जलवायु परिवर्तन एक ऐसी कड़वी सच्चाई है, जिसे हम चाह कर भी झुठला नहीं सकते। दुनिया में इसके परिणाम अब खुलकर सामने आने लगे हैं। बात चाहे बढ़ते तापमान की हो या चरम मौसमी घटनाओं की, जलवायु परिवर्तन रूप बदल-बदल कर चौतरफा वार कर रहा है।
इसका एक और सबूत हाल ही में सामने आया है जब 2024 में जलवायु इतिहास का अब तक का दूसरा सबसे गर्म अक्टूबर दर्ज किया गया। बता दें कि अब तक का सबसे गर्म अक्टूबर 2023 में रिकॉर्ड किया गया था। जब वैश्विक औसत तापमान औद्योगिक काल से पहले की तुलना में 1.7 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया था।
हालांकि इस साल भी अक्टूबर में वैश्विक तापमान में होता यह इजाफा उस रिकॉर्ड से महज 0.05 डिग्री सेल्सियस पीछे रह गया। बता दें कि अक्टूबर 2024 में वैश्विक तापमान में होती वृद्धि औद्योगिक काल से पहले (1850 से 1900) की तुलना में 1.65 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज की गई है।
यह जानकारी यूरोपियन यूनियन की कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) द्वारा जारी रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट में जारी आंकड़ों से पता चला है कि अक्टूबर 2024 में सतह के पास हवा का वैश्विक औसत तापमान 15.25 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। जो 1991-2020 के दौरान अक्टूबर में दर्ज औसत तापमान से 0.80 डिग्री सेल्सियस अधिक है।
धरती को कई महीनों से चढ़ा है बुखार, क्या अंत के हैं संकेत
आंकड़ों के मुताबिक पिछले 16 महीनों में यह 15वीं बार है जब वैश्विक औसत तापमान डेढ़ डिग्री सेल्सियस की सीमा से अधिक दर्ज किया गया है। यह इस लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि 2015 में हुए पेरिस समझौते के तहत करीब 200 देशों ने तापमान में हो रही इस वृद्धि को डेढ़ डिग्री सेल्सियस में सीमित रखने का वादा किया था। इस लक्ष्य का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के बढ़ते दुष्प्रभावों से मानव जाति को बचाना था।
वहीं यदि पिछले 12 महीनों यानी नवंबर 2023 - अक्टूबर 2024 के वैश्विक औसत तापमान पर नजर डालें तो वो औद्योगिक काल से पहले की तुलना में 1.62 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। वहीं यदि सिर्फ 2024 की बात करें तो साल के पहले आठ महीने (जनवरी से अगस्त) अब तक के सबसे गर्म महीने रहे। इनमें से कोई भी महीना ऐसा नहीं रहा, जिसने जलवायु इतिहास में जगह न बनाई हो।
वहीं यदि पिछले 12 महीनों यानी नवंबर 2023 - अक्टूबर 2024 के वैश्विक औसत तापमान पर नजर डालें तो वो औद्योगिक काल से पहले की तुलना में 1.62 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। वहीं यदि सिर्फ 2024 की बात करें तो साल के पहले आठ महीने (जनवरी से अगस्त) अब तक के सबसे गर्म महीने रहे। इनमें से कोई भी महीना ऐसा नहीं रहा, जिसने जलवायु इतिहास में जगह न बनाई हो।
वहीं सितम्बर 2024 में अब तक का दूसरा सबसे गर्म सितम्बर दर्ज किया गया। हालांकि उस महीने भी वैश्विक औसत तापमान सामान्य से 1.54 डिग्री सेल्सियस अधिक था। कुछ ऐसी ही स्थिति अक्टूबर 2024 में भी देखने को मिली।
देखा जाए तो अक्टूबर का महीना आते-आते मौसम में गुलाबी सर्दियों का आगमन शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार अब भी मौसम में गर्मी की चुभन बाकी है।
2024 के पहले दस महीनों (जनवरी से अक्टूबर) के औसत वैश्विक तापमान को देखें तो वो 1991-2020 के औसत तापमान से 0.71 डिग्री सेल्सियस अधिक है, जो उसे रिकॉर्ड में सबसे गर्म अवधि बनाता है। यह 2023 में इसी अवधि की तुलना में 0.16 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म है।
ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि 2024 जलवायु इतिहास का अब तक का सबसे गर्म वर्ष होगा। बता दें कि अब तक का सबसे गर्म वर्ष 2023 में दर्ज किया गया था। जब वैश्विक औसत तापमान औद्योगिक काल से पहले के औसत तापमान से 1.48 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया था।
कॉप-29 पर टिकी हैं दुनिया की उम्मीदें
वहीं वैज्ञानिकों ने अंदेशा जताया है कि इस साल बढ़ता तापमान औद्योगिक काल से पहले की तुलना में 1.59 डिग्री सेल्सियस अधिक रह सकता है।
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र पहले भी इस बात को लेकर चेता चुका है कि अगर मौजूदा नीतियों में बदलाव न किया गया तो सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि तीन डिग्री सेल्सियस की सीमा को भी पार कर सकती है।
गौरतलब है कि यह आंकड़े अगले सप्ताह जलवायु परिवर्तन पर होने वाले शिखर सम्मेलन कॉप-29 से ठीक पहले जारी किए गए हैं। यह सम्मेलन 11 नवंबर 2024 से अजरबैजान की राजधानी बाकू में शुरू हो रहा है।
यदि भारत की बात करें तो ऐसा नहीं की देश जलवायु में आते इन बदलावों से अछूता है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा जारी आकड़ों के मुताबिक 1901 के बाद से औसत और न्यूनतम तापमान के लिहाज से अक्टूबर 2024 का महीना अब तक का सबसे गर्म अक्टूबर रहा।
वहीं राजधानी दिल्ली से जुड़े आंकड़ों को देखें तो 1951 के बाद से यह पहला मौका है, जब दिल्ली में अक्टूबर का महीना इतना गर्म रहा। हैरानी की बात है कि इस दौरान दिल्ली में बारिश की एक बूंद भी नहीं गिरी।
अक्टूबर 2024 में भारत के विभिन्न क्षेत्रों में औसत तापमान ने नए रिकॉर्ड बनाए हैं। उदाहरण के लिए 1901 के बाद से मध्य भारत के लिए यह सबसे गर्म अक्टूबर रहा। वहीं उत्तर-पश्चिम भारत में दूसरा सबसे गर्म और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के लिए तीसरा सबसे गर्म अक्टूबर रहा। वहीं न्यूनतम तापमान के मामले में देश के साथ-साथ सभी क्षेत्रों ने 1901 के बाद से बढ़ते तापमान के रिकॉर्ड तोड़ दिए।
हालांकि दुनिया में भारत ही एकमात्र ऐसा देश नहीं है जो बढ़ते तापमान से जूझ रहा है। जापान मौसम विज्ञान एजेंसी के अनुसार, जापान ने भी 1898 के बाद से अपना सबसे गर्म अक्टूबर का सामना किया। जलवायु विज्ञानी एम हेरेरा के मुताबिक भारत, पाकिस्तान सहित पश्चिम एशिया से जापान तक रिकॉर्ड गर्मी नवंबर तक जारी रहने की आशंका है।
कहीं न कहीं वैश्विक स्तर पर बढ़ता यह तापमान इस बात का सबूत है कि हमारी धरती बड़ी तेजी से गर्म हो रही है। ऐसे में यदि बढ़ते उत्सर्जन की रोकथाम के लिए अभी कदम न उठाए गए तो स्थिति बद से बदतर हो सकती है।