बिना मत सह'मत': गुजरात के इस गांव में पहली बार हुए चुनाव, वो भी 'समरस'

तीन गांवों की एक पंचायत में शामिल उकारडा को दो साल पहले अलग पंचायत का दर्जा मिला था
उकारडा मे सरपंच के घर पर बैठे परिजन व उप सरपंच राणावसिया बाबूभाई कालूभाई। फोटो: राजू सजवान
उकारडा मे सरपंच के घर पर बैठे परिजन व उप सरपंच राणावसिया बाबूभाई कालूभाई। फोटो: राजू सजवान
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जून  2025 में गुजरात में 4,564 ग्राम पंचायत चुनाव हुए। इस चुनाव की खास बात यह है कि इनमें 761 ग्राम पंचायतें ‘समरस’ चुनी गई। गुजरात की इन समरस पंचायतों सामान्य तौर पर निर्विरोध चुनी गई पंचायत कहा जाता है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब से राज्य में इन समरस पंचायतों को सरकार की ओर से आर्थिक रूप से प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसे मॉडल मानते हुए कुछ राज्यों ने भी निर्विरोध पंचायतों को आर्थिक प्रोत्साहन देना शुरू किया है। डाउन टू अर्थ ने इनमें से कुछ पंचायतों का दौरा किया। पहले आपने पढ़ा जूनागढ़ के गांव की कहानी, के बाद बनासकांठा जिले की एक और पंचायत की कहानी आपने पढ़ी । आगे पढ़ें -

गुजरात के बनासकांठा जिले के मुख्यालय पालनपुर से लगभग 15 किलोमीटर दूर है गांव उकारडा। सात जुलाई 2025 को डाउन टू अर्थ संवाददाता जब गांव पहुंचा तो  गांव में चहल-पहल है। छोटे से इस गांव में ग्रामीण बड़े उत्साह से अपने सरपंच के घर का पता बताते हैं। कुछ उत्साहित बच्चे तो संवाददाता के साथ चल कर नए सरपंच के घर पहुंचा देते हैं। 

ग्रामीणों के उत्साह का कारण यह है कि पहली बार गांव का कोई व्यक्ति सरपंच बना है। इससे पहले उनका गांव हसनपुरा ग्राम पंचायत का हिस्सा था। हसनपुर ग्राम पंचायत में उकारडा के अलावा मालपुरिया गांव भी शामिल था, लेकिन दो साल पहले 23 सितंबर 2023 को उकारडा को एक अलग पंचायत का दर्जा दे दिया गया। 

2 जून 2025 को गुजरात में पंचायत चुनावों की घोषणा के बाद उकारडा में अपनी पंचायत चुने जाने की हलचल शुरू हुई। 

आपस में विचार-विमर्श के बाद तय हुआ कि केवल एक व्यक्ति को सर्वसम्मति से चुना जाए, जो सरपंच बने। साथ ही, यदि पूरी पंचायत समरस यानी निर्विरोध चुन ली जाए तो सरकार की ओर से मिलने वाला अतिरिक्त फंड भी गांव के काम आ जाएगा। 

तब सबने मिलकर पुष्पा बेन मोहन भाई नागोस को सरपंच चुन लिया गया और केवल पुष्पा पेन की आरे से ही नामांकन भरा गया। इस तरह 25 जून 2025 को पुष्पा पेन गांव की पहली सरपंच घोषित की गई। 

पुष्पा बेन गुजरात की उन सरपंचों में भी शामिल थी, जिन्हें 4 जुलाई 2025 को गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने गांधी नगर में सम्मानित किया और उसी दिन उनकी पंचायत के खाते में 3 लाख रुपए भी आ गए। यह राशि गुजरात सरकार द्वारा समरस पंचायतों को दी जाती है। 

पुष्पा बेन के घर पर जमा लोग कहते हैं, “उनके गांव में पीने के पानी की सबसे बड़ी समस्या है, उनकी कोशिश है कि इस पैसे का इस्तेमाल इस तरह किया जाए कि पानी की समस्या का हल हो सके।” 

इससे पहले गांव की राजनीतिक हिस्सेदारी बहुत कम थी। प्रशासनिक अधिकारी भी गांव को गंभीरता से नहीं लेते थे। गांव के बुजुर्ग कहते हैं, “पहली बार गांव का नाम अलग पंचायत के रूप में लिया जाएगा। अब हमें लगता है कि हमारे गांव की भी राजनीतिक व सामाजिक पहचान बनेगी।”

पंचायतों को कितनी मिलती है राशि 

गुजरात पंचायत विभाग की वेबसाइट में दी गई जानकारी के मुताबिक गुजरात सरकार द्वारा "समरस पंचायत" या सामूहिक सहमति से निर्विरोध चुनी गई ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहन स्वरूप आबादी के आधार पर क्रमिक धनराशि दी जाती है। 

5000 तक की आबादी वाले गांव में पहली बार समरस चुनाव होने पर 3 लाख रुपए  मिलते हैं, दूसरी बार यह राशि 5.75 लाख (जिसमें 2 लाख सी.सी. रोड हेतु अतिरिक्त), तीसरी बार 7.75 लाख (जिसमें 3 लाख विकास कार्य हेतु अतिरिक्त), चौथी बार 8.25 लाख और पांचवीं बार 8.50 लाख तक बढ़ जाती है। 

वहीं, 5001 से 25000 की जनसंख्या वाले गांवों में पहली बार समर चुनाव होने पर 4.5 लाख रुपए, दूसरी बार 7.75 लाख, तीसरी बार 10 लाख, चौथी बार 10.5 लाख और पांचवीं बार 11 लाख रुपए तक की सहायता दी जाती है। 

इसी तरह, यदि कोई महिला पहली बार निर्विरोध सरपंच बनती है या पंचायत में महिलाएं निर्विरोध निर्वाचित होती हैं तो 5000 की जनसंख्या तक के गांव को 4.5 लाख से लेकर पांचवीं बार पर 11 लाख रुपए तक और 5001 से 25000 तक की जनसंख्या वाले गांव को 7.5 लाख से लेकर पांचवीं बार पर 16 लाख रुपये तक की प्रोत्साहन राशि दी जाती है, जिसमें सीसी रोड और अन्य विकास कार्यों के लिए अतिरिक्त धनराशि शामिल होती है।

कल पढ़ें एक और गांव की कहानी-

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