वैज्ञानिक विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन को नवाजा गया है, उन्हें यह पुरस्कार माइक्रो आरएनए की खोज में उनके योगदान के लिए दिया गया है
2024 नोबेल पुरस्कार विजेता: चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार विजेता विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन
2024 नोबेल पुरस्कार विजेता: चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार विजेता विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन
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अक्टूबर की शुरूआत के साथ ही नोबेल पुरुस्कारों की घोषणा का सिलसिला शुरू हो गया है। इस कड़ी में फिजियोलॉजी या चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार विजेताओं का ऐलान सोमवार को किया गया। बता दें कि इस साल चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरूस्कार अमेरिका के विक्टर एंब्रोस और गैरी रुवकुन को दिया गया है।

इन दोनों वैज्ञानिकों को साझा तौर पर यह पुरस्कार माइक्रो आरएनए के लिए की गई उनकी खोज और ट्रांसक्रिप्शन के बाद जीन एक्प्रेशन को रेगुलेट करने में उनके योगदान के लिए दिया गया है। इन दोनों वैज्ञानिकों ने जीन गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले एक मौलिक सिद्धांत की खोज की है।

इसकी औपचारिक घोषणा सोमवार को स्टॉकहोम में कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट में नोबेल असेंबली द्वारा की गई। इस मौके पर नोबेल असेंबली ने कहा कि उनकी खोज "जीवों के विकास और उनकी कार्यप्रणाली के लिए मौलिक रूप से महत्वपूर्ण साबित हो रही है।"

इस बारे में जानकारी साझा करते हुए नोबेल असेंबली ने अपनी वेबसाइट पर जानकारी दी है कि विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन को माइक्रो आरएनए की खोज के लिए दिया गया है। बता दें कि माइक्रो आरएनए छोटे अणुओं का एक समूह होता है जो कोशिकाओं को यह नियंत्रित करने में मदद करता है कि वे कितने प्रोटीन बनाते हैं। कोशिकाएं जीन को "चालू" या "बंद" करके यह तय करने के लिए माइक्रो आरएनए का उपयोग करती है कि कब और कितने प्रोटीन की आवश्यकता है। माइक्रो आरएनए कोशिकाओं के अंदर और रक्त में पाया जा सकता है।

हमारे गुणसूत्रों में मौजूद जानकारी हमारे शरीर की सभी कोशिकाओं के लिए निर्देश पुस्तिका की तरह है। हर कोशिका में एक जैसे गुणसूत्र होते हैं, इसलिए उन सभी के पास निर्देशों का एक ही सेट होता है। लेकिन मांसपेशी और तंत्रिका कोशिकाओं जैसी विभिन्न प्रकार की कोशिकाएं एक दूसरे से बहुत अलग होती हैं।

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क्या है माइक्रो आरएनए, जिसकी खोज के लिए दिया गया पुरस्कार

अब सवाल यह है कि ऐसा कैसे होता है? तो बता दें कि यह जीन विनियमन का परिणाम होता है। जो प्रत्येक कोशिका को केवल उन्हीं निर्देशों को चुनने में मदद करता है जिनकी उसे जरूरत होती है, इसलिए प्रत्येक प्रकार की कोशिका में सही जीन सक्रिय होते हैं।

विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन इस बात को लेकर उत्सुक थे कि विभिन्न प्रकार की कोशिकाएं कैसे बढ़ती और विकसित होती हैं। उन्होंने माइक्रो आरएनए की खोज की, जो एक छोटा अणु है जो जीन के काम करने के तरीके को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह एक बड़ी सफलता थी क्योंकि इसने वैज्ञानिकों को जीन को नियंत्रित करने का एक नया तरीका दिखाया।

यह मनुष्यों सहित दूसरे जीवों के लिए बेहद मायने रखता है। आज, हम जानते हैं कि मानव शरीर में एक हजार से ज्यादा माइक्रो आरएनए होते हैं। ऐसे में उनकी खोज ने हमें जीवों के बढ़ने और काम करने के तरीके के बारे में एक नया पहलू समझने में मदद की है।

गौरतलब है कि 2023 में चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार वैज्ञानिक कैटेलिन कैरिको और ड्रू वीसमैन को दिया गया थे। इन दोनों वैज्ञानिकों को यह पुरस्कार कोविड-19 के प्रभावी टीकों से जुड़ी उनकी खोज के लिए दिया गया।

इन दोनों ही वैज्ञानिकों ने महामारी के खिलाफ प्रभावी एमआरएनए टीके विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसकी वजह से दुनिया भर में लाखों जिंदगियां बचाई जा सकी।

वेबसाइट के अनुसार उनके अभूतपूर्व शोध ने हमारे ज्ञान में क्रांति ला दी कि एमआरएनए, प्रतिरक्षा प्रणाली के साथ कैसे संपर्क करता है। इसकी वजह से 2020 में महामारी के दौरान टीकों का तेजी से विकास सक्षम हो पाया। बता दें कोविड-19 महामारी हाल के इतिहास में सबसे बड़े स्वास्थ्य संकटों में से एक है।

वहीं 2022 में चिकित्सा के क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार स्वीडिश वैज्ञानिक स्वांते पाबो को दिया गया था। उन्हें यह पुरस्कार मानव के क्रमिक विकास और निएंडरथल पर किए उनके काम के लिए दिया गया। गौरतलब है कि स्वांते पाबो एक स्वीडिश जेनेटिस्ट हैं जो विकासवादी आनुवंशिकी के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखते हैं और पैलियोजेनेटिक्स के संस्थापकों में से भी एक हैं। उन्होंने इंसान के निएंडरथल जीनोम पर बड़े पैमाने पर काम किया है।

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1901 के बाद से देखें तो चिकित्सा के क्षेत्र में दिया जाने वाला यह 115वां नोबेल पुरस्कार है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 1901 से अब तक चिकित्सा के क्षेत्र में 229 लोगों को इस सम्मान से नवाजा जा चुका है।

बता दें कि यह दुनिया का सबसे प्रतिष्टित पुरस्कार है, जिसके तहत विजेताओं को एक स्वर्ण पदक, प्रमाणपत्र और उसके साथ करीब एक करोड़ स्वीडिश क्रोना (करीब 8.3 करोड़ रुपए) की राशि पुरस्कार स्वरुप दी जाती है।

सर अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के अनुसार, मेडिसिन यानी चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार 1901 से किसी भी देश के उस वैज्ञानिक या संगठन को दिया जाता है, जिसने मेडिसिन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया हो। यह उन पांच नोबेल पुरस्कारों में से एक है, जिसे सर अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत में सन 1895 में स्थापित किया गया था।

इस कड़ी में मंगलवार यानी आठ अक्टूबर 2024 को फिजिक्स के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार विजेताओं की घोषणा की जाएगी। डॉक्टर सर चंद्रशेखर वेंकट रमन इकलौते ऐसे भारतीय हैं, जिन्होंने 1930 में फिजिक्स यानी भौतिकी का नोबेल खिताब जीता था।

केमिस्ट्री के पुरस्कार का ऐलान बुधवार को किया जाएगा। गुरूवार को साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार की घोषणा की जाएगी। वहीं शांति के क्षेत्र में दिए जाने वाले नोबेल पुरस्कार की घोषणा शुक्रवार को होगी, जबकि अर्थशास्त्र के क्षेत्र में पुरुस्कार की घोषणा 14 अक्टूबर को की जाएगी।

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