
राजस्थान उच्च न्यायालय ने श्मशान घाट और बिजली की हाई वोल्टेज लाइन के पास पेट्रोल पंप स्थापित करने के खिलाफ याचिका स्वीकार कर ली है। यह पेट्रोल पंप हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) का है।
पांच मार्च 2025 को हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकारियों ने पेट्रोल पंप स्थापित करने के लिए स्थान पर विचार किए बिना ही (एनओसी) दे दी। हालांकि पेट्रोल पंप, श्मशान घाट से महज 25 मीटर की दूरी पर है और बिजली की 11,000 केवी की हाई-वोल्टेज लाइन इससे सिर्फ 18 मीटर की दूरी पर है।
इसके अलावा अधिकारियों ने एनजीटी द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का भी पालन नहीं किया है, विशेष तौर पर पेट्रोल पंप के लिए स्थान चुनने से जुड़े नियमों की अनदेखी की गई है। अदालत के मुताबिक साइटिंग मानदंडों को ताक पर रखते हुए एनओसी दी गई है।
अदालत ने छह अक्टूबर 2021 को दिए स्टे ऑर्डर की भी पुष्टि की है। हालांकि, अगर ईंधन पहले से ही भूमिगत टैंकों में जमा है तो उसे हटाया जा सकता है। साथ ही एचपीसीएल के लिए संबंधित पक्ष को कोई अन्य वैकल्पिक स्थान देने का विकल्प भी खुला है।
कोटपुतली बहरोड़ में अवैध पत्थर खनन, एनजीटी ने समिति को दिए जांच के आदेश
6 मार्च 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सेंट्रल बेंच ने कोटपुतली बहरोड़ में अवैध खनन की जांच के लिए दो सदस्यीय समिति को आदेश दिए हैं। मामला राजस्थान के कोटपुतली बहरोड़ के बेरी बांध गांव में चिनाई पत्थर के अवैध खनन से जुड़ा है।
समिति में कोटपुतली बहरोड़ के जिला कलेक्टर कार्यालय से एक अधिकारी और राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जुड़े एक अधिकारी शामिल होंगे। इस समिति से साइट का दौरा करने के साथ छह सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।
न्यायाधिकरण ने राजस्थान के प्रमुख सचिव (खान), राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, खान एवं भूविज्ञान विभाग (जयपुर) और राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए), राजस्थान सहित अन्य अधिकारियों को अपना जवाब प्रस्तुत करने के लिए भी कहा है।
शिकायत बेरी बांध गांव में चेजा पत्थर के अवैध खनन से जुड़ी है। आवेदक का दावा है कि खनन कंपनी पर्यावरण नियमों और सहमति शर्तों का उल्लंघन कर रही है।
यह भी आरोप है कि परियोजना प्रस्तावक स्वीकृत क्षेत्र से आगे भी खनन का विस्तार कर रही है और गांव की जमीन पर अतिक्रमण कर रही है। यह क्षेत्र बेरी बांध गांव के आबादी क्षेत्र से भी सटा है।
जयपुर में आरक्षित वन भूमि पर अतिक्रमण, एनजीटी ने समिति को दिए जांच के आदेश
6 मार्च, 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक संयुक्त समिति से बस्सी सीतारामपुरा गांव कथित रूप से हुए वन अतिक्रमणों की जांच करने का आदेश दिया है। मामला राजस्थान के जयपुर का है। समिति को तथ्यों की जांच के साथ की गई कार्रवाई पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी कहा गया है।
आवेदक का तर्क था कि बस्सी सीतारामपुरा गांव की जमीन आरक्षित वन भूमि है। निजी प्रतिवादियों ने बिना अनुमति के आरक्षित वन भूमि के खाली हिस्से पर अतिक्रमण कर लिया है। उन्होंने जल अधिनियम 1974 और वायु अधिनियम 1981 के तहत संचालन के लिए आवश्यक मंजूरी नहीं ली थी।
आवेदक ने निर्माण के लिए इस्तेमाल किए गए जल स्रोत पर भी सवाल उठाए हैं। यह निर्माण जल अधिनियम 1974 और वायु अधिनियम 1981 के तहत आवश्यक मंजूरी के बिना हो रहा है।